‘उमराव जान’ 4K में फिर से सिनेमा घरों में — 27 जून से होगी भव्य पुनःप्रस्तुति

भारतीय सिनेमा की एक कालजयी कृति ‘उमराव जान’ को अब दर्शक 4K गुणवत्ता में बड़े पर्दे पर फिर से देख सकेंगे। पीवीआर आईनॉक्स के ‘Timeless Classics’ अभियान के अंतर्गत यह फिल्म 27 जून से चुनिंदा शहरों के सिनेमाघरों में पुनः रिलीज़ की जा रही है।

इस प्रतिष्ठित फिल्म का 4K रिस्टोरेशन NFDC-NFAI (नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन और नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया) द्वारा किया गया है। फिल्म का निर्माण एस. के. जैन एंड संस और इंटीग्रेटेड फिल्म्स ने किया था और इसे निर्देशित किया था मुज़फ़्फ़र अली ने। फिल्म में रेखा ने उमराव जान की भूमिका निभाकर एक अमर छवि गढ़ दी थी।

पुनःप्रस्तुति के साथ एक दुर्लभ कॉफी टेबल बुक भी होगी लॉन्च

इस मौके को और विशेष बनाने के लिए निर्देशक मुज़फ़्फ़र अली एक सीमित संस्करण की कॉफी टेबल बुक भी लॉन्च कर रहे हैं। इसमें फिल्म के शूटिंग के अनदेखे पल, कॉस्ट्यूम स्केच, कैलिग्राफी, शायरी, और सेट से जुड़े निजी अनुभव शामिल होंगे। यह किताब सिनेप्रेमियों, छात्रों और सांस्कृतिक प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय धरोहर होगी।

रेखा की ऐतिहासिक भूमिका और फिल्म का जादू

उमराव जान न सिर्फ एक फिल्म थी, बल्कि प्रेम, पीड़ा और प्रतीक्षा की एक कवितामय अभिव्यक्ति रही है। रेखा द्वारा निभाई गई उमराव की भूमिका को आज भी भारतीय सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ अभिनय में गिना जाता है। इस भूमिका के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (श्रेष्ठ अभिनेत्री) से सम्मानित किया गया था।

फिल्म में खय्याम का संगीत और शहरयार की ग़ज़लें — ‘दिल चीज़ क्या है’, ‘इन आंखों की मस्ती’, ‘जुस्तजू जिसकी थी’ — आज भी दिलों में गूंजती हैं।

अब नए रूप में, वही आत्मा, नई भव्यता

यह रिस्टोर्ड संस्करण मूल फिल्म की आत्मा को बनाए रखते हुए दृश्य वैभव और ध्वनि की गुणवत्ता को आधुनिक दर्शकों के अनुरूप बेहतर बनाता है। यह फिल्म भारतीय सिनेमा की सांस्कृतिक विरासत को पुनः जीवंत करने का प्रयास है।

निर्देशक मुज़फ़्फ़र अली बोले: यह एक खोई हुई तहज़ीब की आत्मा में झांकने का प्रयास था

उमराव जान सिर्फ एक फिल्म नहीं थी, यह एक संवेदना, एक संस्कृति की पुनर्रचना थी। हमने एक ऐसे युग की मोहब्बत और अदब को पुनः जीने की कोशिश की, जहाँ शायरी में दिल की बातें होती थीं। रेखा ने इस किरदार को सिर्फ निभाया नहीं, जीया। आज की पीढ़ी जब इसे बड़े पर्दे पर देखेगी, तो उसे भी अपने अंदर इस तहज़ीब की झलक महसूस होगी।

रेखा की भावुक प्रतिक्रिया: ये किरदार मेरे भीतर आज भी सांस लेता है

उमराव जान कोई किरदार नहीं थी, वो आज भी मुझमें जीवित है। उस वक्त हममें से कोई नहीं जानता था कि ये फिल्म इतनी कालजयी बन जाएगी। इसे फिर से बड़े पर्दे पर देखना मानो एक पुराना प्रेम पत्र नई पीढ़ी के हाथों में देखना है। मेरा दिल भावनाओं से भरा है।

पीवीआर आईनॉक्स की पहल: ‘Timeless Classics’

निहारिका बिजली, (लीड स्ट्रैटजिस्ट, पीवीआर आईनॉक्स) ने कहा: “उमराव जान एक सिनेमाई कविता है — प्रेम, संस्कृति और विरह की एक अमर कथा। इसे 4K में फिर से पेश करना एक उत्सव है, जो भारतीय सिनेमा की समूह में देखने की परंपरा को जीवित रखता है।”

रिस्टोरेशन प्रक्रिया: सहेजे गए सेलुलॉइड की पुनर्जन्म कथा

प्रकाश मघदुम, प्रबंध निदेशक, NFDC, ने बताया: “मुज़फ़्फ़र अली की मदद से हमें फिल्म की मूल निगेटिव की खोज हुई, लेकिन उसकी स्थिति खराब होने के कारण NFAI में संरक्षित 35mm प्रिंट से रिस्टोरेशन किया गया। रंगों की ग्रेडिंग खुद अली साहब ने देखी है।”

27 जून से देशभर के पीवीआर आईनॉक्स में चुनिंदा सिनेमाघरों में प्रदर्शित

इस सिनेमाई धरोहर को फिर से जीने का अवसर न गँवाएं। यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, भारतीय संस्कृति की एक जीवंत झलक है — वो तहज़ीब, जो अब सिर्फ स्मृतियों में रह गई है।