भारत में तांबे के बर्तन का विशेष महत्व है। तांबा धातु अपने आप में एक प्राकृतिक कीटाणुनाशक है। सुबह खाली पेट तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से स्वास्थ्य को अनेक लाभ होते हैं। कई बार गलत तरीके और असमय पर तांबे के बर्तन में पानी पीने से नुकसान भी होने लगता है। ऐसे में तांबे के बर्तन में पानी पीने के फायदे और नुकसान दोनों की जानकारी रखनी चाहिए। तांबे के बर्तन की सफाई का भी विशेष ध्यान रखना होता है, क्योंकि तांबे के बर्तन में कॉपर की परत जमने का खतरा रहता है। वैज्ञानिक शोधों में भी तांबे के स्वास्थ्य गुणों को प्रमाणित किया जा चुका है। एक अध्ययन के अनुसार ई-कोलाई के 99.9 प्रतिशत जीवाणु तांबे की सतह पर 2 घंटे में ही समाप्त हो सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से शरीर वात, पित्त और कफ तीनों को ही संतुलित करता है। लेकिन इसके लिए यह भी आवश्यक कि पानी कम से कम इसमें 8 घंटे रखा होना चाहिए। तांबे के बरतन में रखे पानी की एक और खास बात यह है कि यह पानी कभी भी बासी नहीं होता और लंबे समय के लिए ताजा रहता है। इन सब फायदों के अलावा तांबे के बर्तन में पानी पीना कब नुकसानदेह हो सकता है इस बात की जानकारी भी रखनी चाहिए।
तांबे के बर्तन के उपयोग में सावधानियां लोग अक्सर इस पानी के इस्तेमाल में एक असावधानी बरतते हैं। ज्यादातर घरों में इसके स्वास्थ्य लाभ देखते हुए तांबे के जग या ग्लास में पानी रखकर उसे पिया जाता है, लेकिन ध्यान यह रखें कि इस बरतन को कभी भी जमीन पर न रखें वरना आपको इसका कोई भी लाभ नहीं मिलेगा।
रखें पूरी सफाईइसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि इसके अंदरूनी तले को अच्छी प्रकार साफ करें, वरना उस पर कॉपर ऑक्साइड की परत (हरे रंग की) जमने लगती है और तब भी आपको इस पानी के पूरे लाभ नहीं मिल पाते। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कॉपर ऑक्साइड की परत के कारण तांबे के साथ पानी का सीधा संपर्क नहीं हो पाता और इस कारण रासायनिक क्रिया नहीं हो पाती।
बीमारियां ठीक करने में मददगार पानी के साथ तांबा रासायनिक प्रतिक्रिया करता है और इस तरह इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लामेंटरी और कैंसररोधी प्रॉपर्टीज उत्पन्न होते हैं। यही कारण है कि तांबे के बरतन में रखा पानी पीना कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करता है।
मर जाते हैं विषाणुएक अध्ययन के अनुसार तांबे के पात्र में जल रखने से इसकी अशुद्धियों को भी कम किया जा सकता है। अध्ययन में पाया गया कि 16 घंटे तक इस धातु के पात्र में पानी रखने से उसमें मौजूद ज्यादातर जीवाणु मर गए। उस पानी में विशेष रूप से मौजूद ‘पेचिश के विषाणु’ और ‘ई-कोलाई’ के अमीबा तो पूरी तरह समाप्त हो गए।
इंफेक्शन से बचाएंइसमें भरपूर मात्रा में ऐसे तत्व पाएं जाते हैं जो कि आपको फंगस, इंफेक्शन से बचाते हैं। इसके साथ ही हर मौसम में इसका सेवन करने से होने वाले संक्रमण से आप बच जाते हैं।
घाव भरता है तांबा अपने एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लामेंटरी गुणों के कारण ताम्रजल शरीर को अपने आंतरिक और बाह्य घावों को जल्दी भरने में मदद मिलती है। यह थाइरॉयड ग्रंथि के स्राव को भी संतुलित करता है और अर्थराइटिस के दर्द को ठीक करने में लाभकारी है। शरीर में लौह तत्वों के अवशोषण में सहायक होकर खून की कमी को दूर करता है और कोलेस्ट्रोल कम करता है।
कैंसर में लाभदायकतांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीना शरीर में वात, पित्त और कफ जैसी समस्याओं से निजात दिलाती है, इतना हीं नहीं इसमें एंटीआक्सीडेंट तत्व मौजूद होता है जो शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने का काम करता है। ऐसे में कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों के लिए तांबे में रखा पानी पीना काफी लाभदायक होता है।
हमेशा देखेंगे जवानतांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीना हमारी त्वचा को तंदुरुस्त बनाए रखने का काम करता है। इससे त्वचा का ढीलापन दूर हो जाता है और झुर्रियां भी नहीं आने देती। जिससे हमारी त्वचा हर वक्त चमकदार और स्वस्थ बनी रहती है।
थायराइड में फायदेमंदतांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीना थायराइड को नियंत्रित करने का काम करता है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति थायराइड से ग्रसित हैं तो उन्हें हमेशा तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी ही पीना चाहिए।
जोड़ों के दर्द और गठिया में लाभदायकतांबे के बर्तन का पानी शरीर में यूरिक एसिड को कम करता है, जिससे गठिया या जोड़ों के दर्द से राहत मिलता है। इसलिए जो भी व्यक्ति ऐसी परेशानी से ग्रसित हैं, उन्हें हमेशा तांबे के बर्तन में रखे हुए पानी का ही सेवन करना चाहिए।
स्वस्थ रहती है त्वचातांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी हमेशा पीते रहने से त्वचा में निखार बना रहता है और प्राकृतिक रूप से त्चचा चमकदार और स्वस्थ बनी रहती है।
दिल को रखे स्वस्थ
तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीने से रक्त संचार सुचारु रूप से चलता रहता है, जिस वजह से कॉलेस्ट्रोल नियंत्रित रहता है, जो दिल के लिए काफी लाभदायक है। इसलिए हर रोज रात को तांबे के बर्तन में पानी भरकर रख लें और उसे सुबह पिएं।
खून की कमी नहीं होती तांबा हमारे शरीर के लिए बेहद आवश्यक पदार्थ है जो शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित करने का काम करता है। जिस वजह से शरीर में खून की कमी नहीं होती और खून से जुड़ी सभी बीमारियों से निजात भी मिलती है।
पाचन क्रिया में सहायकनियमित रूप से तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीने से पाचन क्रिया ठीक बनी रहती है। एसिडिटी और गैस जैसी पेट से संबंधित बीमारियां दूर रहती हैं।
मोटापा घटाएंएक शोध में ये बात साबित हो चुकी है कि तांबे के बर्तन में खाना खाने से आप आसानी से अपना वजन कम कर सकते हैं। इसमें ऐसे तत्व पाएं जाते हैं जो कि मेटाबॉलिज्म को बढ़ा देता है। जिसके कारण आपका आसानी से फैट बर्न हो जाता है।
तेज करे दिमागअगर प्रेग्नेंसी के समय तांबे के बर्तन में खाना रखकर सेवन किया जाएं, तो होने वाले बच्चे के दिमाग में अधिक असर पडता है। इसके साथ ही उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही मजबूत बनती है। तांबा फॉस्फोलिपिड के संश्लेषण के लिए आवश्यक है जो माइलिन आवरण के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो भ्रूण के दिमाग को विकसित करने और उसकी गतिविधियों को बेहतर बनाता है।
कॉपर की कमीआपको बता दे की आयुर्वेद में भी ताम्बे के बर्तन को काफी उपयोगी और लाभकारी माना गया है क्योकि तांबा यानी कॉपर के पात्र में पानी पीने से शरीर में कॉपर की कमी दूर होती है और इसके ये गुण बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया से सुरक्षा देता है।
शरीर में दर्द, ऐंठन और सूजनयदि आपको शरीर में दर्द, ऐंठन और सूजन की समस्या है तो आप ताम्बे के बर्तन में रखा पानी ही पिए क्योकि तांबे में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो इन प्रॉब्लम से छुटकारा दिलाते है।
तांबे के बर्तन में पानी पीने के नुकसान—तांबे के बर्तन में रखे पानी का अत्यधिक सेवन करने पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस पानी में बहुत अधिक मात्रा में तांबा पाया जाता है जिससे उलटी, दस्त या मतली जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
—तांबे के बर्तन में पानी रखने से पहले इसकी उचित सफाई करना बेहद जरुरी होता है। ऐसा न करने पर तांबे के बर्तन में कॉपर ऑक्साइड की परत (हरे रंग की) जमने लगती है जिससे उस पानी में रसायनिक क्रिया हो सकती है और जो हमें नुकसान भी पहुंचा सकती है।
—सर्दियों के मौसम में तांबे के बर्तन में पानी पीने से कुछ नुकसान हो सकते हैं। कुछ लोग तांबे के प्रति संवेदनशील होते हैं जिससे उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।