क्यूँ और कैसे होती है गुर्दे (किडनी) की पथरी, जानिये कारण और उपचार

किडनी में स्टोन की समस्या आजकल ज्यादा बढ़ रही है, जिसका एक कारण खराब लाइफस्टाइल और खानपान है। ऑफिस, घर और सोशल लाइफ को मेंटेन करने के चक्कर में लोगों की लाइफस्टाइल बर्बाद हो चुकी है, जिसका असर हमारे शरीर पर पड़ता है। किडनी में स्टोन को नेफ्रोलिथियासिस भी कहा जाता है, गुर्दे यानी किडनी में बनने वाले क्रिस्टलीय कणों को स्टोन या पथरी कहा जाता है।

अनुवांशिकी और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन के कारण अधिकांश पथरियाँ बनती हैं। जोखिम कारक में मूत्र में कैल्शियम का उच्च स्तर, मोटापा, कुछ खाद्य पदार्थ, कुछ दवाएं, कैल्शियम की खुराक, गाउट और पर्याप्त तरल पदार्थ न मिलना शामिल है। यूरीन में मौजूद कैमिकल यूरिक एसिड, फॉस्फोरस, कैल्शियम, ऑक्जालिक एसिड मिलकर पथरी बना देते हैं।

गुर्दे की पथरी मिनरल्स और नमक से बनी एक ठोस जमावट होती है। इनका माप छोटे से लेकर बड़ा हो सकता है। यह गुर्दे में या मूत्रपथ में पाई जाती है। मूत्रपथ में गुर्दे, मूत्रवाहिनी, मूत्राशय, मूत्रमार्ग होते हैं। इसमें बहुत ज्यादा दर्द होता है।

किडनी स्टोन या गुर्दे में पथरी क्यों होती है

आजकल गुर्दे में पथरी होना जैसा सामान्य हो गया है। इसके लक्षण नजर आते ही तुरंत पथरी का इलाज करना चाहिए। आइये जानते हैं किडनी की पथरी किन कारणों से होती है—

— कम मात्रा में पानी पीना इसका एक मुख्य कारण है

— यूरीन में केमिकल की अधिकता

— शरीर में मिनरल्स की कमी

— डिहाइड्रेशन

— विटामिन डी की अधिकता

— जंक फूड का अति सेवन।

गुर्दे की पथरी के लक्षण


वैसे तो गुर्दे में पथरी होने से दर्द होता है लेकिन इसके साथ ही कई और लक्षण होते हैं—

— मूत्र त्याग के समय दर्द

— पीठ के निचले हिस्से, पेट में दर्द और ऐंठन

— मूत्र में रक्त आना

— जी मिचलाना और उल्टी आना

— दुर्गन्धयुक्त पेशाब

— बार-बार पेशाब आना परंतु खुलकर पेशाब न आना

— बुखार, पसीना निकलना आदि

गुर्दे की पथरी के प्रकार

कैल्शियम


कैल्शियम स्टोन गुर्दे की पथरी का सबसे आम प्रकार होता है, जिसमें कैल्शियम ऑक्सालेट और कभी-कभी कैल्शियम फॉस्फेट या मैलेट रसायन शामिल होते हैं। कैल्शियम स्टोन के खतरे को कम करने के लिए डॉक्टर आपको उच्च ऑक्सालेट वाले खाद्य पदार्थ जैसे रूबर्ब, टमाटर, चॉकलेट, नट्स और पालक आदि का सेवन कम करने की सलाह देते हैं, हालाँकि आपको अपने दैनिक आहार में कैल्शियम की मात्रा इसके न्यूनतम स्तर से कम नहीं करनी चाहिए क्योंकि कम कैल्शियम भी कैल्शियम स्टोन होने का एक कारण होता है। किडनी से अत्यधिक मात्र से कैल्शियम उत्सर्जित होना, जो कि कई बीमारियों में दिखता है, भी कैल्शियम स्टोन होने का मुख्य कारक होता है।

यूरिक एसिड


यूरिक एसिड किडनी स्टोन ज्यादातर पुरुषों में पायी जाती है, और आमतौर पर यह मधुमेह, गाउट, मोटापा और अन्य मेटाबॉलिक सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्तियों में विकसित होने की अधिक संभावना होती है। यह किडनी स्टोन तब बनता है जब पेशाब अत्यधिक अम्लीय हो जाता है या मूत्र की मात्रा बहुत कम हो जाती है और व्यक्ति के रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाती है जैसे कि गाउट की स्थिति में। कभी-कभी मछली, मांस और शेलफिश जैसे प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थों के ज़्यादा खाने से यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने के कारण भी स्टोन हो सकता है।

स्ट्रुवाइट

स्ट्रुवाइट किडनी स्टोन पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होता है। यह स्टोन उन लोगों में आम है जिन्हें मूत्र मार्ग का संक्रमण (यूटीआई) अधिक होता है। स्ट्रुवाइट किडनी स्टोन अन्य प्रकार के किडनी स्टोन से आकर में बड़ा होता है और अक्सर मूत्र में रुकावट का कारण बनता है।

सिस्टीन


हालाँकि यह किडनी स्टोन दुर्लभ होता है और मुख्यतः सिस्टिनुरिया नामक आनुवंशिक विकार वाले व्यक्तियों में उत्पन्न होता है। सिस्टीन शरीर में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक एसिड है जो पेशाब द्वारा किडनी से बाहर निकलता है।

दवाओं द्वारा बनने वाली पथरी


कभी-कभी कुछ दवाओं जैसे इंडिनवीर, एसाइक्लोविर आदि के इस्तेमाल के कारण भी गुर्दे में पथरी बन सकती है।

गुर्दे की पथरी के निदान के लिये जाँचें

डॉक्टर किडनी स्टोन की जाँचों में चिकित्सा इतिहास, इमेजिंग परीक्षण और शारीरिक परीक्षण शामिल होते हैं। आमतौर पर, किडनी स्टोन के निदान के लिए डॉक्टर निम्न मुख्य जाँचों की सलाह देते हैं:

रक्त परीक्षण

डॉक्टर रक्त परीक्षण के द्वारा रुधिर में उपस्थित कैल्शियम, ऑक्सालेट, यूरिक एसिड, और साइट्रेट की मात्रा की गणना करते हैं, इसके साथ-साथ अन्य परीक्षणों के सहयोग से रक्त में गुर्दे की पथरी के जोखिम कारकों की उपस्थिति और गुर्दे के स्वास्थ्य का निर्धारण करते हैं।

मूत्र परीक्षण

जिन व्यक्तियों में बार-बार मूत्र संक्रमण होता है, उन्हें मूत्र में मौजूद पथरी बनाने वाले रसायनों की मात्रा का आकलन करने के लिए 24 घंटे के मूत्र परीक्षण करने की सलाह दी जाती है।

इमेजिंग टेस्ट

गुर्दे, मूत्रवाहिनी और मूत्राशय का अल्ट्रासाउंड गुर्दे की पथरी होने के संदेह वाले व्यक्तियों के लिए प्रारंभिक परीक्षण होता है, हालांकि सीटी स्कैन पथरी की उपस्थिति, उसका आकार, और यदि पथरी को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता है या नहीं यह जानने के लिए सबसे अच्छी जाँच माना जाता है। आजकल सीटी स्कैन के कारण इंट्रवेनस पाइलोग्राम का उपयोग काफ़ी कम हो गया है, हालाँकि कई जगह जहाँ सीटी स्कैन की सुविधा अभी तक उपलब्ध नहीं हुई है वहाँ इंट्रवेनस पाइलोग्राम का उपयोग अभी भी होता है। यह एक प्रकार का एक्स-रे है जिसमें एक डाई को बांह की नस में इंजेक्ट किया जाता है, जो किडनी और मूत्राशय में पहुँचती है और फिर इनकी विभिन्न छवियों को कैप्चर किया जाता है।

मूत्र में प्रवाहित किडनी स्टोन का विश्लेषण


एक छलनी के माध्यम से मूत्र को उत्सर्जित किया जाता है, और इस प्रकार एकत्रित गुर्दे की पथरी को प्रयोगशाला में विश्लेषण किया जाता है ताकि स्टोन के प्रकार का पता चल सके।

गुर्दे की पथरी का उपचार

स्टोन के प्रकार, आकार, स्थान और संरचना के आधार पर गुर्दे की पथरी का इलाज करने के कई तरीके हैं। गुर्दे की पथरी की सर्जरी का खर्चा उपचार के प्रकार पर निर्भर करता है। 6-7 मिमी से छोटे स्टोन अपने आप ही मूत्र के साथ निकल जाते हैं और उन्हें सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि रुकावट और दर्द पैदा करने वाले या 1 सेंटीमीटर आकार के बड़े स्टोन को सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

किडनी स्टोन के इलाज के कुछ सामान्य तरीक़े निम्न हैं:

दवाइयाँ

आमतौर पर गुर्दे की पथरी की वजह से व्यक्ति को असहनीय दर्द झेलना पढ़ सकता है, इसीलिए डॉक्टर दर्द कम करने के लिए कुछ दर्द निवारक दवाएँ लिख कर देते हैं। कई बार गुर्दे के संक्रमण से निपटने के लिए एंटीबायोटिक्स भी लिख कर दे सकते हैं।

लेज़र लिथोट्रिप्सी

यह एक लेज़र द्वारा किडनी स्टोन को हटाने की प्रक्रिया होती है जिसमें सर्जन लेज़र फाइबर द्वारा होल्मियम ऊर्जा का उपयोग करके स्टोन को छोटे टुकड़ों में तोड़ते हैं ताकि वे आसानी से मूत्राशय में मूत्रवाहिनी से आपके शरीर से बाहर निकल सकें।

एक्सट्रॉकोर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी

इस प्रक्रिया में सर्जन बड़े गुर्दे की पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़ने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करते हैं जिससे वे मूत्रवाहिनी के माध्यम से मूत्राशय में जा सकें। हालाँकि, इस प्रक्रिया से किडनी के आसपास के क्षेत्र में दर्द और रक्तस्राव महसूस हो सकता है।

टनल सर्जरी

सर्जन इस प्रक्रिया में पीठ में एक छोटे सा चीरा लगाते है और उसके माध्यम से गुर्दे की पथरी को निकालते है। जब स्टोन किडनी में अवरोध, संक्रमण या हानि पहुँचाता है तब डॉक्टर टनल सर्जरी की सलाह देते है। इस सर्जरी की तब भी सलाह दी जाती है जब स्टोन मूत्रवाहिनी से गुजरने के लिए बहुत बड़ा होता है या जब दर्द असहनीय होता है।

यूरेटेरोस्कोपी

सर्जन यूरेटेरोस्कोपी की सलाह तब देते हैं जब पथरी मूत्रवाहिनी या मूत्राशय में फंस जाती है। इस सर्जरी को करने के लिए एक विशेष उपकरण का प्रयोग होता है, जिसे यूरेटेरोस्कोप कहते है। इस प्रक्रिया में, एक छोटा कैमरा एक छोटे तार से जुड़ा होता है जो मूत्रमार्ग से अंदर डाला जाता है। इसके बाद सर्जन स्टोन को इकट्ठा करने और निकालने के लिए एक छोटे से पिंजरे जैसे उपकरण का उपयोग करता है।