जब इस अभिनेत्री ने अमिताभ बच्चन पर लगाए थे अगवा और हत्या की साजिश के आरोप, दर्दनाक था अंत

बॉलीवुड की चमकदार दुनिया में कई प्रेम कहानियाँ होती हैं, कुछ अधूरी, कुछ रहस्यमयी। ऐसी ही एक कहानी रही 70 और 80 के दशक की सुपरस्टार परवीन बॉबी और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के बीच की। दोनों ने साथ में कई हिट फिल्में दीं, लेकिन निजी जीवन में उनका रिश्ता एक गहरे साये की तरह विवादों में रहा।

दीवार से कालिया तक – परदे पर गजब की केमिस्ट्री

अमिताभ बच्चन और परवीन बॉबी की जोड़ी को दर्शकों ने पहली बार यश चोपड़ा की फिल्म ‘दीवार’ (1975) में पसंद किया। इसके बाद उन्होंने साथ में ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘काला पत्थर’, ‘शान’, ‘मजबूर’, ‘सुहाग’, ‘महान’, ‘दो और दो पाँच’, ‘नमक हलाल’, और ‘कालिया’ जैसी कई सफल फिल्में कीं। उनकी ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री जितनी मजबूत थी, उतनी ही गहरी दोस्ती भी उनके बीच बनती चली गई।

दोस्ती से अफवाहें और फिर दूरी

इन फिल्मों की सफलता और उनकी नज़दीकियों को देख कर इंडस्ट्री और मीडिया में उनके अफेयर की चर्चाएं ज़ोर पकड़ने लगीं। उस समय अमिताभ बच्चन पहले से ही जया भादुरी से विवाहित थे, जिस वजह से यह अफवाहें और अधिक चर्चा में आ गईं।

इन खबरों के बाद, अमिताभ ने परवीन बॉबी से दूरी बनानी शुरू कर दी। लेकिन परवीन इस दूरी को बर्दाश्त नहीं कर पाईं और उनके व्यवहार में असामान्यता सामने आने लगी।

गंभीर आरोप: “अमिताभ बच्चन एक इंटरनेशनल गैंगस्टर हैं”

एक फिल्मी पत्रिका को दिए साक्षात्कार में परवीन ने चौंकाने वाला दावा किया। उन्होंने कहा: “अमिताभ बच्चन एक सुपर इंटरनेशनल गैंगस्टर हैं। वह मेरी जान के पीछे हैं। उनके गुंडों ने मुझे अगवा कर एक आइलैंड पर रखा, जहाँ मेरे शरीर में एक चिप लगाई गई।”

परवीन ने मुंबई पुलिस में अमिताभ बच्चन के खिलाफ अपहरण और हत्या की साजिश का आरोप लगाते हुए शिकायत भी दर्ज करवाई।

सच्चाई आई सामने – स्किज़ोफ्रेनिया से पीड़ित थीं परवीन

कुछ समय बाद यह स्पष्ट हुआ कि परवीन बॉबी ‘पैरेनॉइड स्किज़ोफ्रेनिया’ नामक मानसिक बीमारी से ग्रसित थीं। यह एक गंभीर मानसिक स्थिति होती है, जिसमें व्यक्ति भ्रम, डर और काल्पनिक साजिशों में फंसा रहता है।

अमिताभ बच्चन ने एक इंटरव्यू में कहा: “उनकी बीमारी का स्वरूप ऐसा था कि उन्हें लोगों से डर लगने लगा था और वे अजीब तरह के भ्रमों और मतिभ्रम में फंस गई थीं।”

महेश भट्ट ने छोड़ा अहम, पहुंचे बिग बी से मिलने

परवीन की हालत देख निर्देशक और उस समय उनके बेहद करीबी रहे महेश भट्ट चिंतित हो उठे। उन्होंने अपना अहंकार एक तरफ रखकर अमिताभ बच्चन से मुलाकात की। उन दिनों अमिताभ बच्चन राज खोसला के निर्देशन में बन रही दोस्ताना की शूटिंग कर रहे थे। सेट पर जाकर उन्होंने बिग बी से विनती की कि वो परवीन के साथ सहजता से पेश आएं और उनकी मानसिक स्थिति को समझते हुए संवेदनशीलता दिखाएं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमिताभ बच्चन ने परवीन का ख्याल रखने का आश्वासन तो दिया, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि परवीन की देखरेख का दायित्व महेश भट्ट पर है। इस बात से महेश भट्ट नाखुश हुए और उन्हें लगा कि बच्चन सिर्फ अपने हित की सोच रहे हैं।

परवीन बॉबी की जिंदगी ग्लैमर से भरी तो रही, लेकिन निजी जीवन में वे हमेशा प्यार के लिए भटकती रहीं। उनका नाम डैनी डेन्जोंगपा, कबीर बेदी और फिर महेश भट्ट से जुड़ा। हालांकि, किसी भी रिश्ते ने उन्हें स्थायी सहारा नहीं दिया। महेश भट्ट के साथ उनका रिश्ता 1980 में खत्म हो गया, और इसके बाद परवीन और भी अकेली होती चली गईं।

अकेली जिंदगी और गुमनाम अंत

परवीन बॉबी 70–80 के दशक की सबसे ग्लैमरस और बोल्ड अभिनेत्रियों में शुमार थीं। लेकिन मानसिक बीमारी, डायबिटीज और ऑस्टियोआर्थराइटिस ने उनकी हालत को और बिगाड़ दिया। उन्होंने शादी नहीं की और धीरे-धीरे फिल्म इंडस्ट्री से भी दूर होती गईं।

अपनी पूरी जिंदगी में परवीन बॉबी को जिस चीज़ की सबसे ज़्यादा तलाश रही, वो था सच्चा और बिना शर्त प्यार। लेकिन दुर्भाग्यवश, उन्हें कभी वो मोहब्बत नसीब नहीं हुई। 20 जनवरी 2005 को मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर से वो इस दुनिया से हमेशा के लिए विदा हो गईं — अकेली, खामोश और एक अधूरी दास्तान बनकर। दुखद बात यह रही कि उनकी मौत के तीन दिन बाद उनका शव उनके फ्लैट से बरामद हुआ।

उनके आखिरी दिनों में उनके सबसे करीबी रहे निर्देशक महेश भट्ट ने उनकी अंतिम क्रिया संपन्न कराई। यह वही महेश भट्ट थे जिनका नाम परवीन के साथ लंबे समय तक जुड़ा रहा और जो उनकी मानसिक स्थिति को समझने और उनका साथ देने की कोशिश करते रहे।

परवीन बॉबी की कहानी सिर्फ एक स्टार की नहीं, बल्कि उस अकेलेपन की है जो शोहरत की चकाचौंध के पीछे छिपा होता है। प्यार की तलाश में भटकती एक आत्मा, जिसे न समझा गया, न संभाला गया।

यह कहानी सिर्फ एक प्रेम त्रिकोण नहीं, बल्कि एक ऐसी भावनात्मक हकीकत है, जो दर्शाती है कि शोहरत की चकाचौंध के पीछे भी इंसान टूटते हैं, तड़पते हैं और कभी-कभी बिन कहे सबकुछ छोड़ जाते हैं।