गंभीर से गंभीर बीमारियों को दूर भगाने में सक्षम हैं पीपल के पत्ते

भारत में पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। पीपल का पेड़ जितना धार्मिक मान्यताओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है उतना ही औषधीय गुणों से भरपूर है। पीपल के पत्तों का प्रयोग आयुर्वेद में कई दवाओं को बनाने में होता है। इसके अलावा दिल को कई प्रकार के रोगों से बचाने के लिए भी पीपल का पत्ते फायदेमंद होते हैं लेकिन ज्यादातर लोगों को इसके बारे में जानकारी ही नहीं होती है। इसलिए आज हम आपको पीपल के औषधीय गुणों के बारे में बताने जा रहे हैं।

पेट दर्द : पीपल के पौधे की 2-5 पत्तियों का पेस्ट बनाकर उसे 50 ग्राम गुड़ में मिलाकर मिश्रण बना लें तथा इस मिश्रण की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर दिन में 3-4 बार सेवन से पेट दर्द में राहत मिलेगी।

हृदय संबंधी रोग : पीपल की 15 ताजी हरी पत्तियां को एक गिलास पानी को तब तक उबालें जब तक वह 1/3 शेष रह जाए। अब उसे ठंडा करके छान लें। उसके बाद इस काढ़े की तीन खुराक बना लें। हर हर 3 घंटे के उपरांत इसका सेवन करें। इसके परिणाम स्वरुप हृदय संबंधी रोगों का खतरा कम हो जाता है।

मधुमेह : तीन पीपल के पत्ते, तीन अमरूद के पत्ते और तीन आम के पत्ते लें और एक पेस्ट बना लें, इसे सुबह चबा लें। यह आपके शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को कम करने और मधुमेह में बहुत प्रभावी है।

सर्दी, खाँसी और जुखाम : बदलते मौसम की वजह से होने वाली सर्दी, खाँसी और जुखाम को दूर करने में भी पीपल के पत्तों का प्रयोग कारगर उपाय है। इसके प्रयोग के लिए पीपल के 5 पत्तों को दूध के साथ अच्छी तरह से उबाल लें, अब इसमें चीनी को डालकर दिन में 2 बार सुबह और शाम पिएं। ऐसा करने से जुखाम, सिर और खाँसी में जल्दी आराम मिलता है। इसके अलावा नजला जुखाम होने पर, सूखे हुए पीपल के पत्तों का चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ थोड़ी सी मिश्री मिलाकर पी जाएँ। इससे आपको नजला जुखाम से आराम मिलेगा।

बांझपन : पीपल के फलों का चूर्ण लेने से बांझपन दूर होता है। पीपल के पेड़, जड़ और जटाओं में पुरुषात्व प्रदान करने के भी गुण मोजूद होते हैं। इसके प्रयोग से पुरुषों में नपुंसकता के दोष को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा यदि पुरुष संतान उत्पन्न करने में असमर्थ हैं, तो उन्हें पीपल के पेड़ की जटों को काटकर उसका काढ़ा बनाकर पीना चाहिए।

अस्थमा : पीपल की छाल व पके हुए फलों का अलग-अलग पाउडर बनाकर उसे समान मात्रा में मिला लें। इस मिश्रण को दिन में 3-4 बार सेवन से अस्थमा रोग से मुक्ति मिलती है।

सांप काटने पर : जहरीले सांप के काटे जाने पर पीपल की कोमल पत्तियों के रस की दो-दो बूंदे लें और उसकी पत्तियों को चबाएं। उससे सांप के विष का असर कम हो जाता है।

त्वचा रोग : पीपल की कोमल पत्तियों को चबाने से त्वचा की खारिश व अन्य रोगों का उपचार होता है। पीपल की पत्तियों की 40 मिलीलीटर चाय का सेवन भी अत्यंत प्रभावकारी साबित होता है।

दाद खाज खुजली : 50 ग्राम पीपल की छाल की राख बनाकर, इसमें नींबू तथा घी मिलाकर इसका पेस्ट बना कर इस पेस्ट को प्रभावित अंगों पर लगाने से आपको तुरंत शीतलता प्राप्त होगी। पीपल की छाल की 40 मिलीलीटर चाय के प्रतिदिन सेवन से भी राहत मिलती है।

फटी एड़ियां : फटी एड़ियों पर पीपल की पत्तियों का रस या उसका दूध लगाएं इससे इस समस्या में पूरा उपचार मिलेगा।

रक्त की शुद्धता : रक्त की अशुद्धता से कई बीमारी उत्पन्न हो सकती है इसके लिए 1-2 ग्राम पीपल बीज पाउडर को शहद में मिलाकर प्रतिदिन दो बार उपयोग से रक्त शुद्ध होता है।

कब्ज : अगर आपको निरंतर कब्ज की परेशानी रहती है तो पीपल के 5-10 फल प्रतिदिन सेवन करें। कब्ज रोग में स्थाई समाधान होगा।

लिवर के रोगों के लिए : 3-4 ताजा पीपल की पत्तियों को क्रिस्टल चीनी में मिलाकर इसका पाउडर बना लें। इस पाउडर को 250 ग्राम पानी में मिलाकर मिश्रण को छान लें। इसे रोगी को 5 दिन तक दिन में दो बार दें। यह मिश्रण पीलिया रोग में अत्यंत प्रभावकारी साबित होता है।

हिचकी आने पर : 50-100 ग्राम पीपल की छाल का चारकोल बनाकर इसे पानी से बुझा दें। इस पानी के सेवन से हिचकी आनी बंद हो जाती है।

आंखों में दर्द : पीपल की पत्तियों के दूध को आंखों पर लगाने से आंखों की पीड़ा कम होगी।

दांत दर्द : दांतों की मजबूती और सफेदी के लिए इसके तने से बनी दातून का प्रयोग किया जाता है। पीपल की दातून से दांतों का दर्द दूर होता है। 10 ग्राम पीपल की छाल, कत्था और 2 ग्राम काली मिर्च को बारीक पीसकर बनाए गए मंजन का प्रयोग करने से भी दांतों की समस्याओं से छुटकारा मिलता है।