Hepatitis day: कमजोर लीवर के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं ये 4 मसाले, तुरंत शुरू करें इनका सेवन

शरीर में कोन के आकार और लाल-भूरे रंग का होता है लीवर। लीवर आपके द्वारा खाए गए भोजन को तोड़ने के लिए पित्त बनाने से लेकर, पोषक तत्वों और विटामिनों को संग्रहीत करने और शरीर को बीमारी से बचाने का काम करता है। इसके अलावा लीवर लगातार खून को फिल्टर करने, महत्वपूर्ण हार्मोन और एंजाइम बनाता है। और ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है। लीवर खराब या कमजोर होने पर उल्टी होना, कम भूख लगना, थकावट, दस्त होना, पीलिया, लगातार वजन घटना, शरीर में खुजली होना, एडिमा, पेट में तरल पदार्थ बनना आदि लक्षण नजर आते हैं। लीवर के खराब होने के पीछे खान-पान का प्रभावित होना, अल्कोहल के अधिक सेवन, एकस्ट्रा फैट, इंफेक्शन, ज्यादा मात्रा में आयरन व कॉपर का जमाव, और टॉक्सिक डेमेज हो सकते है। लीवर से जुड़ी सबसे आम बीमारी है हेपेटाइटिस। हेपेटाइटिस कई तरह के वायरस, बैक्टीरिया या परजीवी के कारण हो सकती है। आज यानी की 28 जुलाई को दुनियाभर में हेपेटाइटिस डे (Hepatitis day) मनाया जाता है। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरुक किया जा सके। हेपेटाइटिस लिवर की सूजन है। हेपेटाइटिस वायरस के पांच मुख्य प्रकार हैं - A, B, C, D और E। हेपेटाइटिस बी और सी वैश्विक स्तर पर करोड़ों लोगों में पुरानी बीमारी का कारण बनते हैं और साथ में लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर और लिवर कैंसर का सबसे आम कारण हैं। यहां तक की इसकी वजह से मौत भी हो सकती है।

ऐसे में हम आपको लीवर को मजबूत रखने के लिए कुछ नेचुरल हर्ब के बारे में बताने जा रहे हैं...

अश्वगंधा

अश्वगंधा एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो लीवर के संतुलन को बहाल करने में मदद तो करता ही है साथ ही कोशिकाओं में तनाव और विकिरण के प्रभाव को कम करने में मदद करता है और इससे होने वाली क्षति को रोकता है। पाचन तंत्र की क्रियाओं को बेहतर ढंग से पूरा करने में भी अश्वगंधा मदद करता है। साथ ही यह पित्त और संबंधित एंजाइमों के प्राकृतिक उत्पादन को बढ़ाने में भी मदद करता है। इस जड़ी बूटी के लाभों का फायदा उठाने के लिए आप अश्वगंधा पाउडर या अश्वगंधादि लेह्यम का सेवन कर सकते हैं।

​भुम्यमालकी

लीवर से संबंधित सभी विकारों के लिए फाइलेन्थस अमरुस सर्वोच्च दवा मानी जाती है। यह अक्सर हेपटोमेगाली और गंभीर सिरोसिस लीवर की स्थिति में प्रयोग किया जाता है। पारंपरिक भारतीय चिकित्सा इस रहस्यवादी जड़ी बूटी का उपयोग घर पर लीवर डिऑर्डर को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। उचित मार्गदर्शन के साथ इस पौधे का नियमित सेवन लीवर को आगे की समस्याओं से बचाने के लिए एक प्रभावी तरीके के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

​त्रिफला

त्रिफला आंवला या आंवला, चेबुलिक हरड़ या हरीतकी, और बहेड़ा या बिभीतकी को समान मात्रा में मिलाकर तैयार किया जाता है। मुख्य रूप से इसका सेवन कब्ज की समस्या से निजात पाने के लिए किया जाता है। त्रिफला लीवर के समुचित कार्य प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। लीवर की सेहत के लिए त्रिफला की गोलियां एक बेहतरीन विकल्प हो सकती हैं।

हल्दी

हल्दी भारतीय रसोई का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव के कारण लीवर डिसऑर्डर के लिए एक बेहतर विकल्प है। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट भी है जो लीवर की कोशिकाओं को डिटॉक्सीफाई करता है। इतना ही नहीं, हल्दी में मौजूद हेपाटोप्रोटेक्टिव गुण लिवर के जोखिम को कम करने में सहायक भी होते हैं।