आपकी किडनी का ख्याल रखेंगे ये फूड, रोजाना सेवन से होंगे और भी कई फायदें

किडनी शरीर का एक ऐसा अंग है जो शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करता है। किडनी आपके शरीर के अंदर के रक्त को साफ कर उसके विषाक्त पदार्थों को मूत्र के माध्यम से बाहर निकाल देती है। इसलिए जरूरी है कि आपकी किडनी भी स्वस्थ हो। खराब खान-पान और गलत जीवनशैली की आदतों के कारण किडनी खराब हो सकती है। अगर किसी की किडनी खराब हो जाए तो उसका जीवन मुश्किल हो जाता है। ऐसे में हर कोई यह चाहता है कि उसकी किडनी हमेशा स्वस्थ रहें। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आपको अपनी डाइट में कुछ चीजों को शामिल करना होगा। जिससे आपको स्वास्थ्य लाभ भी होगा। तो चलिए जानते हैं कि किडनी को स्वस्थ रखने के लिए किन चीजों का सेवन करना चाहिए...

लहसुन (गार्लिक)

लहसुन में एलिसिन नामक इंग्रीडिऐंट होता है, जो ऐंटिफंगल, ऐंटिबैक्टीरियल और ऐंटिइंफ्लामेट्री मेडिसिन के रूप में काम करता है। लहसुन में सोडियम, पोटेशियम और फास्फोरस की मात्रा कम होती है। ऐसे में ये आपके किडनी को स्वस्थ और कार्यशील रखता है। यह किडनी की बीमारी के रोगियों के लिए भी अच्छा माना जाता है। लहसुन यूरिन की मात्रा बढ़ाकर बॉडी में सोडियम की मात्रा को मेंटेन रखने का काम करता है। जो लोग रोज सुबह एक गिलास पानी के साथ लहसुन की कली खाते हैं, उनका पाचन हमेशा ठीक रहता है। इससे पाचन विकार भी दूर रहते हैं। वजन घटाने में भी ये तरीका लाभकारी है। कच्‍चा लहसुन खाने से ब्‍लड ग्‍लूकोज लेवल कम करने में मदद मिलती है। लहसुन बैड कोलेस्‍ट्रोल को कम करता है और ह्रदय को कार्डियोवस्‍कुलर बीमारियों से बचाता है। लहसुन के सेवन से आयु को बढ़ाया जा सकता है।

फूलगोभी

फूलगोभी विटामिन सी के साथ-साथ फोलेट और फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है। शरीर में सोडियम और पोटेशियम की मात्रा बढ़ने से किडनी में अत्यधिक मात्रा में पानी जमा होने लगता है, जिससे वो ठीक प्रकार से काम नहीं कर पाते। फूलगोभी में ये दोनों ही तत्व कम होते हैं, जिस वजह से ये शरीर में फ्लूइड का लेवल ठीक बनाए रखती है। फूलगोभी किडनी को डीटॉक्सीफाइ करने में मदद करती है और कई अंगों से दबाव भी कम करती है। फूलगोभी का सेवन शरीर से इनफ्लेमेशन को कम करता है और किडनी को ठीक प्रकार से काम करने में मदद करता है। फूलगोभी किडनी की पथरी से बचाव भी करती है और किडनी से संबंधित अन्य बीमारियों को भी हमसे दूर रखती है। फूलगोभी में विटामिन सी की मात्रा काफी ज़्यादा होती है, जो कि एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करती है। साथ ही, अपने एंटी इंफ्लेमेटरी इफ़ेक्ट की वजह से ये आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। 100 ग्राम फूलगोभी में 92 ग्राम पानी होता है जो आपको हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है। साथ ही, ये फाइबर का भी एक अच्छा सोर्स है, जो कब्ज से बचाव करता है। फूलगोभी के सेवन से दिल से जुड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है। 100 ग्राम ताजी फूलगोभी में 267.21 मिलीग्राम फ्लेवोनोइड पाया जाता है, जो आपके दिल की सेहत को संभाल ने के लिए काफी है।

सेब

सेब में पेक्टिन मात्रा में पाया जाता है। यह एक प्रकार का घुलनशील फाइबर होता है जो कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज के स्तर को कम करने में महत्वपूर्ण निभाता है। सेब के छिलके में quercetin और खाने वाले फल में dihydroxy benzoic acid (DHBA)पाए जाते हैं, जो मस्तिष्क कोशिकाओं की रक्षा भी करते हैं। सेब के सेवन से किडनी को डैमेज होने से बचाया जा सकता है। इसके अलावा सेब के सेवन से टाइप-2 मधुमेह होने का खतरा कम हो जाता है। सेब का सेवन दिल के लिए बहुत अच्छा होता है। इसका नियमित सेवन कब्ज की समस्या से भी निजात दिलाता है। सर से लड़ने में भी सेब खाने के फायदे देखे गए हैं। सेब के गुण आपको एक नहीं, बल्कि कई तरह के कैंसर से बचा सकते हैं। इनमें प्रोस्टेट, लंग्स और ओवरी कैंसर के साथ एसोफैगस, कोलन और ब्रेस्ट कैंसर भी शामिल हैं। सेब के फायदे और गुण आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए सहायक हो सकते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो आपके शरीर को ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस के दुष्प्रभावों से बचाते हैं।

अनानास

अनानास एक बेहद हेल्दा फल है। इसमें इम्यूनिटी को बढ़ावा देने के साथ-साथ फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो किडनी की बीमारियों को रोकने में मदद करती है। किडनी की बीमारी से ग्रसित लोगों को इसका सेवन करना चाहिए, क्योंकि इसमें ब्रोमलेन होता है जो इसमें फायदेमंद माना जाता है। अनानास के अंदर एक एंजाइम होता है ब्रोमलिन जो कि खाने को पचाने में मदद करता है। कुछ लोग प्रोटीन फूड खा रहे हैं या फिर हैवी फूड खा रहे हैं तो उनको फूड डाइजेस्ट करने में समस्या आ रही है तो आप अनानास के छोटे-छोटे पीस करके उसमें काला नमक और काली मिर्च लगाकर खाएंगे तो आपका डायजेस्टिव सिस्टम ठीक होगा। अनानास भूख को बढ़ाने, शक्तिवर्धक, रक्त-पित्त विकार में लाभ पहुंचाने वाला फल है। इसका सेवन कम पेशाब होने की समस्या में लाभ पहुंचाता है। इसके सेवन से पेट की गैस, दर्द, एसिडिटी और शारीरिक कमजोरी से निजात पाया जा सकता है। इसका पका फल रक्त स्त्राव से जुड़े रोगों को दूर करता है।

शिमला मिर्च

लाल, हरे और पीले रंग में मिलने वाली शिमला मिर्च स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत फायदेमंद होती है। शिमला मिर्च में पोटैशियम लो होता है और विटामिन ए, बी6 और सी, फोलिक एसिड और फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है। इसका सेवन रक्त में विषाक्त अपशिष्ट (toxic waste) को तोड़ने में मदद करता है। जिससे किडनी के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। किडनी की कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर्स अक्सर लो पोटैशियम वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह देते हैं। क्योंकि क्षतिग्रस्त किडनी रक्त से पोटैशियम को ठीक से फिल्टर नहीं कर पाती। शिमला मिर्च में लाइकोपीन (lycopene) नामक एंटीऑक्सीडेंट भी होता है जो हमें कुछ प्रकार के कैंसर से बचाता है। शिमला मिर्च के सेवन से आप अपने वजन को कम कर सकते है। इसमें बहुत ही कम मात्रा में कैलोरी होती है जो वजन घटाने में मददगार है। इससे मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया बढ़ती है। कैलोरीज बर्न करने के साथ ही ये कोलेस्ट्राल का स्तर बढ़ने नहीं देता है। शिमला मिर्च के सेवन से दिल से जुड़ी बीमारियों, अस्थमा और मोतियाबिंद से बचाव किया जा सकता है।

प्याज

प्याज हर लिहाज से सेहत के लिए फायदेमंद है। चाहे आप इसे कच्चा खाएं या सब्जी में डालकर। इसे फोलेट, आयरन, पोटैशियम और विटामिन-सी व बी6 का अच्छा स्रोत माना जाता है। प्याज पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट्स है जिससे किडनी को detoxify और क्लीन करने में काफी मदद मिलती है। इसमें लो पोटैशियम होता है और हाई क्रोमियम होता है। क्रोमियम शरीर में फैट, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स को metabolize करने में मदद करता है। प्याज में एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज भी होती हैं। आप प्याज को कच्चा या पकाकर सेवन कर सकते हैं। लेकिन कच्ची प्याज का सेवन किडनी के मरीजों के लिए ज्यादा लाभ देती है। ये क‍िडनी स्‍टोन के दर्द से भी राहत दिलाता है। पथरी की समस्या होने पर प्याज का सेवन काफी असरदार हो सकता है। अगर आपको पथरी की शिकायत है तो प्याज का रस आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। सुबह के समय खाली पेट प्याज का रस पीने से पथरी के दर्द में राहत मिल सकती है। इसके अलावा प्याज में विटामिन सी, बी विटामिन और पोटेशियम होता है। प्याज का सेवन ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने का काम करता है। प्याज में फाइबर व कॉपर की मात्रा पाई जाती है। जहां फाइबर पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करता है, वहीं कॉपर मस्तिष्क के विकास के लिए अच्छा होता है। प्याज में स्तन व पेट के कैंसर का कारण बनने वाली कोशिकाओं को पनपने से रोकने की क्षमता है। प्याज में क्वेरसेटिन व एंथोसायनिन की मात्रा अधिक होती है।

अंडे का सफेद भाग

किडनी के मरीज अंडे का सेवन कर सकते है लेकिन पीला हिस्सा नहीं बल्कि सफ़ेद हिस्सा। अंडे के सफेद भाग में फास्फोरस बहुत कम मात्रा में होता है और हाई क्वालिटी प्रोटीन होता है जो किडनी के मरीजों के लिए फायदेमंद है। हाई क्वालिटी प्रोटीन में जरूरी एमिनो एसिड्स होते हैं जो किडनी को ठीक से काम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा अंडे के सेवन से आंखों की मांसपेशशियों को मजबूती मिलती है। अंडे में एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद रहता है, जो रेटीना को मजबूती देता है। इससे मोतियाबिंद का खतरा नहीं रहता। अंडे में विटामिन डी और प्रोटीन पोषक तत्व मौजूद रहते हैं, जो शरीर को स्वस्थ्य रखने में मदद करते हैं और हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। अंडे के सफेद भाग में प्रोटीन और अमीनो एसिड्स की भरपूर मात्रा रहती है, जो शरीर में मांसपेशियों के निर्माण में सहायक होता है।

मछली

मछली में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड्स इन्फ्लामेशन को कम करता है। इससे किडनी को विभिन्न बिमारियों से प्रोटेक्शन मिलता है। साथ ही, मछली में हाई-क्वालिटी प्रोटीन भी होता है। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए सैल्मन, इंद्रधनुषी मछली , छोटी समुद्री मछली और टूना मछली ज्यादा फायदेमंद होती है। हर हफ्ते दो या तीन मछली का सेवन करें। किडनी की परेशानियों को कम करने के लिए आप केवल उबली, पकी हुई या भुनी हुई मछली का ही सेवन करें। इसके अलावा अगर इम्यूनिटी कमजोर है तो मछली का सेवन फायदेमंद साबित होता है। दिल की बीमारियों के लिए सैल्मन मछली में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड की अच्‍छी मात्रा वाले खाद्य पदार्थ मस्तिष्‍क के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। क्योंकि ये खाद्य पदार्थ याद्दाश की छमता को बढ़ाने में मदद करते हैं।

डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।