ब्रिटेन में चिम्पैंजी के वायरस से तैयार हो रही कोरोना वैक्सीन, इंसानों पर ट्रायल शुरू

दुनिया में कोरोना वायरस से अब तक 2 लाख 3 हजार 272 की मौत हो चुकी है, 29 लाख 20 हजार 954 लोग इससे संक्रमित हैं जबकि 8 लाख 36 हजार 811 ठीक हुए हैं। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक, अमेरिका में 24 घंटे में 2494 लोगों की जान जा चुकी है। देश में मौतों का कुल आंकड़ा 54 हजार 256 हो गया है। वहीं यहां 9 लाख 60 हजार 651 संक्रमित हैं। पूरी दुनिया इस वायरस की वैक्सीन बनाने में लगी हुई है। ऐसे में ब्रिटेन के ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की एक टीम ने तीन महीने में इस वायरस की वैक्सीन तैयार करने का दावा किया है। इस टीके के परिक्षण के लिए 800 से ज्यादा लोगों को चुना गया था जिनमें से दो वॉलंटियर्स को ये टीका लगाया गया है। इस वैक्सीन को बनाने में जुटीं रिसर्च टीम की लीडर और वैक्सीनोलॉजी की प्रो. सारा गिलबर्ट ने कहा, 'मुझे व्यक्तिगत तौर पर इस टीके को लेकर पूरा भरोसा है। बेशक हमें इसका इंसानों पर परीक्षण करना है और डेटा जुटाना है। लेकिन, हमें यह दिखना है कि यह वैक्सीन लोगों को कोरोना वायरस से बचाती है, इसके बाद ही हम लोगों को ये टीका दे सकेंगे।'

चिम्पैंजी के वायरस से कोरोना वैक्सीन

ब्रिटेन में कोरोना वायरस के वैक्सीन के लिए जिस वायरस का इस्तेमाल किया जा रहा है वह एक चिम्पैंज़ी के शरीर से लिया गया है। यह साधारण सर्दी-जुकाम करने वाला वायरस है। इसे ऐडिनोवायरस कहते हैं और कोरोना की वैक्सीन में इस वायरस का एक कमज़ोर पड़ चुका स्ट्रेन काम में लिया जा रहा है। ऑक्सफ़ोर्ट की इस टीम ने इससे पहले मर्स के लिए टीका तैयार किया था जो एक दूसरे किस्म का कोरोना वायरस है। उन्होंने इसे ठीक इसी तरह से तैयार किया था और क्लीनिकल ट्रायल में उसके उत्साहजनक नतीजे आए थे।

वैक्सीन में इस वायरस में जेनेटिक इंजीनियरिंग से ऐसे बदलाव किए गए हैं जिससे कि ये इंसानों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा और उनकी इम्यूनिटी को बढ़ाकर कोरोनो से लड़ने में सक्षम बनाएगा।

ऑक्सफोर्ड के इस एडिनोवायरस वाले वैक्सीन का सीधे इंसानों पर परीक्षण शुक्रवार को शुरू हुआ और माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट एलिसा ग्रैनेटो को पहला टीका लगाया गया। ग्रैनेटो का कहना है कि मैं एक वैज्ञानिक हूँ, मैं चाहती थी कि मैं किसी भी तरह से विज्ञान की प्रगति में मदद करने की कोशिश कर सकूँ।

इस वैक्सीन को बनाने में जुटीं रिसर्च टीम की लीडर और वैक्सीनोलॉजी की प्रो. सारा गिलबर्ट ने कहा, 'मुझे व्यक्तिगत तौर पर इस टीके को लेकर पूरा भरोसा है। बेशक हमें इसका इंसानों पर परीक्षण करना है और डेटा जुटाना है। लेकिन, हमें यह दिखना है कि यह वैक्सीन लोगों को कोरोनावायरस से बचाती है, इसके बाद ही हम लोगों को ये टीका दे सकेंगे।'

ऑक्सफ़ोर्ड की टीम का कहना है कि वैक्सीन से गंभीर बीमारी होने का खतरा ना के बराबर है और जानवरों पर हुए परीक्षणों के डेटा सकारात्मक रहे हैं। यदि ये वैक्सीन कामयाब हो गई तो वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि सितंबर तक 10 लाख टीके बनाए जा सकेंगे और उनके उत्पादन में तेजी लाई जा सकेगी।