सर्दियों का मौसम अस्थमा मरीजों के लिए चुनौतीपूर्ण, इन 3 आयुर्वेदिक उपाय से मिलेगा तुरंत आराम

अस्थमा सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसमें सांस की नली में सूजन आ जाती है। यह एक ऐसी समस्या है, जो जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। बड़े ही नहीं, छोटे बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आते हैं। सर्दियों का मौसम अस्थमा मरीजों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इस दौरान ठंडी और शुष्क हवा से अस्थमा के लक्षण और अधिक गंभीर हो जाते हैं।

अस्थमा के मुख्य लक्षण

सांस फूलना, सांस लेने में कठिनाई, लगातार खांसी और खांसते समय सीने में दर्द होना अस्थमा के सामान्य लक्षण हैं। कई बार लोग इन लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, जो आगे चलकर गंभीर समस्या का कारण बन सकते हैं। अस्थमा का समय पर इलाज करना बहुत जरूरी है, क्योंकि यदि इसे अनदेखा किया जाए तो इसके लक्षण और ज्यादा बढ़ सकते हैं।

आयुर्वेद में अस्थमा का समाधान

आयुर्वेद में अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों का उपचार करने के लिए कई प्रभावी उपाय बताए गए हैं। ये उपाय न केवल लक्षणों को कम करते हैं, बल्कि बीमारी को जड़ से ठीक करने में भी मददगार होते हैं। नीचे कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक उपाय दिए गए हैं:

तुलसी के फायदे

आयुर्वेद में तुलसी को एक अद्भुत औषधि माना गया है। अस्थमा के मरीजों के लिए बेहद इसका सेवन फायदेमंद साबित हो सकता हैं. इसमें कफ को दूर करने वाले गुण होते हैं. तुलसी का सेवन करने से रेस्पिरेटरी ट्रैक (श्वसन तंत्र) में जमा कफ साफ हो जाता है और सांस की नली की सूजन भी कम होती है। इसके लिए आप 5-10 तुलसी की पत्तियां पानी में डालकर उबालें। जब पानी हल्का गुनगुना हो जाए, तो इसमें शहद मिलाकर पी लें। इसे दिन में एक या दो बार पिएं। यह गले में जमा कफ को दूर करने और खांसी में राहत देने में मदद करता है। इसके अलावा आप सुबह खाली पेट रोजाना 5-6 तुलसी की पत्तियां चबा सकते हैं या इन्हें सलाद में डालकर खा सकते हैं।

मुलेठी का महत्व

आयुर्वेद में मुलेठी का कफ की समस्या के लिए एक प्रभावी औषधि मानी जाती है। इसमें कफ का शांत करने वाले गुण होते हैं जो गले में कफ जमने से रोकते हैं। खांसी और फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं में मुलेठी का सेवन काफी फायदेमंद साबित होता है। मुलेठी के चूर्ण का शहद या गुनगुने पानी के साथ मिलाकर पिएं। आप इसे चाय में भी उपयोग कर सकते हैं। चाय बनाते समय उसमें आधा चम्मच मुलेठी चूर्ण मिलाएं और 5-10 मिनट तक उबालें। दिन में एक से दो बार इस चाय का सेवन कर सकते हैं।

अदरक के गुण

हर घर में अदरक आसानी से उपलब्ध एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जो अस्थमा के इलाज में काफी मददगार है। यह कफ को कम करने और श्वासनली को फैलाने में मदद करती है। अस्थमा के मरीजों के लिए अदरक का नियमित सेवन राहत प्रदान कर सकता है। अदरक की चाय बनाकर पिएं। इसके लिए, अदरक को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पानी में उबालें। इसमें थोड़ा शहद और नींबू का रस मिलाएं।
दिन में एक या दो बार इस चाय का सेवन करें। अदरक के ताजे रस में शहद मिलाकर पिएं। यह अधिक तेजी से असर करता है।

अस्थमा से बचने के अतिरिक्त उपाय

आयुर्वेदिक उपायों के साथ-साथ, कुछ अन्य जीवनशैली में बदलाव करने से अस्थमा को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है:

धूल-मिट्टी और पराग से बचें: सर्दियों में धूल और पराग (पोलन) अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। घर को साफ-सुथरा रखें और बाहर जाते समय मास्क पहनें।
नमी से बचाव करें: घर में नमी बढ़ने से फंगल इंफेक्शन का खतरा रहता है, जो अस्थमा को बढ़ा सकता है।
सही आहार लें: हल्का और पौष्टिक आहार लें, जिसमें फलों और सब्जियों की अधिकता हो। ठंडे पेय पदार्थों से बचें।
योग और प्राणायाम करें: अनुलोम-विलोम और भस्त्रिका जैसे प्राणायाम श्वसन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।

नोट : यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है और पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।