कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद ऑपरेशन करवाना हो सकता हैं घातक, जानें क्या कहती हैं रिसर्च

लंबे समय से कोरोना का कहर देश-दुनिया को तबाह कर रहा हैं। अभी भी लगातार नए संक्रमित सामने आ रहे हैं। हांलाकि इसपर लगाम लगाने के लिए वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा हैं। इसी के साथ कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा भी अभी थमा नहीं हैं जिसके चलते लगातार रिसर्च की जा रही हैं। ऐसी ही एक रिसर्च में सामने आया हैं कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद कुछ समय ऑपरेशन करवाना घातक साबित हो सकता हैं और इससे मौत का खतरा लगभग ढाई से तीन गुना तक बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं के इस निष्कर्ष को एनेस्थीसिया में प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययन में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स के 31 डॉक्टर्स ने भी भाग लिया।

इस अध्ययन में कहा गया कि ज्यादा रिस्क और कम रिस्क वाले उम्र समूह पर जो ये शोध किया गया, उसमें ये बात सामने आई कि अगर कोई व्यक्ति कोरोना वायरस महामारी से संक्रमित होता है, तो कम से कम सात सप्ताह के बाद ही उसकी कोई सर्जरी होनी चाहिए। क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया जाता है और इस समय से पहले कोरोना हुए व्यक्ति की कोई सर्जरी की जाती है, तो इससे उसकी मौत का खतरा काफी बढ़ जाता है।

इस ग्लोबल अध्ययन में ये बात सामने आई है कि कोरोना का शिकार हुए व्यक्ति को किसी भी ऑपरेशन करवाने से कम से कम सात सप्ताह तक बचना चाहिए। इसमें शोधकर्ताओं ने अक्टूबर 2020 के दौरान 116 देशों में वैकल्पिक या फिर आपातकालीन सर्जरी से गुजरने वाले एक लाख 40 हजार 231 मरीजों के एक समूह का अध्ययन किया। जिन लोगों को ऑपरेशन से पहले कोरोना नहीं था, और जिन्हें ऑपरेशन से पहले कोरोना था, इन दोनों मरीजों की तुलना की गई है।

अध्ययन के शुरुआती नतीजों में मरीज के ऑपरेशन के 30 दिन के अंदर उसकी मृत्यु की संभावना को आंका गया है। इसमें पाया गया कि जिन लोगों को कोरोना वायरस नहीं था और उन्होंने 30 दिन के अंदर ऑपरेशन करवाया, तो उनके मरने की संभावना 1.5 फीसदी थी। जबकि जो लोग कोरोना से संक्रमित थे, और जिसने शून्य से दो सप्ताह के अंदर ऑपरेशन करवाया उनके मरने की संभावना चार फीसदी, तीन से चार सप्ताह के अंदर ऑपरेशन करवाने वाले मरीजों के मरने की संभावना चार फीसदी, पांच से छह सप्ताह के अंदर ऑपरेशन करने वालों में 3.6 फीसदी और सात से आठ सप्ताह के अंदर ऑपरेशन करने वाले मरीजों की मौत का खतरा 1.5 फीसदी था।

इस अध्ययन के जो निष्कर्ष दिए गए वे सभी आयु, समूह, मरीजों की हालत, सर्जरी की अर्जेंसी और किस तरह की सर्जरी है आदि के अनुसार थे। वहीं, इसमें जिन मरीजों को शामिल किया गया था। उसमें बाल चिकित्सा सर्जरी, आर्थोपेडिक्स, सर्जरी, कार्डियक एनेस्थीसिया, न्यूरोसर्जरी, न्यूरोएनेस्थेसिया और कार्डियोथोरेसिक सर्जरी के मरीज शामिल थे।