कोरोना पीड़ित मरीजों का इस पुराने तरीके से हो रहा सफल इलाज

कोरोना वायरस (Coronavirus) की वैक्सीन (Vaccine) आने में करीब एक साल का समय लग सकता है तब तक इसका इलाज कैसा किया जाए यह डॉक्टर के लिए बड़ा सवाल है। ऐसे में डॉक्टर अलग-अलग तरीकों से लोगों का इलाज कर रहे है। ऐसे में सबसे कारगर उपाय है कोवैलेसेंट प्लाज्मा ट्रीटमेंट। यानी खून से प्लाज्मा निकालकर दूसरे बीमार शख्स में डाल देना।

असल में कोवैलेसेंट प्लाज्मा ट्रीटमेंट चिकित्सा (Convalescent Blood Plasma Treatment) विज्ञान की बेहद बेसिक टेक्नीक है। करीब 100 सालों से इसका उपयोग पूरी दुनिया कर रही है। इससे कई मामलों में लाभ होता देखा गया है और कोरोना वायरस के मरीजों में लाभ दिखाई दे रहा है। यह तकनीक भरोसेमंद भी है। वैज्ञानिक पुराने मरीजों के खून से नए मरीजों का इलाज करते हैं। होता यूं है कि पुराने बीमार मरीज का खून लेकर उसमें से प्लाज्मा निकाल लेते हैं। फिर इसी प्लाज्मा को दूसरे मरीज के शरीर में डाल दिया जाता है। अमेरिका में वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने मिलकर यही तरीका अपनाया है। उनका मानना है कि इलाज की यह पारंपरिक पद्धति बेहद कारगर है। कोवैलेसेंट प्लाज्मा तकनीक के जरिए कई बीमारियों को ठीक किया जा चुका है।

अब शरीर के अंदर होने वाली प्रक्रिया को समझिए। पुराने मरीज के खून के अंदर वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बन जाते हैं। ये एंटीबॉडी वायरस से लड़कर उन्हें मार देते हैं। या फिर दबा देते हैं। ये एंटीबॉडी ज्यादातर खून के प्लाज्मा में रहते हैं। उनके खून लिए फिर उसमें से प्लाज्मा निकाल कर स्टोर कर लिया। जब नए मरीज आए तो उन्हें इसी प्लाज्मा का डोज दिया गया। ब्लड प्लाज्मा पुराने रोगी से तत्काल ही लिया जा सकता है।

इंसान के खून में आमतौर पर 55% प्लाज्मा, 45% लाल रक्त कोशिकाएं और 1% सफेद रक्त कोशिकाएं होती हैं। प्लाज्मा थैरेपी से फायदा ये है कि बिना किसी वैक्सीन के ही मरीज किसी भी बीमारी से लड़ने की क्षमता विकसित कर लेता है। इससे वैक्सीन बनाने का समय भी मिलता है। तत्काल वैक्सीन का खर्च भी नहीं आता। प्लाज्मा शरीर के अंदर एंटीबॉडीज बनाता है। साथ ही उसे अपने अंदर स्टोर भी करता है। जब यह दूसरे व्यक्ति के शरीर में डाला जाता है तब वहां जाकर एंटीबॉडी बना देता है। ऐसे करके कई शख्स किसी भी वायरस के हमले से लड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं।

कोवैलेसेंट प्लाज्मा ट्रीटमेंट सार्स और मर्स जैसी महामारियों में भी कारगर साबित हुआ था। इस तकनीक से कई बीमारियों को हराया गया है। कई बीमारियों को जड़ से खत्म कर दिया गया है। अब इस समय जब कोविड-19 (Covid-19) के इलाज को कोई साधन नहीं है। ऐसे में इस तकनीक को बेहद सटीक माना जा रहा है। क्योंकि इससे उपचार का 100% परिणाम अभी तक आ रहा है। हालांकि, वैज्ञानिक इस बीमारी के इलाज के लिए अन्य तरीके भी खोज रहे हैं।

आपको बता दे, द फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने अभी तक इस पद्धति से कोरोना के इलाज के लिए प्रमाणित नहीं किया है लेकिन इस तरीके से अन्य बीमारियों का इलाज होता आया है। द फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने अभी तक इस पद्धति से कोरोना के इलाज के लिए प्रमाणित नहीं किया है लेकिन इस तरीके से अन्य बीमारियों का इलाज होता आया है। द फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने अभी तक इस पद्धति से कोरोना के इलाज के लिए प्रमाणित नहीं किया है लेकिन इस तरीके से अन्य बीमारियों का इलाज होता आया है।