देशभक्ति का फॉर्मूला: आखिर क्यों बार-बार राष्ट्रवादी किरदारों में लौटते हैं अक्षय कुमार?

अक्षय कुमार एक बार फिर वर्दी में लौट आए हैं। इस बार फिल्म ‘केसरी चैप्टर 2’ के जरिए, जो 2019 की उनकी चर्चित फिल्म ‘केसरी’ का अगला अध्याय है। ऐसा लगता है मानो अक्षय का तिरंगे से प्रेम कभी खत्म नहीं होता – और दर्शकों को भी इससे कोई शिकायत नहीं!

चाहे ‘एयरलिफ्ट’ जैसी ब्लॉकबस्टर हो या ‘पृथ्वीराज’ जैसी निराशा, एक बात तो साफ है—अक्षय कुमार के लिए देशभक्ति अब केवल एक शैली नहीं, बल्कि एक सिनेमाई पहचान बन चुकी है।

वर्दी है अक्षय की सुरक्षित ज़ोन

सच कहें तो स्क्रीन पर वर्दी पहनने में जो आत्मविश्वास अक्षय कुमार दिखाते हैं, वो शायद ही किसी और में देखने को मिले। ‘केसरी’ की आग उगलती आंखों से लेकर ‘रुस्तम’ की सधी हुई गंभीरता तक, उन्होंने फौजी से लेकर पुलिस और यहां तक कि वैज्ञानिक और वकील जैसे किरदारों में भी देशभक्ति का रंग भरा है।

जब ‘बच्चन पांडे’ और ‘सेल्फी’ जैसी फिल्में औंधे मुंह गिरीं, तब किसी को हैरानी नहीं हुई कि अक्षय अगली फिल्म में फिर किसी राष्ट्रवादी किरदार में नजर आने वाले हैं। यह उनके लिए सिनेमाई 'सेफ्टी नेट' बन गया है।

अक्षय की फिल्मोग्राफी में देश ही सर्वोपरि

• ‘नमस्ते लंदन’ (2007): वो आइकॉनिक संवाद जो आज भी सीटी बजवाता है

• ‘एयरलिफ्ट’ (2016): देशभक्ति की मिसाल

• ‘टॉयलेट: एक प्रेम कथा’ (2017): स्वच्छ भारत की सामाजिक झलक

• ‘गोल्ड’ (2018): हॉकी के जरिये राष्ट्रीय गौरव

• ‘मिशन मंगल’ (2019): वैज्ञानिकों की देशभक्ति

• ‘पृथ्वीराज’ (2022): आलोचना के बावजूद विरासत का झंडा बुलंद

• ‘राम सेतु’ (2022): मिश्रित समीक्षाएं, पर भारतीय संस्कृति की झलक

• ‘ओएमजी 2’ (2023): भारतीय मूल्यों पर नैतिक टिप्पणी

और फिर आईं ‘मिशन रानीगंज’, ‘सरफिरा’ और अब ‘केसरी चैप्टर 2’। हिट हो या फ्लॉप, अक्षय का झुकाव तिरंगे की ओर बना ही रहता है।

अक्षय = राष्ट्र पहले

यह फॉर्मूला तब भी काम करता है जब बॉक्स ऑफिस पर नतीजे अनिश्चित हों, क्योंकि यह अक्षय की ब्रांड इमेज से गहराई से जुड़ा है। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने खुद को “नेशन फर्स्ट” एक्टर के तौर पर स्थापित कर लिया है।

याद कीजिए—कोविड के दौरान चुपचाप करोड़ों का दान, या फिर कनाडाई नागरिकता का मुद्दा—इन सब में उन्होंने बड़ी चतुराई से अपनी देशभक्ति की छवि को कायम रखा।

अब ‘केसरी 2’ के साथ अक्षय फिर उसी कंधे पर भारत को उठाने लौटे हैं—इस बार वकील बनकर।

‘केसरी चैप्टर 2’: न्याय की लड़ाई


इस बार कहानी है जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद की घटनाओं की। ‘The Case That Shook the Empire’ नामक पुस्तक पर आधारित इस फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं करण सिंह त्यागी। अक्षय इस बार मशहूर वकील सी. शंकरन नायर की भूमिका निभा रहे हैं, जो 1906 से 1908 तक मद्रास के एडवोकेट जनरल रहे और जिनकी ब्रिटिश शासन के खिलाफ कानूनी लड़ाई ऐतिहासिक थी।

अगर पहली ‘केसरी’ ने वीरता और भावना का मेल दिखाया था, तो इसका सीक्वल उससे भी आगे जाने की तैयारी में है—अधिक साहस, अधिक गर्व और शायद कुछ और आंसू।

स्थायित्व बनाम प्रयोग

जहां आजकल ज्यादातर अभिनेता अपनी छवि के साथ प्रयोग कर रहे हैं (जैसे रणबीर कपूर का ‘एनिमल’ अवतार), वहीं अक्षय कुमार अपने परिचित ट्रैक पर चलते हुए दर्शकों को वही पुरानी, लेकिन पसंदीदा ‘चाय’ का स्वाद दे रहे हैं—गर्म, घरेलू और पूरी तरह देसी।

निष्कर्ष: अक्षय और देशभक्ति – एक अटूट रिश्ता

बॉलीवुड में जहां हर कोई कुछ नया करने की होड़ में है, वहीं अक्षय कुमार अपने रास्ते पर स्थिरता से चलते हुए हमें यह याद दिलाते हैं कि सच्ची देशभक्ति नारे में नहीं, कर्म में होती है।

चाहे बॉक्स ऑफिस गले लगाए या नकार दे, अक्षय कुमार झंडा उठाते रहेंगे—हर बार, पूरे गर्व के साथ।