गुमनामियों में खोया एक सितारा: कभी बड़े सितारों संग किया काम, आज चौकीदार की नौकरी करने को मजबूर

बॉलीवुड की चमक-दमक से भरी दुनिया में न जाने कितने सपने हर रोज जन्म लेते हैं और कितने ही उसी चकाचौंध में गुम भी हो जाते हैं। ऐसी ही एक दर्दनाक कहानी है अभिनेता सावी सिद्धू की। एक ऐसा नाम जिसने ‘ब्लैक फ्राइडे’, ‘गुलाल’, ‘पटियाला हाउस’ जैसी चर्चित फिल्मों में शानदार भूमिकाएं निभाईं, लेकिन आज वह अपने गुजारे के लिए चौकीदार की नौकरी कर रहे हैं।

स्टार्स के साथ किया काम, फिर भी नहीं मिला मुकाम

सावी सिद्धू ने अपने करियर की शुरुआत फिल्म ‘ताकत’ (1995) से की। बाद में उन्हें अनुराग कश्यप की ‘पांच’ में मुख्य भूमिका मिली, जो दुर्भाग्यवश कभी रिलीज ही नहीं हो पाई। हालांकि, उन्हें ‘ब्लैक फ्राइडे’ (2007) में कमिश्नर ए.एस. समरा का रोल और ‘गुलाल’ (2009) में दिलीप के बड़े भाई की भूमिका के लिए सराहा गया।

इसके अलावा उन्होंने अक्षय कुमार की ‘पटियाला हाउस’, ‘डी-डे’, ‘नौटंकी साला!’, और साउथ सुपरस्टार अजित की फिल्म ‘अरम्बम’ जैसी फिल्मों में भी काम किया। बावजूद इसके, फिल्मी दुनिया में उनका करियर लंबा नहीं चल सका।

निजी जिंदगी की भी हुई मार्मिक दुर्गति


एक वीडियो इंटरव्यू में सावी सिद्धू ने अपने संघर्षों की कहानी साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने अपने जीवन में अपने सभी करीबी लोगों को खो दिया। पहले उनकी पत्नी का निधन हुआ, फिर पिता, मां और सास-ससुर भी चल बसे। इस व्यक्तिगत त्रासदी के बाद उनका भावनात्मक सहारा भी खत्म हो गया।

चौकीदारी से कर रहे गुजारा, थिएटर देखे हुए सालों बीत गए

आज सावी सिद्धू मुंबई के मलाड इलाके में एक हाउसिंग सोसाइटी में चौकीदार के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे खुद को अकेला महसूस करते हैं और उन्हें याद भी नहीं कि उन्होंने आखिरी बार थिएटर में कोई फिल्म कब देखी थी। उन्होंने ये भी कहा कि उनका सपना फिल्मों में नाम कमाने का था, लेकिन अब वही सपना उन्हें चौकीदार बना चुका है।

सिद्धू का यह भी कहना है कि फिल्म इंडस्ट्री में प्रतिभा की कद्र उतनी नहीं होती जितनी कि सिफारिश और नेटवर्किंग की। उन्होंने खुद को कभी किसी के सामने नहीं झुकाया और अपने आत्मसम्मान को बचाए रखा, जिसकी कीमत उन्हें अपने करियर से चुकानी पड़ी।

उम्मीद बाकी है

हालांकि, सावी सिद्धू ने अभी भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है। उनका मानना है कि अगर कोई उन्हें दोबारा मौका दे तो वे फिर से अपनी पहचान बना सकते हैं। उन्होंने अपने पुराने वीडियो में यह भी कहा था कि वे फिल्मों में दोबारा काम करना चाहते हैं, लेकिन अपने खर्चे चलाने के लिए चौकीदारी भी मंजूर है।

सावी सिद्धू की कहानी हमें यह बताती है कि शोहरत की दुनिया जितनी आकर्षक दिखती है, अंदर से उतनी ही असुरक्षित और अस्थायी भी हो सकती है। ऐसे कलाकार, जिन्होंने अपनी कला से दर्शकों का दिल जीता, अगर जिंदगी की बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हों, तो यह न सिर्फ इंडस्ट्री बल्कि समाज के लिए भी चिंतन का विषय है। यह समय है कि हम सिर्फ सितारों की सफलता की कहानियों को ही नहीं, बल्कि उनके संघर्षों को भी पहचानें और उन्हें फिर से मंच देने की दिशा में प्रयास करें।