देश में लाखों लोगों की समस्या बन चुका हैं डिमेंशिया, इन देसी जड़ी-बूटियों से होगा उपचार

देशभर में लाखों की संख्या में लोग डिमेंशिया की समस्या का सामना कर रहे हैं। डिमेंशिया होने पर व्यक्ति की याददाश्त, सोच और व्यवहार प्रभावित होता है। इसमें पीड़ित व्यक्ति के मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने लगता है। डिमेंशिया के रोगियों को लक्षण के तौर पर याददाश्त में कमी, बेचैनी, घबराहट और डिप्रेशन हो सकता है। तनाव की समस्या धीरे-धीरे अवसाद का रूप ले लेती है। हांलाकि ऐसा नहीं हैं कि इसका इलाज ही नहीं हो सकता हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी देसी जड़ी-बूटियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो डिमेंशिया के लक्षणों को कम करने का काम करेंगे। आइये जानते हैं इन जड़ी-बूटियों के बारे में...

दालचीनी

दालचीनी ऐसा मसाला है, जो हर घर में मौजूद होता है। वृद्ध वयस्कों और प्री-डायबिटिक लोगों के लिए दालचीनी फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि इसमें प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में ब्लड सर्कुलेशन बेटर बनाने की कैपेसिटी होती है, जो दिमाग को मजबूत और याद्दाश्त को तेज बनाती है। इसका अलावा, यह कोलेस्ट्रॉल, फास्टिंग ग्लूकोज और एचबीए1सी के लेवल को कम करने और इंसुलिन संवेदनशीलता को इम्प्रूव करने के लिए भी जानी जाती है।

अश्वगंधा

सबसे पुरानी और हर रोग में बेजोड़ अश्वगंधा ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके दिमाग की सेहत को बेहतर बनाती है जिससे मेमोरी पॉवर बूस्ट होती है। अश्वगंधा को कितना जबरदस्त तोड़ है मेमोरी लॉस का, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इसके सेवन से आप बूढ़े होने के बाद भी दिमागी तौर पर मजबूत रहेंगे और आपकी मेमोरी कभी भी नहीं कमजोर पड़ेगी।

ब्राह्मी

ब्राह्मी को बकोपा मोननेरी भी कहा जाता है। इसे आयुर्वेद में तंत्रिका टॉनिक के रूप में जाना जाता है। यह याद्दाश्त या मेमाेरी काे बढ़ावा देता है। साथ ही चिंता और तनाव भी कम करने में सहायता करता है। ब्राह्मी में चिंता-विराेधी और अवसाद-राेधी गुण हाेते हैं, जिससे डिमेंशिया के लक्षणाें में कमी आती है। ब्राह्मी जड़ी-बूटी मस्तिष्क के स्मृति केंद्र पर कार्य करके इसमें सुधार करती है। इतना ही नहीं यह नसाें की सूजन काे भी दूर करता है।

हल्दी

कुछ हेल्थ रिपोर्ट्स के मुताबिक, हल्दी दिमाग की सेहत के लिए बेहद जरूरी हर्ब है। ये आसानी से हर घर में पाई जाती है। हल्दी न सिर्फ दिमाग को तेज बनाती है बल्कि बीटा-एमिलॉइड को दिमाग से साफ कर अल्जाइमर रोग को दूर भी कर सकती है। बता दें कि, बीटा-एमिलॉइड ही वो एलिमेंट है जो दिमाग में अल्जाइमर से जुड़े ब्रेन प्लेक क्रिएट करता है। इसके अलावा, हल्दी दिमाग में नर्व सेल्स के डैमेज होने को रोककर दिमाग को चुस्त बनाने का काम भी करती है।

केसर

2016 के एक अध्ययन में पाया गया कि केसर अल्जाइमर रोग से ग्रसित लोगों में याददाश्त में सुधार कर सकता है। इसके अलावा, ईरान में तेहरान विश्वविद्यालय में कई अध्ययनों में पाया गया कि केसर हल्के से मध्यम अवसाद वाले लोगों के इलाज में अवसादरोधी दवा के रूप में प्रभावी था। अवसाद स्मृति समस्याओं और भूलने की बीमारी से जुड़ा है।

थाइम

यह स्वादिष्ट जड़ी बूटी मस्तिष्क में न्यूरॉन्स को समय से पहले बूढ़ा होने से बचाने में मदद करती है। यह मस्तिष्क में सक्रिय ओमेगा -3 डीएचए (डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड) की मात्रा को भी बढ़ाता है। ओमेगा -3 फैटी एसिड स्मृति, फंकशन और मूड को बढ़ा सकता है और मस्तिष्क शोष को कम कर सकता है।

शंखपुष्पी

याद्दाश्त कमजाेर हाेना या स्मृति हानि डिमेंशिया या मनाेभ्रंश का एक प्रमुख लक्षण हाेता है। इसमें पीड़ित व्यक्ति का दैनिक कार्य प्रभावित हाेता है। डिमेंशिया मस्तिष्क की काेशिकाओं काे नुकसान पहुंचाता है, जाे यादाें काे बनाने और पुनर्प्राप्त करने में शामिल हाेते हैं। इसके लिए शंखपुष्पी एक बेहद प्रभावी जड़ी-बूटी है। यह मस्तिष्क के उस हिस्से के कार्य में सुधार करता है, जाे चीजाें काे याद रखने में मदद करता है।

अदरक

अदरक भारतीय घराें में इस्तेमाल हाेने वाला एक सामान्य घटक है। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी ऑक्सीडेंट्स हाेते हैं, जाे कई तरह के राेगाें काे दूर करने में सहायक हाेता है। अदरक डिमेंशिया या मनाेभ्रंश के राेगियाें के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है, क्याेंकि अदरक न्यूराेडिजनरेशन से बचाता है। इसके लिए आप राेजाना अदरक का सेवन कर सकते हैं। अदरक मस्तिष्क की काेशिकाओं के पतन काे राेकने और न्यूरॉन्स बनाने में मदद करता है।