वर्तमान समय में देखा जा रहा हैं कि ह्रदय से जुड़ी बिमारियों से मरने वालों का आंकड़ा बहुत बढ़ता जा रहा हैं। इसका मुख्य कारण बनता हैं समय रहते बीमारी का पता नहीं चल पाना। जी हां, कई लोगों को दिल से जुड़ी बीमारियां होती हैं जिसका प्रारंभिक तौर पर पता ही नहीं चल पाता हैं या लोग इनके लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं जो आगे चलकर जानलेवा साबित हो सकता हैं। ह्रदय से जुड़ी कई बीमारियां ऐसी हैं जिनके बारे में लोगों को पता ही नहीं हैं। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसी ही बिमारियों और इनके लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं ताकि इन्हें जानकर समय रहते उचित इलाज पाया जा सकें।
बार्लो सिंड्रोम
माइट्रल वाल्व के एक या अधिक फ्लैप फ्लॉपी और इनके ठीक से बंद न होने की स्थिति को बार्लो सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। यह एक प्रकार का हृदय वाल्व रोग है, जो माइट्रल वाल्व को प्रभावित करता है। 1966 में दक्षिण अफ्रीका के प्रोफेसर जॉन ब्रेरेटन बार्लो ने इस समस्या के बारे में जानकारी इकठ्ठा की थी और उनके नाम पर ही इस समस्या को बार्लो सिंड्रोम नाम दिया गया। इस बीमारी को कैनरी सिंड्रोम भी कहा जाता है।
बीमारी के लक्षण
- अनियमित दिल की धड़कन (अतालता)
- चक्कर आना या हल्कापन
- सांस लेने में कठिनाई
- थकान
- छाती में दर्द
एबस्टीन एनोमली
दिल से जुड़ी इस गंभीर और दुर्लभ स्थिति का नाम जर्मन डॉक्टर विल्हेम एबस्टीन के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने पहली बार 1866 में इस समस्या के बारे में जानकारी दी थी। एबस्टीन एनोमली एक जन्मजात यानी जन्म के समय से ही होने वाली समस्या है जिसमें हार्ट वाल्व (दाएं आलिंद और दाएं वेंट्रिकल के बीच ट्राइकसपिड वाल्व) में से एक ठीक से नहीं बनता है। इसकी वजह से हार्ट में ब्लड लीकेज की समस्या हो सकती है।
बीमारी के लक्षण
- सांस लेने में समस्या
- थकान
- दिल की धड़कन का असामान्य होना
- कम ऑक्सीजन (सायनोसिस) के कारण होठों और त्वचा का नीला पड़ना
कार्डियक सिंड्रोम X
कार्डियक सिंड्रोम X दिल से जुड़ी एक गंभीर और दुर्लभ बीमारी है और यह समस्या ज्यादातर एंजाइना और सीने में दर्द का अनुभव करने वाले लोगों में होती हैं। इस बीमारी के बारे में किये गए शोध और रिपोर्ट्स के मुताबिक सीने में गंभीर दर्द करने वाले मरीजों में अध्ययन के बाद इस बीमारी के बारे में पता चला था। तमाम शोध और अध्ययन के बाद 1973 में डॉ हार्वे केम्प ने इस बीमारी को सिंड्रोम एक्स शब्द दिया, जो बाद में कार्डियक सिंड्रोम एक्स के रूप में जाना जाने लगा। इसे अब आमतौर पर माइक्रोवैस्कुलर एनजाइना के रूप में जाना जाता है, और इस बीमारी में हृदय में मौजूद छोटी धमनियों में असामान्यता देखी जाती है।
बीमारी के लक्षण
- सीने में गंभीर दर्द
- एंजाइना
- धमनियों में दिक्कत
प्रिंजमेंटल एंजाइना
हृदय में रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं में ऐंठन और सामान्य रक्त प्रभाव के बाधित होने की समस्या को प्रिंजमेंटल एंजाइना कहते हैं। यह दिल से जुड़ी एक गंभीर और दुर्लभ बीमारी है। यह समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है। इस बीमारी का नाम अमेरिकी डॉक्टर मायरोन प्रिंजमेटल के नाम पर रखा गया है। ज्यादातर लोगों में यह समस्या असंतुलित खानपान और कोरोनरी हार्ट डिजीज की वजह से होती है।
बीमारी के लक्षण
- सीने में गंभीर दर्द
- रक्त वाहिकाओं में ऐंठन की वजह से बेहोशी
- हार्ट अटैक
ईसेनमेंजर सिंड्रोम
ईसेनमेंजर सिंड्रोम भी एक जन्मजात बीमारी है जिसमें दाएं और बाएं हृदय में से एक में असामान्यता देखने को मिलती है। यह समस्या दिल के कक्षों के बीच में एक छेद होने की वजह से होती है।
बीमारी के लक्षण
- अत्यधिक थकान
- सांस लेने में तकलीफ
- ब्लड प्रेशर का बढ़ना
- चक्कर आना और सीने में दर्द
टेट्रालजी ऑफ फॉलोट
साल 1888 में फ्रांसीसी डॉक्टर एटियेन-लुई आर्थर फॉलोट ने इस समस्या की खोज की थी। टेट्रालॉजी ऑफ फैलोट एक जन्मजात हृदय की बीमारी है जो तब होती है जब बच्चे दिल के चार संरचनात्मक दोषों के साथ पैदा होते हैं। इस समस्या के साथ पैदा होने वाले बच्चों में ये पल्मोनरी स्टेनोसिस, ओवरराइडिंग महाधमनी, वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट जन्म से मौजूद होते हैं।
बीमारी के लक्षण
- रक्त में ऑक्सीजन के निम्न स्तर (सायनोसिस) के कारण त्वचा का नीला पड़ना
- सांस की तकलीफ
- वजन बढ़ना।
- खेलने या व्यायाम के दौरान आसानी से थक जाना
- चिड़चिड़ापन
- लंबे समय तक रोना
- बेहोशी
कोनिस सिंड्रोम
कोनिस सिंड्रोम एनजाइना से जुड़ी हुई समस्या है और इसे एलर्जी की प्रतिक्रिया की वजह से होने वाला हार्ट अटैक भी कहा जाता है। कोनिस सिंड्रोम को ग्रीक हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर निकोलस जी कोनिस के नाम पर रखा गया है।
बीमारी के लक्षण
- धमनियों में ऐंठन
- दिल की धड़कन का अनियमित होना
- सांस लेने में दिक्कत
- उल्टी