खाने-पीने की इन चीजों को लेकर दिमाग में चल रहे इन भ्रम को आज ही करें दूर, ये है सच्चाई!

प्रतिदिन सेब खाने से आपको डॉक्टर का मुंह देखने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, इस कहावत पर विश्वास करने वालों में पांच साल से ज़्यादा उम्र वालों की संख्या संभवत: बहुत कम होगी। या फिर यह मानने वालों की कि सैंडविचेस को क्रस्ट के साथ खाना ज़्यादा सेहतमंद होता है, क्योंकि उनमें सभी विटामिन्स होते हैं। लेकिन बात जब बड़ी और ज़्यादा चर्चित मिथकों की हो तो किन पर विश्वास करें और किन पर नहीं, यह तय कर पाना मुश्क़िल होता है। मानव शरीर की बनावट बेहद जटिल है और कई दफ़ा इस पर आधारित ज़्यादातर थियरीज़ का कोई आधार ही नहीं होता है।


सुपऱफूड्स में सुपरपावर्स होते हैं

सच्चाई :
इनके अपने लाभ हैं, लेकिन इनमें कोई जादुई गुण नहीं होते। तृप्ति गुप्ता, डाइटिशियन, वेलनेस कंसल्टेंट और आइपिंक द कलर ऑफ़ हेल्थ की संस्थापक बताती हैं,‘‘सुपऱफूड का मतलब होता है न्यूट्रिशन से भरपूर आहार, जो बाकि़यों की तुलना में थोड़ा ज़्यादा पोषण प्रदान करता है, लेकिन आप उस पर एकदम से तो नहीं टूट पड़ सकती ना! अपने शरीर की ज़रूरत का ध्यान रखते हुए इनके सेवन में संतुलन बनाए रखें।’’


व्हे प्रोटीन्स युवा बॉडी बिल्डर्स के लिए होते हैं

सच्चाई :
व्हे प्रोटीन्स को बहुत ग़लत समझा जाता है-ये मुख्य रूप से मांसपेशियां बनाने वाले, जल्दी अवशोषित होने वाले, अमीनो एसिड के सरल प्रकार हैं, जो कि मांसपेशियों को दुरुस्त करने में असरदार हैं। तृप्ति कहती हैं,‘‘व्हे प्रोटीन्स का सप्लिमेंट ज़रूरी नहीं कि आपकी मांसपेशियों को बनाने के लिए दिया गया हो। संभव है कि यह आपके शरीर की प्रोटीन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए दिया गया हो, ख़ास तौर पर इसलिए क्योंकि भारतीय भोजन ज़्यादातर कार्ब आधारित होते हैं।

जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपकी प्रोटीन की आवश्यकता भी बढ़ती जाती है और मांसपेशियों की क्षति की गति बढ़ जाती है। बुज़ुर्गों के लिए यह बहुत ज़रूरी हो जाता है कि वे अपनी डाइट में उपयुक्त प्रोटीन सप्लिमेंट्स शामिल करें, ताकि मांसपेशियों को दुरुस्त करने, ताक़त पाने और स्टैमिना को बनाए रखने में उन्हें मदद मिल सके। ये वर्कआउट के बाद लिया जाने वाला आहार नहीं है। रोज़ाना के अपने प्रोटीन की ज़रूरत को पूरा करने के लिए इसे आप किसी भी समय के भोजन के साथ ले सकती हैं।


खाने के बीच पानी पीने से पोषण नष्ट हो जाता है

सच्चाई :
तृप्ति इस चर्चित मिथक को तोड़ते हुए कहती हैं: ‘‘अपने पेट को एक मिक्सर की तरह समझें, जिसे भोजन को मथना है और उनके अवशोषण के लिए उन्हें तैयार करना है। अब, यदि आपके भोजन में पुराने समय की तरह दाल, करीज़ और छाछ जैसी चीज़ें शामिल हैं तो आपका काम बिना पानी के चल सकता है। लेकिन यदि बात आजकल के हमारे सूखे भोजन की करें, जिनमें सैंडविचेज़ या रोटियां शामिल होती हैं तो हमें इनके पाचन के लिए तरल पदार्थों की ज़रूरत होती है। पानी अच्छे पाचन के लिए बेहद ज़रूरी है।’’


वॉटर रिटेंशन की समस्या हो तो कम पानी पीएं

सच्चाई :
तृप्ति ने पाया कि उनके ज़्यादातर क्लाइंट्स जो सूजन या चेहरे और पैर के फूलने जैसी समस्याओं से परेशान होते हैं अक्सर पानी पीने से बचते हैं। वे तुरंत उनके इस मिथक को तोड़ती हैं। ‘‘पानी का ठहराव प्रोटीन की कमी, इलेक्ट्रोलाइट के नकारात्मक संतुलन या अन्य किसी मेडिकल स्थिति की वजह से होता है। कम पानी पीने से शरीर पानी इकट्ठा करने लगता है, क्योंकि उसे न्यूट्रिएन्ट्स को पूरे शरीर में पहुंचाने और कई बुनियादी प्रक्रियाओं को अंजाम देने के लिए पानी की ज़रूरत होती है। वह पानी संरक्षित करने लगता है और इससे समस्या और भी गंभीर हो जाती है।’’


फ़ैट्स ख़राब होते हैं

सच्चाई :
यदि आप बेहद पतले शरीर के चक्कर में लो-फ़ैट चीज़ों की तलाश में रहती हैं तो आप ग़लत दिशा में जा रही हैं। फ़ैट्स आपके दुश्मन नहीं है। तृप्ति इसकी पक्षधर हैं। ‘‘फ़ैट सबसे ज़्यादा ग़लत समझा जाने वाला न्यूट्रिएंट है। हमें सेहतमंद फ़ैट्स की ज़रूरत होती है, जैसे-ऑलिव ऑयल, मूंगफली का तेल, राइस ब्रैन ऑयल, एक्स्ट्रा वर्जिन कोकोनट ऑयल, घी और फलियां-जो कि ओमेगा-३ के समृद्ध स्रोत हैं। पके हुए ठंडे गोश्त, प्रोसेस्ड फ़ूड्स और उच्च सोडियम वाले पैकेज्ड फ़ूड्स हमारी सेहत के लिए अच्छे नहीं होते और हमें इन्हें अपनी डाइट से हटाना चाहिए।’’


डाइट करने वालों के लिए रेस्तरां का खाना ख़राब होता है

सच्चाई :
डाइट का अनुसरण करना कोई सज़ा नहीं है, बल्कि यह तो अपनी जीवनशैली में कुछ सुधार लाने से जुड़ा होता है। इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं होता कि आप उन सभी सोशल इवेंट्स में जाना बंद कर दें, जहां खाने-पीने का आयोजन हो। जब आप बाहर खाती हैं तो वहां ऐसे कई सेहतमंद विकल्प होते हैं, जिनमें से आप चुन सकती हैं। तृप्ति बताती हैं,‘‘भाप पर पके डिम सम्स, हरा-भरा सलाद, क्लियर सूप्स, भुनी हुई सब्ज़ियां, इडली या मल्टीग्रेन सैंडविचेस चुनें।’’


फ्रूट जूस, वज़न कम करने में आपकी मदद करते हैं

सच्चाई :
फ्रूट जूस कैलोरी से भरपूर ड्रिंक्स होते हैं। तृप्ति कहती हैं,‘‘जैसे एक ग्लास संतरे का जूस बनाने के लिए आपको 4-5 संतरों के रस की ज़रूरत होगी, वहीं आप केवल एक संतरा भी खा सकती हैं। इसके अलावा फलों की सबसे अहम् चीज़ उनके फ़ाइबर्स जूस निकालने की प्रक्रिया में अलग हो जाते हैं और आपका जूस एक फ्रकटोज़ समृद्ध ड्रिंक बनकर रह जाता है। जूस के बजाय एक पूरे फल को उसके फ़ाइबर्स के साथ चुनना डाइट कर रहे और कैलोरी को नियंत्रित कर रहे लोगों के लिए ज़्यादा बेहतर निर्णय होगा।


कार्ब्स से बचें और ढेर सारा प्रोटीन लें, इससे आपका वज़न घट जाएगा

सच्चाई :
सबसे सेहतमंद आहार भी आपके लिए ख़राब साबित हो सकता है, यदि आपको यह पता न हो कि इस पर कब रोक लगानी है। तृप्ति सचेत करते हुए कहती हैं कि आप अंडों और स्प्राउट्स पर ज़िंदा नहीं रह सकती हैं और न ही इनसे सेहतमंद ढंग से वज़न कम कर सकती हैं। आपके शरीर को न्यूट्रिएन्ट्स के संतुलन की ज़रूरत होती है। सेहतमंद ढंग से वज़न कम करने और शरीर को उस स्थिति में बनाए रखने के लिए समझदार और व्यावहारिक जीवनशैली और सेहतमंद डाइट योजना की ज़रूरत होती है।


गर्म पानी से नहाना सुकूनदेह होता है

सच्चाई : डॉ माधुरी अग्रवाल, संस्थापक और मेडिकल डायरेक्टर, यावना एस्थेटिक्स क्लीनिक, कहती हैं कि त्वचा के लिहाज़ से यह आदत काफ़ी नुक़सानदेह हो सकती है। ‘‘लंबा गर्म शावर आपकी त्वचा के नैसर्गिक ऑयल्स को नुक़सान पहुंचा सकता है। यह आपकी त्वचा को रूखा, अधिक संवेदनशील बनाने के साथ-साथ खुजली को बढ़ावा दे सकता है। बजाय इसके गुनगुने पानी से कुछ देर के लिए नहाएं।’’