मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता को बढाता है नाडी शोधन प्राणायाम, जाने और फायदे

हर इंसान की चाहत होती है कि उसका दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चले और इसके लिए जरूरी होता है कार्य को पूर्ण एकाग्रता और ऊर्जा से कार्य करना। और एकाग्रता को बढाने के लिए प्राणायाम से बेहतर कुछ भी नहीं। योग में प्राणायाम का भी अपना विशेष महत्व होता हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस प्राणायाम की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं नाडी शोधन प्राणायाम। तो चलिए जानते हैं नाडी शोधन प्राणायाम की विधि और फायदे।

* नाडी शोधन प्राणायाम करने की विधि

दाहिने हाथ की उंगलियों को मुंह के सामने लाएं। तर्जनी और बीच की उंगली को धीरे से माथे के बीचों बीच रखें। दोनों उंगलियों पर दबाव न डालें, आराम से उंगलियों को रखें। अंगूठा दाहिने नासिकाछिद्र के उपर और अनामिका बाएं नासिकाछिद्र के उपर रहे। ये दोनों (अंगूठा व अनामिका) बारी-बारी से नासिकाओं को दबाकर उनके श्वास-प्रवाह को नियंत्रित करते हैं। पहले एक नासिकाछिद्र को दबाकर दूसरे से सांस लें और उसके बाद दूसरे नासिकाछिद्र से भी यही प्रक्रिया दोहरायें। कनिष्ठा उंगली को आराम से अंदर की तरफ मोड़ लें। लंबे समय तक अभ्यास करने के लिए कोहनी को बाएं हाथ का सहारा दें। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि सहारा देते समय आपकी छाती मुड़नी नही चाहिए। इस अभ्यास को 30 मिनट तक करें।

* नाडी शोधन प्राणायाम करने के फायदे

- नाड़ी शोधन से पूरे शरीर को ऑक्सीजन सही मात्रा में पहुंचता है।

- इस प्राणायम से विषाक्त तत्व बाहर निकलते हैं और रक्त शुद्ध होता है।

- मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता बढ़ती है।

- इससे शांति, विचारों में स्पष्टता और एकाग्रता की प्राप्ति भी होती है। जिन्हें मानसिक रूप से समस्याएं होती है उन्हें इस प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।

- यह शरीर में उर्जा को बढ़ाता है और तनाव व चिंता में कमी लाता है।