घंटों च्यूइंगम चबाना पड़ सकता है सेहत पर भारी, ज़रूर जानें ये 5 बड़े नुकसान

आज की तेज़ रफ्तार और तनाव भरी ज़िंदगी में च्यूइंगम चबाना एक आम चलन बन गया है। कोई मुंह की दुर्गंध से राहत पाने के लिए इसे अपनाता है, तो कोई स्ट्रेस कम करने या मूड फ्रेश करने के बहाने इसका सेवन करता है। मगर क्या आपने कभी गौर किया है कि लंबे समय तक और बार-बार च्यूइंगम चबाने की आदत आपके शरीर को किस हद तक नुकसान पहुंचा सकती है?

यदि आप भी उन लोगों में शामिल हैं जो घंटों तक च्यूइंगम चबाते रहते हैं, तो अब सतर्क हो जाना चाहिए। यह आदत धीरे-धीरे आपके शरीर पर नकारात्मक असर डाल सकती है। आइए जानें कि च्यूइंगम चबाने के क्या-क्या बड़े दुष्परिणाम हो सकते हैं:

1. जबड़े की मांसपेशियों पर बढ़ता दबाव

च्यूइंगम को बार-बार और लंबे समय तक चबाने से Temporomandibular Joint (TMJ) यानी जबड़े के जोड़ पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। यह जोड़ हमारे जबड़े को खोलने और बंद करने में मदद करता है। लगातार चबाने से इस जोड़ की मांसपेशियां थक जाती हैं और सूजन आने लगती है। इससे व्यक्ति को जबड़े में अकड़न, दर्द, और क्लिक जैसी आवाज़ आने लगती है। कुछ मामलों में जबड़ा लॉक हो सकता है, जिससे मुंह खोलना तक मुश्किल हो जाता है। यह समस्या सिर्फ मुंह तक सीमित नहीं रहती, बल्कि सिरदर्द, गर्दन में दर्द और कानों में दबाव जैसी परेशानियों को भी जन्म दे सकती है।

2. पाचन क्रिया पर पड़ता है प्रभाव


च्यूइंगम चबाने से लार ग्रंथियाँ सक्रिय हो जाती हैं, जिससे शरीर को संकेत मिलता है कि खाना आने वाला है। इसके परिणामस्वरूप गैस्ट्रिक जूस और पाचक एंजाइम्स का उत्पादन शुरू हो जाता है, लेकिन पेट खाली होने की वजह से यह अम्ल पेट की दीवारों पर असर डालने लगता है। इससे व्यक्ति को पेट में जलन, एसिड रिफ्लक्स, गैस और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लगातार ऐसा होने पर यह स्थिति गैस्ट्राइटिस और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकती है। इसके अतिरिक्त, लगातार लार निगलने से पेट में अतिरिक्त हवा चली जाती है जिससे ब्लोटिंग की शिकायत भी हो सकती है।

3. दांतों और मसूड़ों की सेहत पर असर


ज्यादातर च्यूइंगम में स्वाद बढ़ाने के लिए शक्कर या कृत्रिम मिठास का इस्तेमाल किया जाता है। नियमित रूप से शुगरयुक्त च्यूइंगम चबाने से मुंह में बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ती है, जिससे दांतों में कैविटी, सड़न और प्लाक बनना शुरू हो जाता है। वहीं, कृत्रिम स्वीटनर जैसे सॉर्बिटॉल या एस्पार्टेम का अत्यधिक सेवन मसूड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे मसूड़ों में सूजन, जलन और यहां तक कि ब्लीडिंग भी हो सकती है। साथ ही, लगातार दांतों को काम में लेने से इनैमल (दांतों की ऊपरी परत) घिसने लगती है, जिससे दांत संवेदनशील और कमजोर हो जाते हैं। लंबे समय तक ऐसा चलने पर डेंटल ट्रीटमेंट की जरूरत भी पड़ सकती है।

4. सिरदर्द और माइग्रेन की संभावना

लगातार जबड़े की मांसपेशियों को तनाव देने से यह मांसपेशियां थकान महसूस करने लगती हैं। यह थकान धीरे-धीरे सिर की नसों और मांसपेशियों पर प्रभाव डालती है। खासकर टेंपोरल मसल्स (temporal muscles) में खिंचाव होने लगता है, जो सिरदर्द या माइग्रेन का कारण बन सकता है। Journal of Pediatric Neurology में प्रकाशित एक शोध में यह पाया गया कि जो किशोर और युवा दिन में 2 घंटे से अधिक समय तक च्यूइंगम चबाते हैं, उनमें माइग्रेन और तनावजनित सिरदर्द की संभावना कई गुना अधिक होती है। बार-बार चबाने से ट्राइजेमिनल नर्व (Trigeminal nerve) पर दबाव पड़ता है, जो सिरदर्द को ट्रिगर करने वाली प्रमुख नसों में से एक है।

5. वजन भी बढ़ा सकता है च्यूइंगम


अक्सर लोगों को लगता है कि च्यूइंगम चबाकर भूख को दबाया जा सकता है, लेकिन यह भ्रम है। च्यूइंगम में मौजूद कृत्रिम मिठास और फ्लेवर, विशेष रूप से मिंट फ्लेवर, भूख को उत्तेजित करते हैं और व्यक्ति को हाई-कैलोरी या जंक फूड की लालसा होने लगती है। इसके अलावा, लगातार मुँह चलने से शरीर को खाने का भ्रम होता है, जिससे बाद में व्यक्ति अधिक मात्रा में खाना खा सकता है। कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि जो लोग दिनभर च्यूइंगम चबाते हैं, वे बिना भूख के स्नैकिंग करना शुरू कर देते हैं, जिससे मेटाबोलिज्म असंतुलित होता है और वज़न बढ़ने लगता है।

तो क्या करें? कुछ व्यावहारिक सुझाव:

- अगर च्यूइंगम चबाना आवश्यक लगे, तो बिना शक्कर वाली और हर्बल च्यूइंगम का इस्तेमाल करें।
- एक बार में 15-20 मिनट से अधिक न चबाएं।
- दिन में 2 बार से ज़्यादा इसका सेवन न करें।
- मुंह की ताजगी बनाए रखने के लिए इलायची, तुलसी, लौंग, या सौंफ जैसे प्राकृतिक विकल्पों को प्राथमिकता दें।
- अगर स्ट्रेस रिलीफ के लिए च्यूइंगम चबाते हैं, तो उसकी जगह डीप ब्रीदिंग, मेडिटेशन या वॉक जैसे हेल्दी विकल्प आज़माएं।


डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी सुझाव को अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।