World Cancer Day 2022: 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं जल्द करवा ले ये 3 टेस्‍ट, वरना ये कैंसर ले सकता है जान

सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर है, जे गर्भाशय ग्रीवा के ऊतकों को प्रभावित करता है। इसे योनि, मूत्राशय, मलाशय यहां तक की फेफड़ों तक भी फैलने में बहुत देर नहीं लगती। सर्वाइकल कैंसर वैश्विक स्तर पर महिलाओं की मौत का कारण बन रहा है। सर्वाइकल कैंसर सर्वाइकल कैंसर या गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर दुनियाभर की महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे आम प्रकार का कैंसर है। सर्विकल कैंसर एकमात्र ऐसा कैंसर है जिसे करीबन पूरी तरह से होने से रोका जा सकता है। इसका सबसे अच्छा तरीका है नियमित सर्वाइकल स्क्रीनिगण करवाना और असुरक्षित यौन व्यव्हार से बचना। डॉक्टर्स कहते हैं कि महिलाओं को एक निश्चित उम्र के बाद सर्वाइकल कैंसर की जांच जरूर कराना चाहिए। 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है, लेकिन नियमित जांच कराने से कम उम्र में ही इस तरह के कैंसर का निदान कर समय पर इलाज किय जा सकता है। भारत जैसे विकासशील देशों में जागरूकता न होने कारण अधिकतर महिलाओं में यह कैंसर अग्रिम चरणों में ही सामने आता है।

​सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए स्क्रीनिंग के तरीके

नियमित सर्वाइकल स्क्रीनिंग करवाना सर्विकल कैंसर को होने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका है। स्क्रीनिंग गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर में एडवांस स्क्रीनिंग गर्भाशय ग्रीवा और उसकी कोशिकाओं में किसी भी असामान्यता का पता लगाने में मदद कर सकती है। सर्वाइकल स्क्रीनिंग में आप स्मीयर टेस्ट और एचपीवी टेस्ट शामिल हैं।

​पेप स्मीयर टेस्ट (Pap Smear Test)

पेप स्मीयर टेस्ट गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में किसी भी तरह के बदलाव का पता लगाने के लिए एक पेल्विक टेस्ट है। डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा की सतह से सेल्स को एकत्रित करते हैं, ताकि इस तरह के कैंसर का जल्द से जल्द पता लगाया जा सके। आमतौर पर 30 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं के लिए पीएपी टेस्ट की सिफारिश की जाती है। जरूरी होने पर एचपीवी टेस्ट (HPV Test ) के साथ संयुक्त रूप से पांच साल बाद फिर से कराया जा सकता है।

वीआईए स्क्रीनिंग (VIA Screening)

एसिटिक एसिड के साथ विज्युल इंस्पेक्शन गर्भाशय ग्रीवा के घावों का पता लगाने में मदद कर सकता है। 26-30 वर्ष की महिलाओं के लिए प्रभावी तरीका है, जिसमें सरल उपचार और सर्वाइकल कैंसर के शुरूआती लक्षणों का निदान शामिल है। वीआईए पॉजीटिव पाए जाने वाली महिलाओं का सर्वाइकल बायोप्सी के तुरंत बाद क्रायोथैरेपी के जरिए इलाज किया जा सकता है।

एचपीवी टेस्ट (HPV Test)

ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) 99 प्रतिशत मामलों में सर्वाकल कैंसर के लिए जिम्मेदार है। यह टेस्ट एचपीवी की उपस्थिति का पता लगाने में मदद कर सकता है। एचपीवी HPV का ज्यादा पता लगाने से आपको सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, एचपीवी वायरस को कैंसर में बदलने में कम से कम 10 साल लगते हैं। ऐसे में आपको निदान औ उपचार के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। इन मामलों में कभी- कभी आपको डॉक्टर द्वारा दी गई संयुक्त रूप से पीएपी और एचपीवी टेस्ट की सलाह भी माननी पड़ सकती है।

एचपीवी इन्फेक्शन असुरक्षित यौन संबंध से फैलता है इसलिए कंडोम का प्रयोग करने से इस संक्रमण के होने का जोखिम कम किया जा सकता है। हालांकि यह वायरस सिर्फ योनिक संभोग से ही नहीं फैलता - यह अन्य प्रकार के यौन संपर्क जैसे गुप्तांग के त्वचा से संपर्क या सेक्स टॉयज़ के प्रयोग से भी हो सकता है। आप जितनी कम उम्र में नियमित रूप से यौन सम्बन्ध बनाने शुरू कर देते हैं, आपमें इस कैंसर के होने का जोखिम उतना ही ज़्यादा होता है। साथ ही, महिलाएं जिन्होंने एक से ज़्यादा पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाये हैं, उनमें इस बीमारी के होने का जोखिम ज़्यादा होता है।

आपको बता दे, हर साल वर्ल्ड कैंसर डे 4 फरवरी को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य कैंसर की गंभीर और जानलेवा बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाना और लोगों को इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करना है।