कोरोना वायरस के लक्षणों को लेकर अमेरिका के शोधकर्ता को बड़ी कामयाबी मिली है। वैज्ञानिकों ने कोरोना के लक्षणों का क्रम पहचान लिया है, जिसकी सहायता से ये पता लगाना आसान हो जाएगा किसी व्यक्ति को कोरोना है या नहीं।
अमेरिकी वैज्ञानिकों के मुताबिक, मरीजों में कोरोना के लक्षण खास तरह के क्रम में दिखते हैं। इनके मुताबिक, संक्रमण होने पर पहले बुखार आता है फिर खांसी, मांसपेशियों में दर्द और उलटी आती है। इसके बाद डायरिया के लक्षण दिखते हैं। यह दावा साउथर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है। शोधकर्ता पीटर कुहन का कहना है कि मरीजों में लक्षणों यह क्रम इसलिए दिखता है क्योंकि शरीर में बीमारी की खासतरह ओवरलैपिंग साइकल चलती है।
कोरोना वायरस के लक्षणों को जानने से ये फायदा हो सकता है कि अब कोरोना संक्रमित शख्स को इलाज के लिए जल्द अस्पताल में भर्ती करा दिया जाएगा। यह नया शोध फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ नाम की पत्रिका में छपा है, जिसके मुताबिक लक्षणों का क्रम पता चलने से डॉक्टर, मरीज के इलाज की योजना आसानी से बना सकता है।
शोधकर्ता पीटर के मुताबिक, इस रिसर्च के नतीजे डॉक्टर को मरीज की हालत बिगड़ने से रोकने में मदद करेंगे। ऐसे लक्षण शुरुआती स्तर पर दिखते ही डॉक्टर्स अगली स्टेज को समझ सकेंगे और यह तय कर सकेंगे कि मरीज को सेल्फ आइसोलेट करना है या नहीं। इस रिसर्च के परिणाम हॉस्पिटल्स में कोरोना पीड़ितों की बढ़ती भीड़ को भी कम कर करेंगे।
इसके कुछ लक्षण मेर्स और सार्स जैसे नहींशोधकर्ता जोसेफ जार्सेन के मुताबिक, कोविड-19, सार्स और मेर्स तीनों महामारी में एक बात कॉमन है। इनका संक्रमण होने पर पहले दो लक्षण बुखार और खांसी के रूप में सामने आते हैं। हालांकि कोविड-19 में उल्टी और डायरिया के लक्षण भी दिखते हैं जबकि मेर्स और सार्स में ऐसा नहीं होता।
रिसर्च कहती है कि कोरोना के कुछ ही मरीजों में शुरुआती स्टेज पर डायरिया होता है। अब तक सामने आए आंकड़े के मुताबिक, अगर डायरिया का लक्षण पहले दिखता है तो यह बताता है कि मरीज को निमोनिया था। लेकिन अभी भी सबसे ज्यादा मरीजों में संक्रमण की शुरुआत बुखार से होती है। इसके बाद ही कुछ ही मरीजों में डायरिया होता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन के 55 हजार से अधिक कोरोना के मरीजों का डाटा तैयार किया। इस डाटा पर रिसर्च हुई। इसके अलावा चाइना मेडिकल ट्रीटमेंट ग्रुप ने 11 दिसम्बर 2019 से लेकर 29 जनवरी 2020 तक 1100 कोरोना पीड़ितों का अलग एक डाटा तैयार किया। इसे भी रिसर्च में शामिल किया गया।