प्राचीन समय से ही आयुर्वेद का ज्ञान हमारी सेहत के लिए लाभदायी साबित रहा हैं। आज की इस बढ़ती तकनिकी की दुनिया में भी आयुर्वेद के नियम प्रभावी हैं और उनका वैज्ञानिक महत्व भी हैं। आयुर्वेद में भोजन करने से जुड़े भी कई नियम बताए गए हैं जिनका अनुसरण कर सेहत को बेहतर बनाया जा सकता हैं। अक्सर देखने को मिलता हैं कि आप जल्दी-जल्दी में भोजन करने के दौरान कुछ गलतियां कर बैठते हैं जो सेहत के लिए अच्छा नहीं होता हैं। ऐसे में आयुर्वेद के नियम अपनाए जाने चाहिए। आज इस कड़ी में हम आपको इसी से जुड़ी जानकारी देने जा रहे कि आयुर्वेद के अनुसार हमें आहार लेते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। आइये जानते हैं इसके बारे में...
भोजन से पहले हाथों की सफाई आयुर्वेद में साफ-सफाई को काफी महत्व दिया गया है। खाने से पहले हाथ धोना बेहद जरूरी है। इसलिए अगर आप जल्दबाजी में सिर्फ पानी से हाथ धोकर खाने बैठ जाते हैं तो अब अच्छी तरह से हाथों को सैनिटाइज करके या हैंडवॉश से धोकर ही खाना खाएं।
बैठकर खाना खाएं कई बार जल्दबाजी और टीवी वगैरह देखने के चक्कर में हम खड़े होकर खाना खाने लगते हैं। यह बहुत ही अनहेल्दी है। आयुर्वेद के मुताबिक खाने को आराम से मजे लेकर खाना चाहिए। जब आप खड़े होकर खाते हैं तो डाइजेशन की प्रक्रिया रुक जाती है। इसलिए खाते वक्त सही पॉश्चर होना बेहद जरूरी है, इसके अलावा पानी भी कभी खड़े होकर न पिएं।
खाने में होने चाहिए सभी 6 रसआयुर्वेद के अनुसार, भोजन में 6 रस शामिल होने चाहिए। ये 6 रस हैं- मधुर (मीठा), लवण (नमकीन), अम्ल (खट्टा), कटु (कड़वा), तिक्त (तीखा) और कषाय (कसैला)। शरीर की प्रकृति के अनुसार ही भोजन करना चाहिए। इससे शरीर में पोषक तत्वों का असंतुलन नहीं होता।
छानकर न करें आटे का इस्तेमाल गेंहूं में फाइबर होता है। लेकिन इसका ज्यादातर फाइबर ब्राउन वाले भाग में होता है। तो आप जब भी आटा इस्तेमाल करें इस बात का ध्यान रखें कि इसे बिना छाने इस्तेमाल करें। चोकर वाला आटा सेहत के लिए अच्छा माना जाता है।
तेल का सेवन भी जरूरीआजकल मोटापे और कोलेस्ट्रॉल के चलते लोगों ने खाने में तेल की मात्रा बेहद कम कर दी है। लेकिन आयुर्वेद कहता है कि खाने में तेल को अवॉइड नहीं करना चाहिए। सीमित मात्रा में ही सही, लेकिन तैलीय भोजन करना आयुर्वेद का नियम है।
ना करें ठंडा भोजन ठंडा भोजन खाने से हमेशा बचें। कोशिश करें, जो भोजन आप कर रहे हैं, वह गर्म और ताजा हो। बता दें कि गर्म भोजन अग्रि या पाचन अग्नि को उत्तेजित करता है। इतना ही नहीं यह पाचन क्रिया को बढ़ावा देने में भी मददगार है। गर्म भोजन से मतलब भोजन इतना गर्म होना चाहिए कि आप इसे आसानी से खा सकें। बहुत ज्यादा तेज गर्म भोजन खाने से जितना बचेंगे, उतना अच्छा है। यह शरीर में पित्त दोष को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। जबकि ठंडा भोजन पाचन क्रिया को बुरी तरह से प्रभावित कर देता है।
स्टीम या हाफ बॉयल करके खाएं सब्जियां अगर आप सब्जियों को पूरी तरह या ज्यादा गला कर खाते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि आप उसे बहुत ज्यादा न पकाएं। ऐसा करने से उनके पोषक तत्व कम होते हैं। लेकिन अगर आप उनको कच्चा छोड़ देंगे, तो ये आपकी सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं। खाना बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप सब्जियों को न तो ज्यादा पकाएं न ही उन्हें कच्चा छोड़ें।
खाने की इन चीजों को आपस में न मिलाएंआयुर्वेद में खाने-पीने की कुछ चीजों का कॉम्बिनेशन सही नहीं माना गया है। जैसे किसी भी फल के साथ दूध का सेवन न करें। जिसे हम शेक समझकर पीते हैं, आयुर्वेद में उसे सेहत के लिए ठीक नहीं बताया गया है। इसी प्रकार बहुत ज्यादा ठंडी दही के साथ गर्म परांठे न खाएं। दूध के साथ कोई भी ऐसी चीज न खाएं जिसमें नमक मिला हो।
अमृत के समान है घूंट-घूंट पानी पीनाआयुर्वेद में घूंट-घूंट पानी पीना अमृत के समान बताया गया है। खाना खाने से आधा घंटा पहले और खाना खाने के आधा घंटे बाद पानी पी सकते हैं। खाने के दौरान जरूरत होने पर एक-दो घूंट पानी पी सकते हैं। खाना खाने के तुरंत पहले पानी पीने से पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है। वहीं, खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीने से मोटापा बढ़ता है। पूरे दिन में सादा या गुनगुना पानी पीना सेहतमंद माना गया है।
खाने के बीच में ना पिए पानी खाने के बीच में पानी नहीं पीना चाहिए, लेकिन अगर आप खाना खाने से आधा घंटा पहले और खाना खाने के आधा घंटे बाद पानी पीते हैं, तो ये आपके लिए काफी फायदेमंद होता है। खाने के बीच में जरूरत हो तो एक-दो घूंट पानी पीकर काम चलाएं। इसके अलावा पानी सामान्य टेंप्रेचर वाला या गुनगुना पीना चाहिए। फ्रिज का ठंडा पानी न पीएं। साथ ही घूंट-घूंट पानी पीना अमृत के समान बताया गया है।