बिग बॉस का यह कंटेस्टेंट है भारत ही नहीं अपितु विश्व का पहला प्रोफेशनल हिन्दी रैपर

विश्व परिदृश्य पर भारतीय सिनेमा को हिकारत भरी नजरों से देखने वाले पश्चिमी सिनेमा को उस वक्त जबरदस्त हैरानी हुई थी जब उन्होंने हिन्दुस्तान ही नहीं अपितु पूरे विश्व के पहले हिन्दी प्रोफेशनल रैपर को न सिर्फ अपनी आँखों से देखा, वरन उसके ‘रैप’ को सुना। यह वह दौर था जब हिन्दी सिनेमा डॉलर की चमक बिखेरने वाला सिनेमा बना रहा था और थोड़ा-थोड़ा पश्चिमी देशों में लोकप्रिय हो रहा था।

ऐसे में भारत में एक ऐसा गायक पैदा हुआ जो आम हिन्दी फिल्मी गीतों की जगह पश्चिमी धुनों पर आम बोलचाल के शब्दों को धुनों में पिरोता था। उस वक्त के आधुनिक युवाओं ने उसे खूब सराहा और देखते ही देखते यह गायक दर्शकों के दिलों दिमाग पर छा गया। 90 के दशक का यह युवा ‘रैपर’ था हरप्रीत सिंह सहगल, जिसे दर्शक ‘बाबा सहगल’ के नाम से ज्यादा जानते हैं। बाबा सहगल ने रैपर गाने के अलावा संगीत के क्षेत्र में हिन्दी के साथ-साथ अन्य भाषाओं में भी काम किया है।

23 नवम्बर 1965 को उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में जन्मे बाबा सहगल ने इंडीपॉप, बॉलीवुड, तमिल और तेलुगु सिनेमा में खासा काम किया है। जीबी पंत विश्वविद्यालय से कैमिकल इंजीनियर की डिग्री प्राप्त करने वाले बाबा सहगल ने 1990 में स्वयं को एक अलग ही दुनिया में उतारा। उनका पहला एलबम जारी हुआ।

1991 में जारी हुआ उनका पहला एलबम ‘दिलरूबा’ एमटीवी चैनल पर पहले पायदान पर था। इसी वर्ष और इसके अगले वर्ष उनके दो और रैप एलबम - अलीबाबा और ठंडा-ठंडा पान ने उन्हें लोकप्रियता की ऊँचाईयों पर पहुंचाया। पश्चिम से प्रभावित हिन्दी फिल्मों के युवा निर्माता निर्देशक उनके इंडीपॉप से खासे प्रभावित हुए और वर्ष 1998 में उन्होंने पहली बार ‘मिस 420’ नामक फिल्म के लिए न सिर्फ गायन किया अपितु उसका संगीत देने के साथ-साथ उन्होंने उसमें अभिनय भी किया। इस फिल्म में नायिका के तौर पर नजर आईं थी शीबा आकाशदीप, जिसे निर्माता-निर्देशक, लेखक, अभिनेता और सांसद सुनील दत्त ने अपनी फिल्म ‘यह आग कब बुझेगी’ के जरिये हिन्दी फिल्म उद्योग से परिचित कराया था। उन दिनों ‘मिस 420’ के एक गीत ‘आ जा मेरी गाड़ी में बैठ जा’ ने लोकप्रियता के चरमोत्कर्ष को छुआ था। हालांकि इससे चार साल पहले 1994 में बाबा सहगल इसी नाम से एक एलबम बाजार में उतार चुके थे।

बाबा सहगल की कामयाबी ने कई पंजाबी और हिन्दी गायकों को अपने-अपने एलबम बाजार में उतारने की दिशा दिखायी। कुछ युवा गजल और नज्म गाने वाले कलाकारों ने भी स्वयं को श्रोताओं के सामने अपने एलबमों के जरिये रू-ब-रू कराया। उनमें उल्लेखनीय रहे गुलाम अली, मेहंदी अली खान, पंकज उधास, हरिहरण, यशुदास, भूपेन्द्र, मिताली, जगजीत सिंह और चित्रा सिंह। एक तरफ जहां रैप गाकर और फिल्मों में आकर बाबा सहगल ने नाम कमाया वहीं इस सभी गुणी गायकों ने अपनी गायिकी से गजल और नज्म को आम दर्शकों की जुबां पर चढ़ाया।

ग्यारह वर्षों तक लगातार सफलता प्राप्त करने के बाद अचानक से बाबा सहगल 2001 में न्यूयार्क चले गए। वर्ष 2005 तक वे न्यूयार्क में रहे और इसी वर्ष उन्होंने अपनी वतन वापसी की। मुंबई लौटते ही उन्होंने ‘वैलकम टु मुंबई’ नामक एलबम जारी किया जो उनका 22 एलबम था। इसके साथ ही उन्होंने दो हिन्दी फिल्मों ‘नालायक’ (2005) और ‘भूत अंकल’ (2006) में संगीत देने के साथ झूम टीवी के शो ‘संता बंता न्यूज अनलिमिटेड’ को प्रस्तुत किया।

वर्ष 2006 में वे सेलेब्रिटी बिग ब्रदर के भारतीय संस्करण ‘बिग बॉस’ के पहले सीजन में नजर आए। हालांकि बिग बॉस में उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिली लेकिन इस कार्यक्रम के जरिए वे एक बार फिर से दर्शकों की नजरों में जरूर आए। हाल ही में बाबा सहगल यशराज फिल्म्स की ‘बैंक चोर’ में रितेश देशमुख के साथ नजर आए थे। इसके अतिरिक्त वे वर्ष 2014 में दक्षिण भारतीय सुपर नायिका अनुष्का शेट्टी के साथ फिल्म ‘रूद्रमादेवी’ में भी काम कर चुके हैं। तेलुगु भाषा में बनी ‘रूद्रमादेवी’ वर्ष 2014 की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक थी।

अपने करियर के 27 साल पूरे कर चुका विश्व का पहला इंडीपॉप रैपर पुन: अपने करियर को संवारने में जुटा है। बाबा सहगल को आज की युवा पीढ़ी ज्यादा जानती नहीं है लेकिन यदि उन्हें उनके पुराने रैप सुनाए जायें तो निश्चित रूप से यह पीढ़ी भी उनकी दीवानी हो जाएगी इसमें कोई शक नहीं है। हो सकता है आने वाले समय में बिग बॉस सीजन-1 के इस प्रतिभागी को एक बार फिर से लोकप्रियता की ऊँची पायदान को छुने का मौका मिले।