मैग्नीशियम : बहुत आवश्यक खनिज पदार्थ, इसलिए हो जाती है कमी, इन चीजों से बचें

मैग्नीशियम एक ऐसा खनिज पदार्थ है जो शरीर के लिए बहुत आवश्यक है। शरीर के लिए छः खनिज मुख्य रूप से जरूरी होते हैं। कैल्शियम, मैग्नीशियम, क्लोराइड, फास्फोरस, पोटेशियम और सोडियम। इनका शरीर को स्वस्थ तरीके से काम करने में अपना अलग महत्व होता है। शरीर में मौजूद मैग्नीशियम का अधिकतर हिस्सा हड्डी, मांसपेशियों और ऊतकों में होता है।

रक्त में लगभग एक प्रतिशत मैग्नीशियम ही होता है, अतः रक्त की जांच से मैग्नीशियम की कमी का पता नहीं चलता है। इस कारण अक्सर लोगों में इसकी कमी होने पर भी इलाज की जरुरत महसूस नही हो पाती और मैग्नीशियम की कमी से परेशानी बढ़ती चली जाती है।

मैदा से बने फ़ास्ट फ़ूड तथा कोल्ड ड्रिंक का अधिक चलन, आरओ के पानी का उपयोग, स्ट्रेस, शराब की आदत, पाचन की समस्या आदि के कारण मैग्नीशियम की कमी होने की संभावना बढ़ गई है। शरीर में मैग्नीशियम की मात्रा गुर्दे द्वारा नियंत्रित होती रहती है। गुर्दे अतिरिक्त मात्रा को शरीर से बाहर निकाल देते हैं। आहार के माध्यम से मैग्निशियम की पूर्ती होती रहनी जरूरी होती है।

मैग्नीशियम की कमी के लक्षण

मैग्नीशियम की कमी का पता चलना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि रक्त की जांच से इसका पता नहीं चलता। लेकिन अधिक समय तक मैग्नीशियम की कमी बनी रहने से यह समस्या स्थायी हो जाती है। भोजन से मैग्नीशियम की उचित मात्रा मिलते रहने से हृदय रोग, स्ट्रोक, मोटापा आदि से बचाव होता है, याददाश्त ठीक रहती है और मूड अच्छा रहता है। मैग्नीशियम की कमी के कारण मांसपेशियों की जकड़न, हृदय रोग, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, माइग्रेन, डिप्रेशन, ऑस्टियोपोरोसिस आदि परेशानी हो सकती है।

मैग्नीशियम की कमी के सामान्य रूप से ये लक्षण हो सकते हैं :

— मांसपेशी की कमजोरी तथा उनमें जल्दी से जकड़न या ऐंठन आ जाना

— हाथ पैरों में कम्पन होना

— थकान लगना

— ताकत में कमी महसूस होना

— चिड़चिड़ाहट होना

— ब्लड प्रेशर बढ़ना

— चेहरे पर त्वचा का कम्पन दिखाई देना

— आंख फड़कना

— अनिद्रा

— हृदय की धड़कन असामान्य होना

— पुराना दर्द


पीने के पानी में खनिज तत्वों की कमी

जहां पीने के पानी में खनिज अधिक मात्रा में पाए जाते हैं वहां शरीर में मैग्नीशियम जैसे तत्वों की कमी होने की संभावना कम होती है। सॉफ्ट वाटर का उपयोग कभी-कभी मैग्नीशियम की कमी का कारण बन जाता है। घरों में साफ पानी के लिए RO सिस्टम लगाए जाते हैं। RO सिस्टम हानिकारक तत्व के साथ पानी से मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे फायदेमंद खनिज भी कम कर देता है। इस प्रक्रिया से साफ किए हुए पानी में अतिरिक्त खनिज मिलाने पर उनकी पूर्ती हो सकती है।


नियमित रूप से कोल्ड ड्रिंक पीना

कोल्ड ड्रिंक में फॉस्फेट तथा शक्कर की उच्च मात्रा के कारण यह शरीर में मौजूद मैग्नीशियम की अधिक मात्रा बाहर निकल जाने का कारण बनता है। ये मैग्नीशियम से चिपककर उसे शरीर में अवशोषित होने से रोकते हैं और उसे बाहर निकाल देते हैं। इस वजह से पौष्टिक भोजन होते हुए भी इसके साथ कोल्ड ड्रिंक पीने से शरीर को मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे खनिज उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। अतः टीवी के विज्ञापन से प्रभावित होकर या किसी की नक़ल करके नहीं बल्कि फायदे नुकसान देखकर ही किसी चीज का सेवन करना चाहिए।

नियमित रूप से पेस्ट्री, केक, मिठाई आदि खाना

इनमें मौजूद शक्कर के कारण मैग्नीशियम गुर्दों के माध्यम से शरीर से बाहर निकलता है। गन्ने से शक्कर बनने की प्रक्रिया में उसमे से मैग्नीशियम निकल जाता है। जितना अधिक मात्रा में शक्करयुक्त आहार लेते हैं उतना ही मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।


तनाव

शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के तनाव में मैग्नीशियम का उपयोग बढ़ जाता है। किसी प्रकार की सर्जरी होने पर या मानसिक तनाव अधिक होने से मैग्नीशियम की कमी हो जाती है। इस कमी के कारण तनाव और बढ़ जाता है। इससे परिस्थिति और बिगड़ जाती है। अतः ऐसे में अधिक मात्रा में मैग्नीशियमयुक्त आहार लेना ठीक रहता है।


चाय, कॉफी या इन जैसे अन्य पेय का अधिक उपयोग

मैग्नीशियम की मात्रा को गुर्दे नियन्त्रित करते हैं। अधिक मात्रा को गुर्दे बाहर निकाल देते हैं। लेकिन कैफीनयुक्त पेय लेने से कुछ जरुरत से ज्यादा ही मैग्नीशियम गुर्दे बाहर निकाल देते हैं। अतः आप अधिक मात्रा में चाय-कॉफी आदि लेते हैं तो आपमें मैग्नीशियम की कमी हो सकती है।


नियमित शराब पीना

शराब पीने से गुर्दे अधिक मात्रा में मैग्नीशियम को बाहर निकाल देते हैं। शराब पीने वाले लगभग 30% लोगों में मैग्नीशियम की कमी पाई जाती है। इसे पाचन तंत्र ख़राब हो जाता है और विटामिन D की भी कमी हो जाती है। यह भी मैग्नीशियम की कमी का भी कारण बन सकता है।