ऑपरेशन सिंदूर की गूंज के बीच चर्चा में आई 1987 की सिंदूर, सिनेमाघरों में मचाया था धमाल, बदल गई थी शशि कपूर-जया प्रदा की तकदीर

जिस वक्त देश ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के साहसी अभियान की गूंज से गर्वित है, उसी दौरान एक पुरानी फिल्म ‘सिंदूर’ भी चर्चा में लौट आई है, जिसने करीब चार दशक पहले बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया था। 1987 में रिलीज हुई इस फिल्म ने न सिर्फ रिकॉर्ड तोड़े, बल्कि अपने कलाकारों की किस्मत भी बदल दी।

38 साल बाद फिर याद आई 'सिंदूर'

'सिंदूर' फिल्म उस दौर की याद दिलाती है जब शशि कपूर और जया प्रदा जैसे सितारों की चमक चरम पर थी। फिल्म में गोविंदा और नीलम की जोड़ी ने युवा दर्शकों को लुभाया, वहीं जितेंद्र और ऋषि कपूर की मौजूदगी ने इसे और भी मज़बूत बना दिया। निर्देशक के. रविशंकर की यह पहली फिल्म थी, जिसे कृष्णमूर्ति ने प्रोड्यूस किया और इसके डायलॉग्स खुद कादर खान ने लिखे थे।

स्वतंत्रता दिवस पर हुई थी धमाकेदार रिलीज

15 अगस्त 1987 को जब 'सिंदूर' सिनेमाघरों में रिलीज हुई, तो उसी हफ्ते 'वतन के रखवाले' भी थिएटर में थी। बावजूद इसके, 'सिंदूर' ने जबरदस्त कमाई कर वर्ष की सबसे सफल फिल्मों में जगह बना ली। महज 2 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने 3.5 करोड़ रुपये की कमाई की, जो उस समय बड़ी बात थी।

साउथ की रीमेक, दिल को छूने वाली कहानी

'सिंदूर' दरअसल तमिल फिल्म 'उन्नई नान शांतिथेन' का हिंदी रीमेक थी। इसकी कहानी एक गलतफहमी और आत्मबलिदान के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म में विजय को यह भ्रम होता है कि उसकी पत्नी लक्ष्मी का किसी और से संबंध है, और इसी शक के कारण वह उसे घर से निकाल देता है। सालों बाद जब सच्चाई सामने आती है, तो उसकी आंखें खुलती हैं। इसी संवेदनशील विषय को दर्शकों ने हाथोंहाथ लिया।

सिनेमा से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक तक 'सिंदूर' की गूंज

आज जब 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए भारत ने आतंक के ठिकानों को ध्वस्त कर एक मजबूत संदेश दिया है, उसी समय 'सिंदूर' नाम की यह फिल्म लोगों की यादों में फिर ताज़ा हो गई है। एक तरफ सिनेमा का 'सिंदूर' भावनाओं और पारिवारिक रिश्तों की कहानी कहता है, वहीं असली जिंदगी का 'ऑपरेशन सिंदूर' भारत की सैन्य ताकत और संप्रभुता की रक्षा का प्रतीक बन गया है।

नाम अलग, भावना एक

फिल्म 'सिंदूर' और 'ऑपरेशन सिंदूर'—दोनों ही भारतीय भावनाओं से गहराई से जुड़े हैं। एक ने सिनेमा के माध्यम से दिलों को जीता, तो दूसरे ने अपने साहस से सीमाओं की रक्षा की। दोनों ही समय के आइने में भारतीय आत्मा की अलग-अलग परछाइयों को दर्शाते हैं।