हरसिंगार के पौधे में अनेक औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसके सफेद फूलों की शांत और मनमोहक खुशबू कई लोगों को पसंद आती है। भारतीय पौराणिक साहित्य के अनुसार हरसिंगार का वृक्ष सीधा स्वर्ग से धरती पर आया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि हरसिंगार के फूल सिर्फ रात को खिलते है और सुबह होते ही इसके सारे फूल झड़ जाते हैं। इस वजह से पारिजात को ‘रात की रानी’ भी कहा जाता है। हरसिंगार पौधे के वानस्पतिक नाम का अर्थ ‘दुख का वृक्ष’ है। हरसिंगार के फूलों से लेकर पत्तियां, छाल एवं बीज भी बेहद उपयोगी हैं। हरसिंगार के फूलों से लेकर पत्तियां, छाल एवं बीज भी बेहद उपयोगी हैं।
आयुर्वेद में हरसिंगार की पत्तियों का बुखार, खांसी, साइटिका, संधिशोथ, कब्ज आदि जैसी बीमारियों के उपचार में उपयोग किया जाता है। पत्तियों का रस स्वाद में कड़वा होता है और एक टॉनिक के रूप में काम करता है।
हरसिंगार के फूल सफेद-नारंगी रंग के सुगंधित फूल होते है। जो अपनी सुगंध के साथ अपने औषधीय गुणो के लिए भी जाने जाते हैं। यह पेट से सम्बन्धी कई बीमारी जैसे गैस, अपच आदि को कम करते हैं। साथ ही यकृत द्वारा अतिरिक्त पित्त स्राव को भी रोकते हैं। इनका प्रयोग खांसी ठीक करने के लिए भी किया जाता है।
तने की छाल का पाउडर आर्थराइटिस, जोड़ो के दर्द और मलेरिया के इलाज में उपयोगी होता है। इसका पाउडर मलेरिया को ठीक करने के लिए उपयोगी माना जाता है। इसके साथ ही इसके अनेक औषधीय गुण है।
चलिए, अब विस्तार से बात करते हैं हरसिंगार के फायदों के बारे में...
अस्थमाऔषधीय अध्ययनों के मुताबिक हरसिंगार के पत्ते में एंटी-अस्थमाटिक और एंटी-एलर्जीक गुण मौजूद होते हैं। प्राचीन काल से ही हरसिंगार का इस्तेमाल अस्थमा को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। इसकी पत्तियों का अर्क नाइट्रिक ऑक्साइड का उत्पादन बढ़ाकर नाक की नली को आराम पहुंचाने में मदद कर सकता है। दरअसल, अस्थमा में नाक की नली सूज जाती है और उसके आसपास की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं। आप फूलों को सूखाकर पाउडर बनाने के बाद इसे उपयोग में लाया जा सकता है।
अर्थराइटिस (गठिया)गठिया के मरीजों के लिए हरसिंगार उपयोगी साबित हो सकता है। हरसिंगार में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटी अर्थराइटिस गुण पाए जाते हैं। हरसिंगार का अर्क गठिया के रोग को बढ़ने से रोक सकता है।
पाचनआयुर्वेद के मुताबिक हरसिंगार के पतियों का रस पेट में मौजूद भोजन को पचाने में मदद करता है। दरअसल, हरसिंगार में एंटी स्पस्मोडिक (Anti-Spasmodic) गुण पाए जाते हैं, जो आपके पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
तनावहरसिंगार का पौधा एंटीडिप्रेसेंट गुण से समृद्ध होता है। ऐसे में इसके सेवन से आप तनाव और अवसाद से खुद को बचा सकते हैं। इसके लिए आपको हरसिंगार की चाय का सेवन करना होगा, जो आपको रिलैक्स रखने में मदद कर सकती है। वहीं, इसकी मदद से आप अपना मूड भी ठीक कर सकते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमताहरसिंगार के पत्तों का रस या फिर इसकी चाय बनाकर नियमित रूप से सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर हर प्रकार के रोग से लड़ने में सक्षम होता है। इसके अलावा पेट में कीड़े होना, गंजापन, स्त्री रोगों में इसका सेवन बेहद फायदेमंद रहता है।
एंटीबैक्टीरियलकई तरह के बैक्टीरियल रोगों से लड़ने के लिए हरसिंगार के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे जुखाम, बुखार और खांसी। दरअसल, हरसिंगार में भरपूर एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो हमारे शरीर को कीटाणुओं से बचाकर स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। हरसिंगार ग्राम पॉजिटिव और ग्राम नेगेटिव दोनों तरह के रोगाणुओं से हमारे शरीर को बचाते हैं, जैसे साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया, जिसकी वजह से टाइफाइड होता है।
हृदयउच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज और मोटापा हृदय की सेहत बिगाड़ देता है। ऐसे में हरसिंगारकी जड़ की छाल के इस्तेमाल से डायबिटीज के दौरान बढ़ने वाले लिपिड सिरम और ट्राइग्लिसराइड्स को कम किया जा सकता है। इन दोनों की मात्रा अधिक बढ़ने से हृदय रोग का खतरा भी बढ़ जाता है।
बवासीरबिगड़ते खान-पान की वजह से बवासीर की समस्या आम हो गई है। हरसिंगार को बवासीर या पाइल्स के लिए बेहद उपयोगी औषधि माना गया है। दरअसल, इस दौरान मल द्वार में सूजन आ जाती है, जिससे मल निकासी में परेशानी होती है। हरसिंगार में लैक्सेटिव और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जिससे मल निकासी में मदद मिलेगी और सूजन को भी आराम मिलता है। हरसिंगार के बीज का सेवन या फिर उनका लेप बनाकर संबंधित स्थान पर लगाना फायदेमंद है।
ब्लड डिटॉक्सीफिकेशनहरसिंगार में हेपाटो प्रोटेक्टिव गतिविधि पाई जाती है, जो लीवर को होने वाले नुकसान को रोकने में मदद करती है। वहीं, लीवर का काम रक्त में मौजूद विषाक्त पदार्थों को निकालना होता है। इसलिए, हरसिंगार को ब्लड डिटॉक्सीफिकेशन में सहायक माना जा सकता है।
गैसहरसिंगर लैक्सेटिव गुणों से समृद्ध होता है। यह पाचन प्रक्रिया में मदद करता है और गैस की समस्या को दूर करने का काम कर सकता है।
डेंगू और चिकनगुनियाहरसिंगार के सेवन से डेंगू और चिकनगुनिया के कुछ लक्षणों और इससे संबंधित परेशानियों को कम कर सकते हैं। इसमें एंटीवायरल, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो आपको डेंगू और चिकनगुनिया मच्छरों के कारण होने वाले बुखार से बचाते हैं। साथ ही सेवन से जोड़ों में होने वाले दर्द को भी कम किया जा सकता है। इसके अलावा, डेंगू में घटने वाले प्लेटलेट काउंट को भी हरसिंगार बढ़ाने में मदद कर सकता है।
खांसीऔषधीय हरसिंगार बतौर एक्सपेक्टोरेन्ट हमारे शरीर में काम कर सकता है। दरअसल, एक्सपेक्टोरेंट बलगम को गले से निकालने और खांसी ठीक करने में मदद करता है। साथ ही इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं, जो खांसी से संबंधित बैक्टीरिया को शरीर से नष्ट करने का काम करते हैं। खांसी होने पर आप हरसिंगार के कुछ पत्तों को पीसकर इसका जूस निकाल लें। इसमें शहद को मिलाकर सेवन करें।
घावघाव को भरने के लिए भी आप हरसिंगार का इस्तेमाल कर सकते है। माना जाता है कि इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण घाव को भर सकते हैं। आप हरसिंगार के पत्तियों का पेस्ट बनाकर घाव पर लगा सकते है।
डायबिटीजहरसिंगार में लिनोलिक एसिड पाया जाता है, जो डायबिटीज से आपको बचाने में मदद कर सकता है। एक शोध में सामने आया है कि हरसिंगार की जड़ की छाल में महत्वपूर्ण एंटी-डायबिटिक गतिविधि पाई गई है। इसके अर्क में रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के गुण भी पाए गए हैं।
त्वचा के लिए हरसिंगार की पत्तियों को पीसकर लगाने से त्वचा संबंधी समस्याएं समाप्त होती हैं। इसके फूल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा उजला और चमकदार हो जाता है।
दाद-खुजली
दाद एक त्वचा संक्रमण है, जो फंगस के कारण शरीर पर होता है। आमतौर पर दाद होने पर त्वचा पर एक गोल लाल रंग का घेरा बन जाता है, जिसमें काफी खुजली होती है। इसका उपचार आप हरसिंगार की मदद से कर सकते हैं। हरसिंगार के बीज, पत्तियां व फूल सभी में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो दाद को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। आपको इसके उपचार के लिए दाद से प्रभावित जगह में हरसिंगार के बीज, पत्तियों और फूल का पेस्ट लगाना होगा।
मलेरियामलेरिया से बचने के लिए हरसिंगार आपकी मदद कर सकता है। मलेरिया पैरासाइट से संक्रमित मच्छरों के काटने की वजह से होती है। ऐसे में हरसिंगार में पैरासाइट को खत्म करने की ताकत होती है। एक अध्ययन में देखा गया है कि जिन मलेरिया के मरीजों ने करीब तीन हफ्ते तक रोजाना हरसिंगार के पांच पत्तों का पेस्ट का सेवन किया, उनका बुखार और पैरासाइट संक्रमण पूरी तरह से खत्म हो गया था। इसके उपयोग से कई तरह के मच्छरों से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है, जो मलेरिया की वजह बन सकते हैं।
बुखारहरसिंगार बुखार से छुटकारा दिलाने में भी आपकी मदद कर सकता है। इसकी जड़ और पत्तों में एंटीपाइरेटिक (Antipyretic) गुण पाए जाते हैं, जो आपको बुखार से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। हरसिंगार के पत्तों के रस को सीधे पीने से या इसमें अदरक मिलाकर पीने से आपको बुखार से राहत मिल सकती है।
हड्डियों को जोड़ने में मददहरसिंगार के लेप को टूटी हुई हड्डियों को लगाने से फायदा होता है। हरसिंगार का लेप लगाने से दर्द में भी आराम मिलता है। लेकिन, इस बात का जरुर ध्यान रखे कि यह डॉक्टर से फ्रैक्चर हुई हड्डी पर प्लास्टर लगवाने का विकल्प नहीं है।