एक्ट्रेस अनाया सोनी की किडनी हुई फेल, जानें गुर्दे की बीमारी के कारण और लक्षण के बारे में...

आजकल काफी कम उम्र के लोगों में भी किडनी से जुड़ी परेशानियां देखी जा रही हैं। इसका मुख्य कारण लाइफस्टाइल, डायबिटीज, गलत खानपान आदि हो सकता है। हाल ही में नामकरण, इश्क में मरजावां और मेरे साईं जैसे टेलीविजन शो में काम कर चुकीं अनाया सोनी (Anaya Soni) की किडनी फेल हो गई है और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस बात की जानकारी खुद एक्ट्रेस ने शनिवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए दी थी। एक्ट्रेस ने बताया था कि उनकी किडनी फेल हो गई हैं और उन्हें डायलिसिस पर रखा गया है और प्रोसेस के बाद किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अप्लाई करेंगी।

आपको बता दे, किडनी शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने का काम करती है। किडनी विषाक्त पदार्थों को ब्लैडर में भेजती है जहां यूरिन के जरिए ये शरीर से बाहर निकल जाते हैं। जब किडनी फेल हो जाती है तो ये विषाक्त पदार्थों को सही तरीके से खून से फिल्टर नहीं कर पाती है और शरीर विषाक्त पदार्थों से भर जाता है। इससे किडनी फेल हो सकती है और गंभीर स्थिति में इससे जान जाने का भी खतरा हो सकता है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि वे क्या कारण होते है जब किडनी फेल हो जाती है और इसका पता कैसे चलाया जा सकता है। तो चलिए आज हम आपको इसके बारे में कुछ बाते बताने जा रहे हैं...

किडनी खराब होने का क्या कारण है?

किडनी फेल रातों रात नहीं होती बल्कि इसमें समय लगता है। किडनी फेल होने के पीछे कई कारण हैं हालाकि, इसका आम कारण है डायबिटीज और हाई ब्लडप्रेशर। अगर किसी की डायबिटीज कंट्रोल नहीं रहती है तो वह शरीर में ब्लड शुगर को बढ़ा देती है और लगातार अधिक शुगर बनने से किडनी समेत शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान हो सकता है। उसी तरह हाई ब्लडप्रेशर (उच्च रक्तचाप) का अर्थ है कि खून ब्लड वेसिल्स में कितनी तेजी के साथ बह रहा है। अगर अधिक तेजी से बहता है तो किडनी को नुकासन होता है और समय के साथ वह किडनी फेल होने का कारण बन सकता है। जब किडनी अचानक से काम करना बंद कर देती हैं तो उसे इंटेंस किडनी फेल कहते हैं। इंटेंस किडनी फेल के सामान्य कारण यह हो सकते हैं

- ऑटोइम्यून किडनी डिसीज
- कुछ प्रकार की दवाएं
- डिहाइड्रेशन
- यूरिन ट्रैक में रुकावट
- हार्ट डिसीज
- लिवर डिसीज

इसके अलावा किडनी स्टोन, प्रोस्टेट बढ़ जाने, यूरीनरी ट्रैक्ट में ब्लड क्लॉट्स, ब्लैडर को कंट्रोल करने वाली नसों का कमजोर होना, किडनी के आसपास ब्लड क्लॉट, बॉडी में जरूरत से ज्यादा विषाक्त पदार्थों का होना, अनियंत्रित डायबिटीज, ड्रग्स और शराब की वजह से भी किडनी फेल हो जाती है।

किडनी फेल होने के 5 स्टेज

- पहले स्टेज में ये बहुत हल्का होता है और इसके कोई खास लक्षण महसूस नहीं होते हैं। इस स्टेज पर हेल्दी लाइफस्टाइल, संतुलित डाइट, नियमित एक्सरसाइज और वजन को कंट्रोल कर किडनी को बड़ी आसानी से ठीक किया जा सकता है। साथ ही अगर आपको डायबिटीज है तो अपना ब्लड शुगर नियंत्रित रखें।

- दूसरे स्टेज में भी किडनी के बीमारी के लक्षण हल्के होते हैं लेकिन इस स्टेज में यूरिन में प्रोटीन या फिर किसी तरह का फिजिकल डैमेज साफ पता चलने लगता है। हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाकर इस स्टेज में भी किडनी को बड़ी आसानी से ठीक किया जा सकता है। । लापरवाही करने पर इस स्टेज में दिल की बीमारियां, इंफ्लेमेशन या फिर ब्लड डिसऑर्डर भी हो सकता है।

- तीसरे स्टेज में किडनी के बीमारी के मध्यम लक्षण दिखाई देने लगते हैं। किडनी ठीक से काम नहीं करती है। ब्लड टेस्ट के जरिए इसे पता लगाया जा सकता है। इस स्टेज में हाथ-पैरों में सूजन, पीठ दर्द और यूरिन के रंग में बदलाव साफ तौर पर दिखाई देने लगते हैं। इस चरण में लाइफस्टाइल में बदलाव की तो जरूरत है ही साथ ही डॉक्टर से भी संपर्क करने की भी जरूरत पड़ जाती है।

- चौथे स्टेज में किडनी की बीमारी थोड़ी गंभीर अवस्था में पहुंच जाती है। इस स्टेज पर किडनी पूरी तरह फेल नहीं होती है लेकिन ये ठीक से काम करना बंद कर देती है। इस स्ठिति में एनीमिया, हाई ब्लड प्रेशर और हड्डी रोग जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इस स्टेज में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए और दवाइयां लेनी शुरू कर देनी चाहिए।

- पांचवें स्टेज में किडनी पूरी तरह फेल हो जाती है। किडनी फंक्शन बंद होने के नुकसान और अधिक दिखाई देने लगते हैं। इसमें आपको उल्टी और मिचली, सांस लेने में परेशानी, त्वचा में तेज खुजली और भी बहुत से लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इस स्थिति में नियमित डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की भी जरूरत पड़ती है।

किडनी फेल होने के लक्षण क्या हैं?

किडनी फेल होने के शुरुआती लक्षण तो कई लोगों को नजर नहीं आते लेकिन क्रोनिक किडनी डिसीज के कारण अगर लंबे समय से किसी की किडनी को नुकसान हो रहा है तो उसे नीते बताए हुए लक्षण नजर आ सकते हैं।

- थकान होना
- बार-बार बाथरूम जाना
- मांसपेशियों में ऐंठन
- सूखी या खुजली वाली त्वचा
- पेट दर्द या उल्टी
- डिमेशिया
- फोकस करने में परेशानी
- हाथ या टखनों के आसपास सूजन