गिलोय : हर अंग के लिए वरदान बन रोगों से करे ‘जंग’, यहां जानें प्रयोग का सही तरीका

गिलोय के पत्ते स्वाद में कसैले, कड़वे और तीखे होते हैं। गिलोय का उपयोग कर वात-पित्त और कफ को ठीक किया जा सकता है। यह पचने में आसान होती है, भूख बढ़ाती है, साथ ही आंखों के लिए भी लाभकारी होती है। आप गिलोय के इस्तेमाल से प्यास, जलन, डायबिटीज, कुष्ठ और पीलिया रोग में लाभ ले सकते हैं।

इसके साथ ही यह वीर्य और बुद्धि बढ़ाती है और बुखार, उलटी, सूखी खांसी, हिचकी, बवासीर, टीबी, मूत्र रोग में भी प्रयोग की जाती है। महिलाओं की शारीरिक कमजोरी की स्थिति में यह बहुत अधिक लाभ पहुंचाती है। गिलोय के औषधीय गुण और गिलोय के फायदे बहुत तरह की बीमारियों के लिए उपचारस्वरूप इस्तेमाल किया जाता है। गिलोय का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और तरीका का सही ज्ञान होना ज़रूरी है।


आँखों के रोग में फायदेमंद गिलोय

- गिलोय के औषधीय गुण आँखों के रोगों से राहत दिलाने में बहुत मदद करते हैं। इसके लिए 10 मिली गिलोय के रस में 1-1 ग्राम शहद व सेंधा नमक मिलाकर खूब अच्छी प्रकार से खरल में पीस लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे अँधेरा छाना, चुभन, और काला तथा सफेद मोतियाबिंद रोग ठीक होते हैं।

- गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़ा में एक ग्राम पिप्पली चूर्ण व शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से आँखों की रौशनी बढ़ जाती है। गिलोय का सेवन करते समय एक बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि इसका सही मात्रा और सही तरह से सेवन करने पर ही गिलोय के फायदे का सही तरह से उपकार आँखों को मिल सकता है।

कान की बीमारी में फायदेमंद गिलोय का प्रयोग

गिलोय के तने को पानी में घिसकर गुनगुना कर लें। इसे कान में 2-2 बूंद दिन में दो बार डालने से कान का मैल निकल जाता है। कान के बीमारी से राहत पाने के लिए सही तरह से इस्तेमाल करने पर गिलोय के फायदे मिल सकते हैं। गिलोय का औषधीय गुण बिना कोई नुकसान पहुँचाये कान से मैल निकालने में मदद करते हैं, इससे कानों को नुकसान भी होता है।

हिचकी को रोकने के लिए करें गिलोय का इस्तेमाल

गिलोय तथा सोंठ के चूर्ण को नसवार की तरह सूँघने से हिचकी बन्द होती है। गिलोय चूर्ण एवं सोंठ के चूर्ण की चटनी बना लें। इसमें दूध मिलाकर पिलाने से भी हिचकी आना बंद हो जाती है। गिलोय के फायदे का सही मात्रा में उपयोग तभी हो सकता है जब आप उसका सही तरह से प्रयोग करेंगे।


टीबी रोग में फायदेमंद गिलोय का सेवन

गिलोय के औषधीय गुण टीबी रोग की समस्याओं से निजात दिलाने में मदद करते हैं लेकिन इनको औषधि के रुप में बनाने के लिए इन सब चीजों के साथ मिलाकर काढ़ा बनाने की ज़रूरत होती है। अश्वगंधा, गिलोय, शतावर, दशमूल, बलामूल, अडूसा, पोहकरमूल तथा अतीस को बराबर भाग में लेकर इसका काढ़ा बनाएं। 20-30 मिली काढ़ा को सुबह और शाम सेवन करने से राजयक्ष्मा मतलब टीबी की बीमारी ठीक होती है। इस दौरान दूध का सेवन करना चाहिए। इसका सही तरह से सेवन ही यक्ष्मा में गिलोय के फायदे से पूरी तरह से लाभ उठा सकते हैं।

गिलोय के सेवन से उल्टी रुकती है

एसिडिटी के कारण उल्टी हो तो 10 मिली गिलोय रस में 4-6 ग्राम मिश्री मिला लें। इसे सुबह और शाम पीने से उल्टी बंद हो जाती है। गिलोय के 125-250 मिली चटनी में 15 से 30 ग्राम शहद मिला लें। इसे दिन में तीन बार सेवन करने से उल्टी की परेशानी ठीक हो जाती है। 20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार के कारण होने वाली उलटी बंद होती है। अगर उल्टी से परेशान है और गिलोय के फायदे का पूरा लाभ उठाने के लिए उसका सही तरह से सेवन करना चाहिए।


गिलोय के इस्तेमाल से बवासीर का उपचार

हरड़, गिलोय तथा धनिया को बराबर भाग (20 ग्राम) लेकर आधा लीटर पानी में पका लें। जब एक चौथाई रह जाय तो खौलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़ा में गुड़ डालकर सुबह और शाम पीने से बवासीर की बीमारी ठीक होती है। काढ़ा बनाकर पीने पर ही गिलोय के फायदे पूरी तरह से मिल सकते हैं।

गिलोय के सेवन से कब्ज का इलाज

गिलोय के औषधीय गुणों के कारण उसको 10-20 मिली रस के साथ गुड़ का सेवन करने से कब्ज में फायदा होता है। सोंठ, मोथा, अतीस तथा गिलोय को बराबर भाग में कर जल में खौला कर काढ़ा बनाएं। इस काढ़ा को 20-30 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से अपच एवं कब्ज की समस्या से राहत मिलती है। गिलोय के फायदे का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए गिलोय का सही तरह से इस्तेमाल करना भी ज़रूरी होता है।

पीलिया रोग में गिलोय से फायदा

गिलोय के औषधीय गुण पीलिया से राहत दिलाने में बहुत मदद करते हैं। गिलोय के फायदे का लाभ उठाने के लिए सही तरह से प्रयोग करना भी ज़रूरी होता है।
- गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।- गिलोय के 10-20 पत्तों को पीसकर एक गिलास छाछ में मिलाकर तथा छानकर सुबह के समय पीने से पीलिया ठीक होता है।
- गिलोय के तने के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला बनाकर पहनने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
- पुनर्नवा, नीम की छाल, पटोल के पत्ते, सोंठ, कटुकी, गिलोय, दारुहल्दी, हरड़ को 20 ग्राम लेकर 320 मिली पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा को 20 मिली सुबह और शाम पीने से पीलिया, हर प्रकार की सूजन, पेट के रोग, बगल में दर्द, सांस उखड़ना तथा खून की कमी में लाभ होता है।
- गिलोय रस एक लीटर, गिलोय का पेस्ट 250 ग्राम, दूध चार लीटर और घी एक किलो लेकर धीमी आँच पर पका लें। जब घी केवल रह जाए तो इसे छानकर रख लें। इस घी की 10 ग्राम मात्रा को चौगुने गाय के दूध में मिलाकर सुबह और शाम पीने से खून की कमी, पीलिया एवं हाथीपाँव रोग में लाभ होता है।

लीवर विकार को ठीक करता है गिलोय

18 ग्राम ताजी गिलोय, 2 ग्राम अजमोद, 2 नग छोटी पीपल एवं 2 नग नीम को लेकर सेक लें। इन सबको मसलकर रात को 250 मिली जल के साथ मिट्टी के बरतन में रख दें। सुबह पीस, छानकर पिला दें। 15 से 30 दिन तक सेवन करने से लीवन व पेट की समस्याएं तथा अपच की परेशानी ठीक होती है।

डायबिटीज की बीमारी में करें गिलोय का उपयोग

गिलोय जिस तरह डायबिटीज कंट्रोल करने में फायदेमंद होता है लेकिन जिन्हें कम डायबिटीज की शिकायत हो, उन्हें गिलोय के नुकसान से सेहत पर असर भी पड़ सकता है।
- गिलोय, खस, पठानी लोध्र, अंजन, लाल चन्दन, नागरमोथा, आवँला, हरड़ लें। इसके साथ ही परवल की पत्ती, नीम की छाल तथा पद्मकाष्ठ लें। इन सभी द्रव्यों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर, छानकर रख लें। इस चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे डायबिटीज में लाभ होता है।
- गिलोय के 10-20 मिली रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से भी डायबिटीज में फायदा होता है।
- एक ग्राम गिलोय सत् में 3 ग्राम शहद को मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से डायबिटीज में लाभ मिलता है।
- 10 मिली गिलोय के रस को पीने से डायबिटीज, वात विकार के कारण होने वाली बुखार तथा टायफायड में लाभ होता है।


मूत्र में गिलोय से लाभ

गुडूची के 10-20 मिली रस में 2 ग्राम पाषाण भेद चूर्ण और 1 चम्मच शहद मिला लें। इसे दिन में तीन-चार बार सेवन करने से रुक-रुक कर पेशाब होने की बीमारी में लाभ होता है।

गठिया में फायदेमंद गिलोय

गिलोय के 5-10 मिली रस अथवा 3-6 ग्राम चूर्ण या 10-20 ग्राम पेस्ट या फिर 20-30 मिली काढ़ा को रोज कुछ समय तक सेवन करने से गिलोय के फायदे पूरी से मिलते हैं और गठिया में अत्यन्त लाभ होता है। सोंठ के साथ सेवन करने से भी जोड़ों का दर्द मिटता है।

फाइलेरिया (हाथीपाँव) में फायदा लेने के लिए करें गिलोय का प्रयोग

10-20 मिली गिलोय के रस में 30 मिली सरसों का तेल मिला लें। इसे रोज सुबह और शाम खाली पेट पीने से हाथीपाँव या फाइलेरिया रोग में लाभ होता है।

गिलोय से कुष्ठ रोग का इलाज

10-20 मिली गिलोय के रस को दिन में दो-तीन बार कुछ महीनों तक नियमित पिलाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।