देसी नुस्खे : दीवाली पर खाने की वजह से हुई दस्त की परेशानी से पाए निजात

दीवाली का त्यौहार जा चूका है लेकिन घरों में व्यंजनों कि भरमार अभी भी बाकि हैं। इतने व्यंजनों को देख के रुका नहीं जाता और भूख न होते हुए भी ज्यादा खा लिया जाता हैं। अब ऐसे में पेट तो खराब होना ही हैं और दस्त जैसी बीमारी का सामना करना पड़ जाता हैं। दस्त (लूज मोशन) पेट से संबंधित रोग है जिसे डायरिया भी कहते है जो पाचन तंत्र बिगड़ने के कारण हो सकती है। बड़े और बच्चे, दस्त और पेट में मरोड़ की समस्या से कोई भी प्रभावित हो सकता है। बदहज़मी और खाने पीने की गलत आदतें दस्त के प्रमुख कारण है। आज इस लेख में हम जानेंगे घरेलू उपाय और देसी नुस्खे अपना कर दस्त का इलाज कैसे करें।

* दही :

वास्तव में कुछ बैक्टीरिया आपके शरीर के लिए अच्छे होते हैं। दही में ऐसे बैक्टीरिया हैं जो आपकी पाचन तंत्र को कुशल बनाने में मदद करते हैं। दही माइक्रोबियल संक्रमण से लड़ने में भी मदद कर सकता है। इसलिए डायरिया से पीड़ित होने पर आप दिन में दही का 2-3 बार सेवन कर सकते हैं।

* सेब का सिरका (एप्पल साइडर विनेगर) :

दस्त और को ठीक करने के लिए सेब का सिरका काफी कारगर घरेलू औषधि है। यह एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह काम करता है और आंत में डायरिया फैलाने वाले जीवाणुओं को मारता है।

* केले :

दस्त से पीड़ित होने पर पके केले का सेवन बहुत लाभकारी होता है। केले में फाइबर होते हैं जो पाचन समस्याओं में मदद करते हैं। केले में मौजूद पोटेशियम सामग्री इलेक्ट्रोलाइट संतुलन के लिए भी अच्छी होती है। आप 2-3 केले एक दिन खा सकते हैं।

* अदरक :

प्राचीन आयुर्वेद के मुताबित अदरक में भी एक अच्छा उपाय होता है। यह पेट की मांशपेशियों को मजबूत बनाता है और भोजन के पेट में फंसने से रोकता है। यह आंतों के एंजाइम्स को भी उत्तेजित करता है जो अच्छे पाचन को बढ़ावा देते हैं।

* बबूल :

बबुल डायरिया और पेचिश के इलाज के लिए काफी उपयोगी है। इसकी पत्तियों का उपयोग काले जीरे के साथ खाने से डायरिया के इलाज के रूप में किया जा सकता है। इसके अलावा आप इसकी पेड़ की छाल से तैयार काढ़े को भी पी सकते हैं। इन विकल्पों में से कोई एक दिन में दो बार लिया जा सकता है।

* दालचीनी :

दालचीनी में काफी शक्तिशाली एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल प्रॉपर्टीज होती हैं जो पेट में दस्त पैदा करने वाले हानिकारक जीवों को नष्ट कर देती हैं। यह डाइजेस्टिव एंजाइम्स को उत्तेजित भी करती है।

* हल्दी :

हल्दी के एंटीबायटिक गुण बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं जो कि इस कष्टप्रद समस्या का कारण बनते हैं। यह मसाला आपके शरीर को ठीक रखने में भी मदद कर सकता है। वैकल्पिक और पूरक चिकित्सा के जर्नल में प्रकाशित 2004 के एक अध्ययन के अनुसार हल्दी का अर्क ग्रहणी के लक्षणों में सुधार ला सकता है। दस्त ग्रहणी के लक्षणों में से एक है।