बेटी की वजह से शाहिद कपूर ने छोड़ी यह गंदी आदत, ‘रंग दे बसंती’ और ‘कबीर सिंह’ को लेकर एक्टर ने कही यह बात

एक्टर शाहिद कपूर (42) ने करिअर की शुरुआत चॉकलेटी लवर बॉय की इमेज के साथ शुरुआत की थी। धीरे-धीरे वे खुद को हर तरह के रोल में आजमाने लगे। शाहिद को दर्शकों से भरपूर प्यार मिला। फैंस उनकी प्रोफेशनल लाइफ के साथ पर्सनल लाइफ में भी दिलचस्पी रखते हैं। बता दें कि शाहिद जितना दम अपनी एक्टिंग में लगाते हैं उतना ही वे परिवार के लिए भी समर्पित हैं। शाहिद की शादी मीरा राजपूत के साथ हुई है और उनके एक बेटा जैन व एक बेटी मीशा है।

शाहिद और मीरा सोशल मीडिया पर बच्चों के साथ फोटो व वीडियो शेयर करते रहते हैं। अब शाहिद ने खुलासा किया है कि उन्होंने बेटी की वजह से स्मोकिंग की गंदी आदत छोड़ दी। एक्ट्रेस नेहा धूपिया के चैट शो ‘नो फिल्टर नेहा’ के छठे सीजन के पहले एपिसोड में शाहिद ने बताया कि जब मैं स्मोक करता था तो बेटी से छिपकर ऐसा करता था। बस यही वजह है कि मैंने स्मोकिंग छोड़ दी।

मैंने एक दिन सोचा कि मुझे स्मोकिंग की वजह से बेटी से छिपना पड़ रहा है। उस दिन मैंने खुद को बोला कि मैं अब स्मोकिंग हमेशा के लिए छोड़ दूंगा। शाहिद के वर्कफ्रंट पर नजर डालें तो हाल ही में उनकी फिल्म ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ रिलीज हुई है। इसमें उनके साथ कृति सेनन हैं। अब वे फिल्म ‘देवा’ में नजर आएंगे। इस फिल्म में शाहिद के साथ पूजा हेगड़े लीड रोल में होंगी।

आमिर खान से पहले शाहिद कपूर को ऑफर हुई थी ‘रंग दे बसंती’ फिल्म

नेहा के पॉडकास्ट शो का प्रोमो सामने आ चुका है। इस दौरान शाहिद ने खुलासा किया कि उन्हें 'रंग दे बसंती' फिल्म की पेशकश की गई थी। शाहिद ने कहा कि आमिर खान की 'रंग दे बसंती' वह फिल्म थी, जो पहले मुझे ऑफर की गई थी। उस वक्त मेरे पास ढेर सारी फिल्में थी इसलिए मैंने वह भी नहीं की। बाद में फिल्म देखने के बाद मुझे अफसोस हुआ कि मैंने 'रंग दे बसंती' क्यों नहीं की।

उल्लेखनीय है कि 'रंग दे बसंती' साल 2006 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी और इसे दर्शकों का खूब प्यार मिला। फिल्म के डायरेक्टर राकेश ओमप्रकाश मेहरा थे। जब शाहिद से पूछा गया कि अगर उन्हें ‘कबीर सिंह’ की भूमिका दोबारा निभाने का मौका मिले तो क्या वह कुछ बदलाव करेंगे? शाहिद ने कहा कि अगर ऐसा कुछ होता है तो मैं कुछ भी नहीं बदलूंगा।

मेरी भूमिका व काम किरदार निभाना था, इसके लिए लोगों को प्रेरित करना नहीं। आपको ‘कबीर’ पसंद नहीं, तो भी बढ़िया और है तो भी बढ़िया क्योंकि मैं यहां आपको कोई किरदार पसंद करने के लिए मनाने नहीं आया। मैं फिल्म में किरदार निभाने के लिए था। सिनेमा को ऐसा ही होना चाहिए।