शारीरिक संतुलन और मजबूत तंत्रिका तंत्र का होना मनुष्य के शरीर के लिए बेहद आवश्यक हैं। और इसको बनाने में योग अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता हैं। योग में कई तरह के आसन होते हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस आसन की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं गरुडासन। तो चलिए जानते हैं गरुडासन की विधि और फायदे के बारे में।
* गरुडासन करने की विधि ताड़ासन में आराम से खड़े हो जाएँ। सामान्य रूप से श्वास लेते रहें। बाई टाँग को उठा कर दाईं टाँग के ऊपर टिका लें। बाई जांघ दाईं जांघ के ऊपर टिकी होनी चाहिए और बाएँ पैर की उंगलियों को जमीन की ओर रखें। अब बाई टाँग को घुमा कर इस तरह दाईं टाँग के पीछे ले आयें ताकि बायाँ पंजा दाईं पिंडली पर टिका हो। अब दोनो बाहों को आगे की ओर उठायें। दाहिने बाह को बाईं बाह के ऊपर रखें, दोनो कोहनियों को 90 दर्जे मोड़ें और दायें हाथ को घुमा कर बायें हाथ के सामने ले आयें। दोनो हथेलियों को जोड़ें। कोशिश करें की बाज़ू ज़मीन से समान्तर हों। सामान्य रूप से श्वास लें और इस मुद्रा में 30-60 सेकेंड के लिए खड़े रहें। आसन से बाहर निकालने के लिए सारे स्टेप विपरीत क्रम में करें और ताड़ासन में समाप्त करें। अब दूसरी ओर भी दौहरायें।
* गरुडासन करने के फायदे - गरुडासन टाँगों और बाहों की मांसपेशियों को मजबूत करता है, और तंत्रिकाओं को टोन करता है।
- पीठ के ऊपरी हिस्से, कमर, और कंधों में भी खिंचाव लता है।
- गरुडासन कटिस्नायुशूल (साएटिका) और गठिया के लिए चिकित्सीय है।
- एकाग्रता में सुधार लाता है।
- शारीरिक संतुलन में भी सुधार लाता है।