जब भी कभी डॉक्टर के पास अपनी सेहत को दिखाने जाते हैं तो वह सबसे पहले आपकी आंखों की जांच करता है क्योंकि आंखें आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के बारे में काफी कुछ बयां करती हैं। आंखों में दिखा किसी भी तरह का बदलाव बिगड़ती सेहत की ओर इशारा करता हैं। आंखों का चेकअप सिर्फ दृष्टि दोष के लिए ही नहीं होता, बल्कि इससे कई रोगों का भी पता लगाया जा सकता है। नियमित रूप से आंखों की जांच से कई गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में जाना जा सकता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे आंखों को देखकर पता लगाया जा सकता हैं कि शरीर में कौनसी बीमारी पनपने लगी हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में...
फूली हुई और लाल आंख
अगर जागने के बाद आपकी आंख सूजी हुई और लाल दिख रही हैं तो यह एलर्जी, संक्रमण या अत्यधिक थकान का कारण हो सकती है। गर्मियों में एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस, कांटेक्ट लैंस, कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल, आंखों में चोट लगना, कॉर्नियल अल्सर, ग्लूकोमा, फैक्टरी के अलग-अलग तरह के कैमिकल्स की वजह से आंखों का रंग गहरा लाल हो सकता है। अत्यधिक अल्कोहल और शुगर लेने से भी रंग लाल हो जाता है। फूली और लाल आंख से समझ जाना चाहिए कि आपको आराम की जरूरत है।
धुंधली दृष्टि
धुंधली दृष्टि सिर्फ कम दिखने का नहीं बल्कि
डायबिटीज और मोतियाबिंद का भी संकेत हो सकती हैं। हाई ब्लड शुगर से रेटिना
की ब्लड वेसिल्स को नुकसान हो सकता है। ऐसे में डैमेज हुई ब्लड वेसिल्स में
सूजन आ जाती है, उनमें से खून आने लगता है या उनसे लिक्विड निकलने लगता
है। इस कारण स्पष्ट देखने में मुश्किल होने लगती है। धुंधलापन एक या दोनों
आंखों में भी हो सकता है। जिन लोगों का ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है उन
लोगों की दृष्टि साफ हो सकती है। वहीं मोतियाबिंद रोशनी को आंख में अंदर
जाने से रोकता है इसलिए दृष्टि धुंधली हो सकती है।
आई बैग
आंखों के नीचे लिक्विड या फिर म्यूकस जमने से बैग बनते है। आई बैग बनना इस बात का संकेत हो सकता है कि किडनी और ब्लैडर ठीक से काम नहीं कर रहे है। प्रोस्टेट की प्रॉब्लम, ओवरी और यूट्रस में किसी भी तरह की परेशानी होने पर आई बैग बन जाते हैं। ओवरी में सिस्ट, यूट्रस में गठान और कैंसर होने पर भी आई बैग बन सकते है।
सफेद धब्बे
एक्सपर्ट का कहना है कि अगर किसी के कॉर्निया पर सफेद धब्बे दिखते हैं तो उसे एक चेतावनी संकेत मानना चाहिए। कार्निया पर सफेद धब्बे दिखते हैं तो यह कॉर्नियल संक्रमण का संकेत हो सकता है। वंशानुगत सफेद मोतिया, वंशानुगत काला पानी, कॉर्नियल - ओपेसिटी, रेटिनोब्लास्टोमा नामक कैंसर, ट्यूमर आदि बीमारियों का संकेत हैं। वहीं, अंदर की पलक का रंग सफेद होना ब्लड की कमी और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का संकेत हो सकता है। इससे आंखों को धीरे-धीरे करके नुकसान हो सकता है इसलिए तुरंत किसी आंखों के डॉक्टर को दिखाएं।
गोल्डन भूरी व पीली आंखें
विल्सन्स डिजीज, लिवर और पैंक्रियाज में गड़बड़ी की वजह से पलकों का रंग गोल्डन-भूरा हो जाता है। आंखों में पीलापन, पीलिया, थैलेसीमिया और गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने से आता है।
फड़कना
शराब, कैफीन या निकोटीन का अधिक सेवन करने से आंख फड़कना आम बात है लेकिन अगर सामान्य दिनों में भी अगर किसी की आंख बार-बार फड़कती है तो यह बर्नआउट का एक प्रारंभिक संकेत हो सकता है। बर्नआउट, शारीरिक थकावट को कहते हैं। अगर आपकी आंख लगातार फड़क रही है तो इसका मतलब है कि शारीरिक मेहनत और तनाव कम करने की जरूरत है।
छल्ले
यदि किसी को अपनी आंख के सफेद हिस्से यानी कार्निया पर विशेष प्रकार के छल्ले दिखाई देते हैं तो वे हाई कोलेस्ट्रॉल का संकेत हो सकता है। यदि आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा रहता है तो उसका प्रारंभिक संकेत आंख में दिखने लगता है क्योंकि ऐसे में लिपिड कॉर्निया के बाहर चारों ओर रिंग बनाना शुरू कर देता है। 40 साल से कम उम्र के लोगों को इन पर खास ध्यान देना चाहिए और अगर आंख में छल्ले नजर आते हैं तो तुरंत एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए।
उभरी हुई आंख
आंखों के उभरी हुई दिखने की वजह थाइरॉयड हो सकता है। थाइरायड ग्रंथि की अति सक्रियता के कारण आंखों में उभार आता है। आंखे उभरी हुई दिख रही हों और उसके साथ थकान, वजन कम होना या बढ़ना, बार-बार भूख लगना जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टरी सलाह से अपना टेस्ट कराना चाहिए।
असामान्य पुतली
सामान्य तौर पर दोनों आंखों की पुतलियां एक जैसी होती हैं। लेकिन अगर इनमें असामान्यता दिखे तो ये ब्रेन ट्यूमर, स्ट्रोक जैसी बीमारियों का संकेत हो सकती हैं। कई बार दवाइयों या फिर नशीले पदार्थ लेने से भी पुतलियों में असामान्यता हो जाती है।
लटकी पलकें
वैसे तो सामान्य तौर पर लटकी पलकें बुढ़ापे की ही निशानी होती है। लेकिन कुछ मामलों में ये गंभीर स्ट्रोक या फिर ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकती हैं। पलकों के लटकने के साथ- साथ अगर आवाज में लडख़ड़ाहट के लक्षण हो तो ये पैरालिसिस का इशारा भी हो सकता है। ऐसे में खानपान पर पूरा ध्यान और साथ में पर्याप्त व्यायाम बेहद जरूरी होता है।