एक सुखी जीवन जीने के लिए सबसे उपयोगी चीज होती हैं मन की शान्ति और अच्छी नींद। और अगर आपकी जिंदगी में मन की शान्ति और अच्छी नींद की कमी हैं तो आपको प्राणायाम का सहारा लेना चाहिए। योग में प्राणायाम का भी अपना विशेष महत्व होता हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस प्राणायाम की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं उज्जायी प्राणायाम। तो चलिए जानते हैं उज्जायी प्राणायाम की विधि और फायदे।
* उज्जायी प्राणायाम करने की विधि किसी भी आरामदायक आसान में बैठ जायें। पूरे शरीर को शिथिल कर लें। सामान रूप से श्वास लें। थोड़ी देर बाद अपना ध्यान गले पर ले आयें। ऐसा अनुभव करें या कल्पना करें की श्वास गले से आ-जा रहा है। जब श्वास धीमा और गहरा हो जाए तो कंठ-द्वार को संकुचित करें। ऐसा करने पर आपके गले से साँस आने और जाने पर धीमी सी आवाज़ आनी चाहिए। अब साँस लंबी और गहरी होनी चाहिए। ऊपर बताए गये तरीके से बाएं, दाएं और दोनों नथ्नो के माध्यम से श्वास लेना एक भास्त्रिका प्राणायाम का पूरा चक्र होता है। ऐसा 10-20 मिनिट तक करें। अगर आपको ज़्यादा देर बैठने में परेशानी हो तो उज्जायी प्राणायाम लेटकर या कड़े हो कर भी कर सकते हैं।
* उज्जायी प्राणायाम करने के फायदे - उज्जायी प्राणायाम को शांति प्रदान करने वाले प्राणयामों में वर्गीकृत किया गया है। इस अभ्यास का उपयोग योग चिकित्सा में तंत्रिका तंत्र और मन को शांत करने के लिए किया जाता है।
- आत्मिक स्तर पर इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।
यह अनिद्रा से छुटकारा पाने में मदद करता है, यह लाभ पाने के लिए सोने से पहले शवासन में इसका अभ्यास करें।
- बिना साँस रोके या बँध का इस्तेमाल किए बिना अगर यह प्राणायाम तो हृदय की गति को धीमा कर देता है और हाई बीपी से पीड़ित लोगों के लिए उपयोगी होता है।
- उज्जय द्रव-धारिता को कम करता है। यह शरीर के सातों धातुओं के विकारों को हटाता है: रक्त, हड्डी, मज्जा, वसा, वीर्य, त्वचा और मांस।