बच्चों पर कोरोना का साया! लक्षणों की पहचान कर इस तरह रखे उनका ख्याल

कोरोना की दूसरी लहर में इस समय भले ही कोरोना के मामलों में कमी आ रही है लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। इस बीच बच्चों में बच्चों में कारों संक्रमण बढ़ना चिंता की बात है। केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना पॉजिटिव मरीजों में 20 साल से कम उम्र वाले करीब 12% है और सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि यह धीरे-धीरे बढ़ भी रहा है। हालाकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना से बच्चों की सेहत को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। बड़ा प्रतिशत ऐसा है जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखा है। पर कई बच्चे ऐसे भी हैं जिन्हें माइल्ड, मॉडरेट से लेकर गंभीर लक्षणों का सामना करना पड़ा। ऐसे में किस तरह के लक्षण सामने आने पर क्या किया जाना चाहिए, इस पर सरकार ने गाइडलाइन जारी की है। गाइडलाइन में यह बताया गया है कि बच्चों में कोरोना के क्या-क्या लक्षण देखने को मिल रहे है और माता-पिता को क्या-क्या सावधानियां बरतने की जरूरत है। बच्चों में भी कोरोना के अलग-अलग लक्षण देखने में आ रहे हैं। बच्चों में कोरोना को समझने के लिए सबसे पहले हमें लक्षणों के आधार पर अलग-अलग कैटेगरी में उन्हें बांटना होगा। बच्चों में कोरोना के लक्षणों को सरकार ने तीन कैटेगरी- हल्के, मध्यम और गंभीर में बांटा है। इन्हीं लक्षणों के आधार पर इलाज भी अलग-अलग होगा।

बच्चों में कौन-कौन से लक्षण हो सकते हैं?

- कोरोना के हल्के लक्षण वाले बच्चों में बुखार, खांसी, सांस लेने में परेशानी, थकान, बदन दर्द, नाक बहना, गले में खराश, दस्त, स्वाद और स्मेल नहीं आने की शिकायत रहती है।

- कोरोना के मॉडरेट या मध्यम लक्षण वाले बच्चों में पेट और आंत से जुड़ी परेशानियां भी हो सकती हैं।

- गंभीर लक्षण वाले बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फलेमेटरी सिंड्रोम नाम का सिंड्रोम भी देखा जा रहा है। इस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में लगातार 100 डिग्री से ज्यादा बुखार बना रहता है। ये सिंड्रोम SARS-CoV-2 से संबंधित है।

हल्के लक्षण वाले बच्चों की देखभाल कैसे करें?

- घर पर ही बच्चे का ऑक्सीजन लेवल, बुखार जाचें। एक चार्ट बनाएं जिसमें बुखार आने का टाइम, बॉडी टेम्परेचर, दिन में कितनी बार बुखार आ रहा है जैसी चीजें नोट करें।
- बुखार के लिए आप पैरासिटामॉल दे सकते हैं, गले की खराश और सर्दी के लिए कुनकुने पानी से गरारे करवाएं।
- दस्त से पानी की कमी हो सकती है इसलिए पोषण के लिए नारियल पानी या फलों का जूस दें। ध्यान रहे कि अपनी मर्जी से कोई भी एंटीबायोटिक नहीं दें।
- इस दौरान किसी तरह का टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है।

मध्यम कोरोना लक्षण वाले बच्चे की देखभाल कैसे करें?


- बच्चे को अब नजदीकी हॉस्पिटल में भर्ती कराना होगा
- बच्चों को लिक्विड डायट दें। छोटे बच्चों के लिए मां का दूध बेस्ट है
- अगर बच्चा खाना नहीं खा रहा हो तो फ्यूएड थेरेपी भी शुरू की जा सकती है
- बुखार होने पर पैरासिटामॉल देते रहें
- बैक्टीरियल इंफेक्शन की पुष्टि होने पर एमोक्सिलिन दिया जा सकता है
- ऑक्सीजन लेवल गिरने पर ऑक्सीजन की भी जरूरत होगी
- लक्षण एक जैसे बने रहें तो कॉर्टिकोस्टरोइड्स दिए जा सकते हैं

गंभीर बीमार बच्चों का इलाज कैसे होगा?

- सीने का एक्स-रे, कंपलीट ब्लड काउंट, किडनी व लिवर फंक्शन की जांच
- लिवर और किडनी में कोई इंफेक्शन नहीं होने पर रेमडेसिविर दिया जा सकता है

बच्चे के वजन के हिसाब से डोज

- 3.5 -4 किलो पहले दिन 5 MG, उसके बाद अगले 4 दिनों तक 2.5 MG
- 4-40 किलो पहले दिन 200 MG, उसके बाद अगले 4 दिनों तक 100 MG
- हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, फेविपिराविर, आइवरमेक्टिन की कोई जरूरत नहीं हैं।

संक्रमित बच्चों में सांस लेने में परेशानी हो सकती है। ऐसे में बच्चे जल्दी-जल्दी सांस लेने लगते हैं। एक मिनट में आप कितनी बार सांस लेते और छोड़ते हैं, उसे ब्रीदिंग रेट (Breathing Rate) कहा जाता है। मान लिया जाए एक मिनट में आपने 50 बार सांस ली और छोड़ी तो आपका ब्रीदिंग रेट 50/मिनट होगा।

कैसे जाने ब्रीदिंग रेट ज्यादा है

बच्चे की उम्र - ज्यादा ब्रीदिंग रेट


0-2 महीने - 60/ मिनट से ज्यादा
2-12 महीने - 50/ मिनट से ज्यादा
1-5 साल - 40/ मिनट से ज्यादा
5 साल से ज्यादा - 30/ मिनट से ज्यादा