ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से कोरोना के मामलों में पूरी दुनिया में एक बार फिर बढ़ना शुरू हो गए हैं। ओमिक्रॉन वैरिएंट ने यूरोप और अमेरिका के हाल बेहाल कर दिए हैं। बीते 24 घंटे में अमेरिका में 5.72 लाख, फ्रांस में 2.06 लाख, ब्रिटेन में 1.89 लाख, स्पेन 1.61 लाख और इटली में 1.26 लाख रजिस्टर किए गए। यहां पर कोरोना की पांचवी लहर की वजह लाखों में केस दर्ज किए जा रहे हैं। फ्रांस में ओमिक्रॉन डेल्टा को पछाड़ कर सबसे संक्रामक वैरिएंट बन गया है। देश की पब्लिक हेल्थ ऐजेंसी ने इस बारे में जानकारी दी। ऐजेंसी के मुताबिक, पिछले कुछ वक्त में ओमिक्रॉन के मामलों में बहुत तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस हफ्ते दर्ज किए गए कुछ मामलों में से 62.4% ओमिक्रॉन से जुड़े हुए हैं। जो पिछले हफ्ते के मुकाबले 15% ज्यादा है। इस वैरिएंट का खतरा हर उम्र के लोगों को हैं लेकिन बच्चों का इससे संक्रमित होना चिंता बढ़ा रहा हैं। अमेरिका में बच्चे तेजी से ओमिक्रॉन की चपेट में आ रहे हैं। अस्पतालों के बाल चिकित्सा विभाग पूरी तरह भर चुके हैं। बच्चों की हालत देख कर एक्सपर्ट्स चिंतित हैं और बच्चों का वैक्सीनेशन बढ़ाने की जरूरत बता रहे हैं।
अस्पतालों में बढ़ रही है बच्चों की संख्याअमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, 23 दिसंबर वाले हफ्ते में लगभग 1,99,000 बच्चों के कोरोना से संक्रमित होने की सूचना मिली थी, जो महीने के शुरूआती आंकड़ों से 50% ज्यादा है। वहीं, 28 दिसंबर वाले हफ्ते में 0-17 उम्र के लोगों के अस्पताल मे भर्ती होने की संख्या लगभग 378 थी, जो पहले सप्ताह से 66.1% ज्यादा थी। इससे पहले ये संख्या डेल्टा की लहर में 1 सिंतबर को देखी गई थी। इसके बाद अस्पताल में ज्यादा भर्ती होने वालों में 18-29 साल के उम्र के लोग हैं। हालांकि, बुजुर्गों की तुलना में इनमें गंभीर बीमारी का खतरा कम है।
टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल के पैथोलॉजिस्ट और इम्यूनोलॉजिस्ट जिम वर्सालोविक ने AFP को बताया, 'मुझे लगता है कि इस समय ये बस एक नंबर गेम है। हमें अब तक जो समझ आया है उसके आधार पर हम ये कह सकते हैं कि ओमिक्रॉन अधिक गंभीर संक्रमण नहीं कर रहा है लेकिन ये बच्चों को ज्यादा संक्रमित कर रहा है। यही वजह है कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है। हालांकि बच्चों में भी बड़ों की तरह ओमिक्रॉन से हल्की बीमारी ही देखने को मिल रही है।'
न्यूयॉर्क में नॉर्थवेल हेल्थ हॉस्पिटल सिस्टम के बाल रोग विशेषज्ञ हेनरी बर्नस्टीन का कहना है, 'भले ही गंभीर रूप से बीमार हो रहे बच्चों का प्रतिशत कम हो, लेकिन बड़ी संख्या का छोटा प्रतिशत भी बहुत बड़ी संख्या होती है। बुजुर्गों की तुलना में कम उम्र के लोग ज्यादा संक्रमित और अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। इसकी बड़ी वजह ये है कि यहां 5-11 साल के बच्चों की वैक्सीनेशन दर बहुत धीमी है।'
वैक्सीन ही बचाव हैएक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन लेने में समय की बर्बादी बिल्कुल नहीं करनी चाहिए और ये बात हर किसी पर लागू होती है। डॉक्टर्स का कहना है कि अभी अस्पतालों में जिनकी हालत गंभीर हो रही है उनमें से अधिकतर वही हैं जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है।
भारत में भी 3 जनवरी से 15 से 18 साल की उम्र के बच्चों को कोरोना की वैक्सीन लगनी शुरू हो जाएगी। वहीं 2-15 साल तक के बच्चों के लिए वैक्सीन का ट्रायल जारी है। भारत बायोटेक के अनुसार दूसरे और तीसरे चरण की स्टडी में उनकी कोरोना वैक्सीन BBV152 (Covaxin) कम उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षित और इम्युनोजेनिक पाई गई है।
आपको बता दे, भारत में ओमिक्रॉन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। भारत में सिर्फ 29 दिनों में ही 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ओमिक्रॉन पहुंच चुका है। गुरुवार तक देश में ओमिक्रॉन के 1270 के आंकड़े तक पहुंच गई। महाराष्ट्र में नए वैरिएंट के केस 450 तक हो गए हैं। महाराष्ट्र के बाद दिल्ली ओमिक्रॉन के 320 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है। यहां 57 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 263 अभी भी इलाजरत हैं। वहीं 97 केस के साथ केरल देशभर में तीसरे नंबर पर है। यहां कुल 109 मरीज हैं, जिनमें से सिर्फ 1 रिकवर हो चुका हैं और 108 का अभी भी इलाज करवा रहे हैं। वहीं गुजरात (97) और राजस्थान (69) चौथे और पांचवें स्थान पर हैं।
देश के 8 राज्य अभी भी ओमिक्रॉन से बचे हुए हैं। इनमें झारखंड, छत्तीसगढ़, सिक्किम, मिजोरम, त्रिपुरा, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय शामिल हैं।
देश में ओमिक्रॉन के सबसे पहले दो मामले 2 दिसंबर को कर्नाटक में मिले थे। 14 दिसंबर को मामले बढ़कर 50 हुए। 17 दिसंबर को मामलों की संख्या 100 हुई। 200 केस होने में सिर्फ 5 दिन लगें। अब यह आंकड़ा 1000 के पार हो गया है।