क्या आप सोचते हैं कि हार्ट अटैक हमेशा तेज दर्द के साथ ही होता है? ऐसा जरूरी नहीं है। कई बार दिल का दौरा बिना किसी स्पष्ट दर्द या चेतावनी के भी हो सकता है। इसे साइलेंट हार्ट अटैक कहा जाता है। यह स्थिति अधिक घातक इसलिए होती है क्योंकि अधिकतर लोग शुरुआत में इसके संकेतों को पहचान ही नहीं पाते और सामान्य तकलीफ मानकर अनदेखा कर देते हैं।
साइलेंट हार्ट अटैक के संकेत अक्सर इतने मामूली या भ्रमित करने वाले होते हैं कि व्यक्ति उन्हें गैस, अपच, तनाव या थकान जैसी साधारण समस्याओं से जोड़ देता है। लेकिन ऐसा करना दिल की सेहत पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। समय रहते पहचान न होने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है। जानें ऐसे कौन-कौन से संकेत हैं जो चुपचाप दिल के खतरे की तरफ इशारा करते हैं।
साइलेंट हार्ट अटैक के संकेत कैसे दिखते हैं?
1. हल्की असहजता या दबावसीने में हल्की जकड़न, कसाव या प्रेशर महसूस होना, जो कुछ मिनट रहने के बाद खुद-ब-खुद ठीक हो जाए। कई लोग इसे एसिडिटी या गैस का दर्द समझकर नजरअंदाज कर देते हैं।
2. बेहद थकान महसूस होनाअचानक आने वाली असामान्य कमजोरी, जो आराम के बावजूद दूर न हो। खासकर महिलाओं में यह संकेत ज्यादा देखा जाता है और अक्सर इसे ओवरवर्किंग या नींद की कमी समझ लिया जाता है।
3. सांस लेने में मामूली दिक्कतबिना वजह सांस का फूलना, सीढ़ियां चढ़ते समय हल्की घुटन, या गहरी सांस लेने में तकलीफ—ये भी हार्ट प्रॉब्लम का संकेत हो सकते हैं।
4. शरीर के अन्य हिस्सों में दर्दसीने में दर्द न होकर जबड़े, पीठ, गर्दन, बाँह या पेट में हल्की तकलीफ होना भी दिल के दौरे का छुपा संकेत हो सकता है।
5. अचानक पसीना आनाठंडी या चिपचिपी पसीना आना, जिसे लोग अक्सर तनाव, मौसम या कमजोरी से जोड़ देते हैं।
6. चक्कर या मतलीहल्का सिर घूमना, चक्कर आना, सिर हल्का महसूस होना या अचानक मतली आना—ये भी साइलेंट हार्ट अटैक के संकेत हो सकते हैं।
7. नींद में बाधारात में बेचैनी के साथ उठ जाना या अचानक घबराहट महसूस होना, यह भी शरीर का SOS संकेत हो सकता है।
किन लोगों में ज्यादा होता है साइलेंट हार्ट अटैक?जिन लोगों को डायबिटीज, हाई बीपी, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मोटापा या धूम्रपान की आदत होती है, उनमें इसका खतरा अधिक रहता है। खासकर डायबिटीज में नर्व डैमेज के कारण दर्द महसूस कम होता है, इसलिए हार्ट अटैक के लक्षण साफ दिखाई नहीं देते।
सबसे बड़ा खतरा—समय पर पता न चल पानाइस प्रकार के हार्ट अटैक का सबसे गंभीर पहलू यही है कि व्यक्ति को घटना के बाद भी यह पता नहीं चलता कि उसके दिल को नुकसान पहुंचा है। बिना समय पर इलाज के, हार्ट की मांसपेशियों पर स्थायी असर पड़ सकता है, जिससे भविष्य में हार्ट फेलियर, दूसरी बार हार्ट अटैक आने या अचानक कार्डिएक अरेस्ट का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।