सुरक्षित रखना चाहते हैं अपने दाँत तो भूलकर भी न करें ये काम

बाल्यावस्था में कुछेक बच्चों में एक ऐसी आदत पड़ जाती है जो उन्हें बड़े होने पर बहुत तकलीफ देती है। यह आदत है दाँतों से कुछ न कुछ काटते या चबाते रहने की। बचपन की यह आदत बुढ़ापे तक छूटती नहीं है। अनजाने में इस आदत के कारण व्यक्ति अपनी खूबसूरती के एक अंग दाँतों को नुकसान पहुँचा लेता है। उसकी इस आदत के कारण उसके दाँतों की खूबसूरती खत्म हो जाती है। आइए आज डालते हैं एक नजर उन आदतों पर जिनकी वजह से आप अपने खूबसूरत दाँतों को क्षतिग्रस्त कर लेते हैं।

बॉलपैन या पैंसिल चबाना

आपने कार्यस्थलों पर कई ऐसे व्यक्तियों को देखा होगा जो अक्सर अपने मुंह में बॉल पैन या पैंसिल लेकर उसे दाँतों से चबाते रहते हैं। हालांकि आजकल ऑफिसों में पूरा काम कम्प्यूटरों पर होता है लेकिन कम्प्यूटर पर काम करते हुए भी लोग अपनी टेबल पर कागज कलम रखते हुए कुछ-न-कुछ लिखते रहते हैं। जब वे कम्प्यूटर के कीबोर्ड पर काम करते हैं तो बॉल पैन या पैंसिल को अपने मुंह में रख लेते हैं और अनचाहे ही वे उसे होंठों की सहायता से इधर-उधर करते रहते हैं या फिर उसे दाँतों से चबाते रहते हैं। पैन पैंसिल को दाँतों से चबाने के कारण दाँतों के ऊपरी किनारों के टूटने का डर रहता है। टूटने से दाँतों की सुन्दरता खराब होती है।

बर्फ चबाना

कुछ लोगों में बर्फ के टुकड़े यानी कि आइस क्यूब चबाने की आदत होती है। कोल्ड ड्रिंक के गिलास में डली बर्फ को भी चबाकर खाते हैं। बर्फ के सख्त और अत्यधिक ठंडे टुकड़ों को चबाने से दांतों के किनारे टूट सकते हैं या दांत चटक सकते हैं। लंबे समय के लिए दांतों में झनझनाहट हो सकती है। इसे चबाने के कारण दांत के अंदर मौजूद मुलायम ऊतकों (टिश्यूज़) पर असर पड़ता है जिससे दांतों में लगातार दर्द हो सकता है। यदि आप बर्फ को चबाने की आदत से मजबूर हैं तो इस आदत को दूर करने के लिए कोल्ड ड्रिंक में बर्फ के टुकड़ों को डालना बंद कीजिए। साथ ड्रिंक को स्ट्रॉ से पीएं।

खट्टे का सेवन

दांतों के ऊपर सबसे बाहरी परत को एनैमल कहा जाता है, जो हमारे शरीर की हड्डी से भी ज़्यादा मजबूत होती है। यह दांतों को एसिड और रसायनों से होने वाले नुकसानों से भी बचाती है। कोई भी खाद्य या पेय पदार्थ जितना ज्यादा एसिडिक होगा, वह दांतों को उतना ही ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा। एसिडिक पेय-खाद्य पदार्थ या खट्टे फलों के नियमित सेवन से दांतों पर चढ़ी एनैमल परत स्थाई रूप से खराब हो जाती है। सोडा से लेकर टमाटर जूस, संतरा जूस, सेब का जूस, अंगूर का जूस, नींबू पानी, अनानास जूस, खट्टे फल, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, शराब, कॉफी, चाय, ये सभी एसिडिक खाद्य पदार्थ में आते हैं। इनका पीएच स्केल 7 से कम होता है जिससे ये सबसे पहले दांतों की एनैमल परत को नुकसान पहुंचाते हैं। इस परत के खराब होने या घिस जाने की वजह से ठंडा या गर्म दांतों पर लगने लगता है, तो झनझनाहट महसूस होती है। दांतों में दर्द भी हो सकता है। दांतों पर गंदे धब्बे पड़ सकते हैं। कीड़े लगने का जोखिम बढ़ जाता है। दांतों के अंदर पस भी पड़ सकता है।

दांतों से कठोर वस्तु चबाना

कुछ लोगों को नाखून चबाने की आदत होती है। कपड़ों की सिलाई करने वाले लोग भी सिलाई के दौरान बॉबी पिन को दांतों के बीच रख लेते हैं। महिलाएं बालों को खोलने या बांधने के दौरान पिन मुंह में दबा लेती हैं। इससे दांतों पर जरूरत से ज्यादा दबाव पड़ता है। सबसे पहले मसूड़ों पर इसका असर पड़ता है और दांतों की एनैमल परत को हानि पहुंचती है। नतीजतन दांतों में झनझनाहट पैदा हो सकती है और बाद में दांत टूट भी सकते हैं। दांतों का आकार बदल जाता है। दरार पड़ जाती है या कोई कोना टूट जाता है। कई मामलों में आधा दांत पूरी तरह टूट जाता है।

दांतों को कैंची या औजार समझना

आपके दांत कैंची या औजार नहीं हैं। कुछ लोग कपड़ों में लगा प्लास्टिक का टैग, टेप या धागा दांतों से तोड़ते हैं। खाने के पैकेट को भी दांतों से फाडक़र खोलते हैं। ऐसी आदतें दांतों को नुकसान पहुंचाती हैं। दांतों में दरार पड़ सकती है या इसके किनारे टूट सकते हैं। इसके अलावा मसूड़ों पर भी इसका असर पड़ता है। खासतौर पर बच्चों में ये आदत दूर करनी चाहिए।

चेन के कुंदे को दाँतों से दबाना

अक्सर आपने देखा होगा कि लोग बैग की चेन, पैंट की जिप चैन आदि की रुकावट को दूर करने के लिए उसे अपने दाँतों से जोर से दबा देते हैं। इससे वह फिर से काम करने लग जाती है। लेकिन इसका सबसे बड़ा नुकसान दाँतों को होता है। दाँतों के जरिये जो अत्यधिक दबाव उस पर पड़ता है उससे मसूडे कमजोर हो जाते हैं। इससे दांत हिलने लगते हैं या फिर कई बार ज्यादा जोर लगाने ले दाँत का ऊपरी हिस्सा टूट जाता है। यदि आप ऐसा करते हैं तो इस आदत को दूर कीजिए और अपने दाँतों को पूरी तरह से सुरक्षित रखिए।