शरीर में एंटीबॉडी को लेकर हुआ चौंकाने वाला खुलासा, जानें क्या कहती हैं ताजा रिसर्च

कोरोना समय के साथ नए रिकॉर्ड बनाते हुए बढ़ता ही जा रहा हैं और संक्रमितों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा हैं। हांलाकि ठीक हुए मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा हैं और लोगों के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बन रही हैं। इस एंटीबॉडी को लेकर लगातार सवाल बन रहे हैं कि यह कब तक आपको कोरोना से बचा सकती हैं। क्योंकि बीते दिनों कोरोना से ठीक हुए मरीज का फिर से संक्रमित होने का मामला सामने आया था। कुछ जानकारों का कहना है कि एंटीबॉडी महज 50 दिन के आसपास ही शरीर में बनी रहती है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों की राय इससे अलग है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी ताजा रिसर्च क्या कहती है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुंबई के जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स में एंटीबॉडी से संबंधित रिसर्च हुई थी, जिसमें अस्पताल के कुछ कर्मचारियों को भी शामिल किया था, जो कोरोना वायरस से ठीक हो चुके थे। इस रिसर्च के प्रमुख डॉ निशांत कुमार का कहना है कि कुछ लोगों का आरटी-पीसीआर टेस्ट किया गया, लेकिन उनमें से किसी में भी एंटीबॉडी नजर नहीं आई।

शोधकर्ताओं ने रिसर्च में पाया कि जो लोग तीन से पांच हफ्ते पहले कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, उनमें से 90 फीसदी लोगों में महज 38.8 फीसदी ही एंटीबॉडी बची थी। इससे इस नतीजे पर पहुंचा गया कि समय के साथ कोरोना के खिलाफ बनी एंटीबॉडी भी धीरे-धीरे खत्म हो जाती है। दुनियाभर में हुए कुछ सर्वे के मुताबिक, संक्रमण के तीन हफ्ते बाद शरीर में सबसे ज्यादा एंटीबॉडीज होती हैं, लेकिन ये जल्दी ही खत्म भी हो जाती हैं।

शरीर में वायरस से लड़ने और उसे बेअसर करने के लिए हमारा प्रतिरक्षा तंत्र यानी इम्यून सिस्टम जिस तत्व का निर्माण करता है, उसे एंटीबॉडी कहते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, संक्रमण के बाद शरीर में एंटीबॉडीज के बनने में कई बार एक से दो हफ्ते तक का वक्त भी लग सकता है।

इसके लिए एंटीबॉडी टेस्ट होता है, जिसमें खून का सैंपल लेकर जांच किया जाता है। इसे सीरोलॉजिकल टेस्ट भी कहते हैं। इसके अलावा शरीर में एंटीबॉडी की जांच के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट भी किया जाता है।