क्यों होता है घुटनों में दर्द, इन उपायों से पाई जा सकती है निजात

बढ़ती उम्र में घुटनों में दर्द होना एक आम समस्या है, आमतौर पर घुटनों का दर्द गठिया या आर्थराइटिस बीमारी के कारण ही होता है। शरीर के जोड़ों में सूजन उत्पन्न होने पर गठिया रोग होता है या जोड़ों में उपास्थि (कोमल हड्डी) भंग हो जाती है। शरीर के जोड़ ऐसे स्थल होते हैं जहां दो या दो से अधिक हड्डियाँ एक-दूसरे से मिलती है जैसे कि कूल्हे या घुटने। उपास्थि जोड़ों में गद्दे की तरह होती है जो दबाव से उनकी रक्षा करती है और क्रियाकलाप को सहज बनाती है। जब किसी जोड़ में उपास्थि भंग हो जाती है तो आपकी हड्डियाँ एक-दूसरे के साथ रगड़ खाती हैं, इससे दर्द, सूजन और ऐंठन उत्पन्न होती है और यही घुटनों में दर्द का कारण बन जाता है।

अर्थराइटिस एक आम बीमारी है और इससे जूझने वाले लोग ज्यादातर वृद्ध होते हैं, हालांकि, आजकल यह समस्या युवाओं में भी देखने को मिल रही है। यह दो तरह का होता है- ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड अर्थराइटिस।

ओस्टियोआर्थराइटिस बीमारी

जॉइंट कार्टिलेज के डैमेज की वजह से होता है। कार्टिलेज एक तरह का कुशन है, जो अक्सर जॉइंट पर होता है। ये दो हड्डियों को घिसने से रोकता है, जिससे घुटने से आवाज नहीं आती और आपके घुटने लंबे समय तक काम करते हैं। वहीं, रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून और इंफ्लेमेटरी बीमारी है, जिसका अर्थ है कि आपका इम्यून सिस्टम गलती से आपके शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करता है, जिससे शरीर के प्रभावित हिस्सों में सूजन हो जाती है। अर्थराइटिस से ग्रस्त व्यक्ति हमेशा बदन में दर्द, जोड़ों में सूजन और खास तौर पर घुटने के दर्द से पीड़ित रहते हैं। दर्द इतना ज्यादा होता है कि कई बार मरीज को बिस्तर या कुर्सी से उठने का मन नहीं करता। साथ ही, दर्द की वजह से नींद नहीं आती और शरीर थका हुआ महसूस करता है।

क्या है टाइप 2 कोलेजन

जोड़ों में सूजन और घुटने के दर्द से घर के वृद्ध काफी परेशान रहते हैं और इसके उपचार के लिए जगह-जगह चक्कर लगाते हैं। हालांकि, इस बीमारी को समझने के लिए सबसे पहले कोलेजन को समझना जरूरी है। शरीर में यह एक प्रमुख स्ट्रक्चरल प्रोटीन है, जिससे शरीर में कनेक्टिव टिशू बने है। शरीर के लगभग सभी हिस्सों में कोलेजन पाया जाता है, जिसमें हड्डियां, हेयर, स्किन, मसल्स, नाखून और जॉइंट्स शामिल है।

कोलेजन कई तरह के होते हैं, लेकिन इसमें टाइप 2 कोलेजन का संबंध जॉइंट से है। रिसर्च से पता चला है कि कार्टिलेज का 50 फीसदी हिस्सा टाइप 2 कोलेजन से बना है, जो एक तरह का हाइड्रोलाइज्ड कोलेजन टाइप 2 है। ऐसा देखा गया है कि शरीर में इस तरह के प्रोटीन की कमी बनी रहती है और इसकी कमी की वजह से घुटने समय से पहले जवाब देने लगते हैं।

घुटनों के दर्द से बचने के उपाय

जोड़ों को चोट से बचाना चाहिए

अगर जोड़ों पर चोट लगती है तो वो हड्डी को तोड़ भी सकती है, इसलिए कोशिश करें कि जोड़ों को चोट से बचाकर रख सकें, जब भी कोई ऐसा खेल खेलें जिसमें जोड़ों पर चोट लगने का डर रहता हो तब शरीर पर ज्वाइंट सेफ्टी पेड्स पहनकर रखें। अगर किसी गंभीर चोट की वजह से घुटनों में दर्द हो रहा है तो घुटनों का इलाज कराएं और डॉक्टर की सलाह के अनुसार जोड़ों के दर्द की दवा खाएं।

गतिशील रहना चाहिए

जोड़ों के दर्द से राहत के लिए सदैव गतिशील रहे। अगर जोड़ों की मूवमेंट होती रही तो आपको लंबे समय किसी भी प्रकार का कोई दर्द नहीं सताएगा। बहुत देर तक एक ही स्थिति में बैठे रहने से भी जोड़ों में कठोरता महसूस होती है।

वजन को नियंत्रित रखना चाहिए

यदि आपका वजन नियंत्रण में रहेगा तो आपका शरीर और शरीर के सारे जोड़ भी स्वस्थ रहेंगे। शरीर का ज्यादा वजन घुटनों और कमर पर अधिक दबाव डालता है और इससे आपके शरीर के कार्टिलेज के टूटने का डर बना रहता है। अब ऐसे में आपको अपने वजन को नियंत्रण में रखना बेहद जरूरी है।

ज्यादा स्ट्रेच नहीं करना चाहिए

अगर आप नियमित व्यायाम करते हैं तो व्यायाम के साथ आपको स्ट्रेचिंग करने की भी सलाह दी जाती है, तब ये बात हमेशा ध्यान में रखें कि व्यायाम करते समय स्ट्रेचिंग हफ्ते में केवल तीन बार करें। स्ट्रेचिंग को एकदम शुरु नहीं करना चा हिए, ऐसा करने की जगह पहले थोड़ा वार्मअप भी करें।

दूध पीएं

दूध में कैल्शियम और विटामिन-डी भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो जोड़ों को मजबूत रखने के लिए बेहद जरूरी होता है, इसलिए हर रोज दूध जरूर पीना चाहिए। जिससे हड्डियाँ मजबूत बनती हैं, अगर आपको दूध पसंद नहीं है तो दूध से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जैसे पनीर, दही आदि।

सही पोश्चर

जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए सही पोश्चर या आसन में उठना, बैठना और चलना बेहद आवश्यक है। आपका सही पोश्चर ही गर्दन से लेकर घुटनों तक शरीर के सभी जोड़ों की रक्षा करता है।

व्यायाम करें

जोड़ों के दर्द से निजात के लिए और अपने स्वास्थ्य की सही देखभाल के लिए आपको, व्यायाम को अपनी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बना लेना चाहिए। तैराकी करना जोड़ों के दर्द के लिए सबसे फायदेमंद व्यायाम होता है।

घुटनों के दर्द से बचने के कुछ अन्य उपाय

ऊपर बताए गए उपायों के अतिरिक्त कुछ और उपाय भी हैं जिनकी बदौलत आप घुटने के दर्द से छुटकारा पा सकते हैं—

—रात के समय चना, भिंडी, अरबी, आलू, खीरा, मूली, दही, राजमा इत्यादि का सेवन भूलकर भी नहीं करें।

—चावल, दही, ड्राई फ्रूट्स, दाल और पालक बंद कर दें। इनमें प्रोटीन बहुत ज्यादा होता है।

—रात को सोते समय दूध या दाल का सेवन करना हानिकारक है। इससे शरीर में ज्यादा मात्रा में यूरिक एसिड जमा होने लगता है। छिलके वाली दालों से पूरी तरह परहेज करें।

—नॉन वेज खाने के शौकीन है तो मीट, अंण्डा, मछली का सेवन तुरन्त बंद करें। इसे खाने से यूरिक एसिड तेजी से बढ़ता है।

—बेकरी फूड जैसे कि पेस्ट्री, केक, पैनकेक, क्रीम बिस्कुट इत्यादि ना खाएं। ट्रांस फैट से भरपूर खाना यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ाता है।

—पानी पीने के नियम भी जरूर फॉलो करना चाहिए। खाना खाते समय पानी न पीएं। पानी, खाने से एक घण्टे पहले या बाद में ही पीना चाहिए।

—यूरिक एसिड की परेशानी से बचने के लिए सोया मिल्क, जंक फूड, चटपटे खाद्य पदार्थ, ठण्डा पेय, तली-भूनी चीजें न खाएं।

—गठिया के रोगी को अधिक तापमान पर पकी चीजों का सेवन करने से भी बचना चाहिए। माइक्रोवेव या ग्रिलर में बना खाना जोड़ों को नुकसान पहुंचाता है।

—अधिक मात्रा में मीठी चीजें जैसे- चॉकलेट, केक, सॉफ्ट ड्रिंक और मैदे से बनी चीजों को खाने से शरीर में यूरिक एसिड बढ़ जाता है जो गठिया रोग बढ़ने का कारण बन जाता है।

—जंक फूड का भी पीठ दर्द से गहरा नाता होता है। अधिकांश जंक फूड शरीर को पर्याप्त पोषण प्रदान नहीं करते। इनके कारण मांसपेशियां जल्दी थक जाती हैं। दूसरी ओर, साबुत अनाज, प्रोटीन युक्त दही और सब्जियों के रूप मांसपेशियों पर सकारात्मक असर डालते हैं।