एंटी-हीरो का जादू: बॉलीवुड के ग्रे किरदार जिन्होंने दिलों पर किया राज

बॉलीवुड में नायक को हमेशा से हीरो माना गया है — सच्चा, साहसी और सही। लेकिन असली रोमांच तब शुरू होता है जब पर्दे पर उतरता है एंटी-हीरो: वो किरदार जो सही और गलत के बीच की धुंधली रेखा पर चलता है, खतरनाक है लेकिन करिश्माई, और ऐसा असर छोड़ जाता है जिसे भुलाना मुश्किल होता है। ये किरदार अक्सर जुनून, दर्द या ताकत की भूख से प्रेरित होते हैं और नैतिकता की सीमाओं को पार करते हैं।

वैसे हिन्दी सिनेमा में एंटी हीरो की भूमिका का चलन 60 के दशक से चला रहा है। जहाँ दो समानान्तर नायकों को लेकर कहानी का ताना बाना बुना जाता था, जिनमें एक नायक जो पूरी तरह से नायक नहीं होता था, वो सिक्के के दो पहलू की तरह, अच्छा और बुरा दोनों होता था। अपने समय में हिन्दी सिनेमा में विनोद खन्ना, शत्रुघ्न सिन्हा, अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र ऐसे सितारे रहे जिन्होंने अपनी ग्रे शेड भूमिकाओं से दर्शकों को अपना दीवाना बनाया।

वर्तमान समय के नायकों में शाहरुख खान, अजय देवगन, अक्षय कुमार, शाहिद कपूर, रणदीप हुड्डा, सैफ अली खान ऐसे सितारे हैं जो एंटी हीरो की भूमिका में अपनी गहरी छाप छोड़ने में सफल हुए हैं। चाहे शाहरुख़ का जुनून से भरा 'राहुल' हो या रणवीर का बेकाबू 'खिलजी', इन किरदारों ने साबित किया है कि दर्शकों को सिर्फ अच्छाई नहीं, बल्कि उसकी परछाइयाँ भी उतनी ही लुभाती हैं।

आज हम अपने लाइफबैरी के पाठकों को कुछ ऐसे अभिनेताओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपने ग्रे शेड्स से एंटी-हीरो को नया चेहरा दिया और भारतीय सिनेमा की कहानी को और भी रोचक बना दिया।

शाहरुख़ ख़ान

'किंग ऑफ रोमांस' बनने से पहले शाहरुख़ ने बाजीगर, डर और अंजाम में एंटी हीरो की भूमिका निभाकर सबको चौंका दिया था। उन्होंने इस भूमिका में जो लोकप्रियता हासिल की उसने एंटी हीरो किरदार को एक नया आयाम दिया। डर (1993) में शाहरुख ने राहुल के रूप में एक जुनूनी और डरावने प्रेमी का किरदार निभाकर अपनी रोमांस की छवि को स्थापित किया। उनका क-क-क-किरण आज भी याद किया जाता है। बाद के वर्षों में उन्होंने डॉन में उन्होंने स्टाइलिश और चालाक अपराधी का रोल किया, जिससे नई पीढ़ी के लिए ऐंटी-हीरो को फिर से परिभाषित किया।

हालांकि इस मामले में अमिताभ बच्चन सबसे आगे रहे हैं। वो हिन्दी सिनेमा के पहले ऐसे लोकप्रिय नायक थे जिन्होंने दीवार, त्रिशूल, कस्मे वादे, डॉन और देश प्रेमी सरीखी फिल्मों में स्टाइलिश और चालाक अपराधी की भूमिका को शिद्दत के साथ परदे पर पेश किया। विशेष रूप से डॉन में उन्होंने अपनी अदाकारी और स्टाइलिश को जिस अंदाज में परदे पर उतारा वह आज भी युवा पीढ़ी के नायकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। शाहरुख खान ने वर्ष 2006 और 2011 में उनके इसी किरदार को अपने अंदाज में परदे पर उतारा और सफलता का एक नया आयाम स्थापित किया।

रणदीप हुड्डा

बीते अप्रैल माह में सनी देओल अभिनीत जाट प्रदर्शित हुई थी। कहने को इस फिल्म को सनी देओल की फिल्म कहा गया, लेकिन फिल्म देखने के बाद दर्शकों ने फिल्म में खलनायक की भूमिका में नजर आए रणदीप हुड्डा की जमकर तारीफ की। न पूरी तरह से खलनायक और न नायक के रूप में नजर आए हुड्डा ने एंटी हीरो के किरदार को एक अलग अंदाज में परदे पर उतारा। उनका किरदार जितना डरावना था, उतना ही आकर्षक भी। अपनी भूमिकाओं में गहराई और सच्चाई लाने के लिए रणदीप ने इस ग्रे किरदार को भी बड़ी बारीकी से निभाया।

रणबीर कपूर

अपने पिता ऋषि कपूर की तरह फिल्मों में लवर ब्वाय के रूप में नजर आने वाले रणबीर कपूर ने संदीप रेड्डी वांगा की एनिमल में पहली बार एंटी हीरो की भूमिका को निभाया। एनिमल (2023) में रणबीर का किरदार रणविजय एक हिंसक और भावनात्मक रूप से टूटा हुआ इंसान था। प्रेम और विनाश के बीच फंसे इस किरदार को रणबीर ने इतनी खूबसूरती से निभाया कि दर्शक उसे एक साथ चाहने और डरने लगे।

सैफ अली खान

विशाल भारद्वाज निर्देशित ओमकारा में सैफ अली खान ने उस समय एंटी हीरो की भूमिका की जब वे नायक के तौर पर सफलता के साथ आगे बढ़ रहे थे। ओमकारा का लंगड़ा त्यागी कितना क्रूर और बेरहम था उसे सैफ ने अपने अभिनय से एक अलग अंदाज में परदे पर उतारा। दर्शकों के जेहन में आज भी लंगड़ा त्याग गहरी पैठ के साथ छाया हुआ है। वर्ष 2019 में तान्हाजी में उन्होंने फिर अपनी एंटी हीरो भूमिका को साकार किया। गत वर्ष देवारा पार्ट 1, में सैफ अली खान ने जूनियर एनटीआर के सामने एक रहस्यमय और खतरनाक विलेन का किरदार निभाया। ओमकारा और लाल कप्तान जैसी फिल्मों में ग्रे किरदारों से सैफ पहले भी ये साबित कर चुके हैं कि वो ग्रे किरदारों को बड़ी गहराई से समझते हैं।

शाहिद कपूर

कमीने (2009) में शाहिद कपूर ने गड्डू और चार्ली के दोहरे किरदार निभाए — एक हकलाता है, दूसरा तुतलाता है — दोनों ही सिस्टम से जूझते हुए, नैतिकता की सीमा पर जीते हैं। ये किरदार नायक नहीं थे, लेकिन दर्शकों की हमदर्दी जरूर जीत गए। इसी वर्ष प्रदर्शित हुई देवा में एक बार फिर से शाहिद कपूर एंटी हीरो के तौर पर नजर आए जो पुलिस वाला है लेकिन अपने अंदाज में अपराधियों से निपटता है। वह न तो पूरी तरह से अच्छा है और न ही पूरी तरह से खराब।

रणवीर सिंह

वर्तमान युवा नायकों में रणवीर सिंह एक ऐसे अभिनेता के रूप में उभरे हैं जो नायक और खलनायक दोनों रूपों में दर्शकों को अपने साथ बहा ले जाने में सफल रहा है। गोलियों की रासलीला रामलीला और बाजीराव मस्तानी में संजय भंसाली ने उन्हें एक अच्छे नायक के रूप में परदे पर जीवंतता के साथ पेश किया। वहीं उन्होंने अपनी लगातार तीसरी फिल्म में रणवीर सिंह को परदे पर क्रूर शासक अलाउद्दीन खिलजी के रूप में दर्शकों के सामने किया। इस किरदार को जिस जुनूनी अंदाज में रणवीर ने परदे पर साकार किया उसने यह बात को स्पष्ट किया कि अगर कभी नायक के रूप में असफल हुए तो फिल्मों में खलनायक के रूप में नई मिसाल बनकर छाएंगे। पद्मावत (2018) में रणवीर सिंह ने अलाउद्दीन खिलजी की भूमिका में एक उन्मादी, महत्वाकांक्षी और क्रूर शासक को इतने प्रभावशाली ढंग से निभाया कि उनका किरदार फिल्म पर हावी हो गया। रणवीर ने साबित किया कि खलनायक भी दर्शकों का हीरो बन सकता है।

विक्की कौशल

छावा में एक देशभक्त योद्धा के रूप में अपने अभिनय से दर्शकों को दीवाना बनाने वाले विक्की कौशल ने अपने करियर के शुरूआती दौर में एंटी हीरो की भूमिका निभाई थी। अनुराग कश्यप के निर्देशन में बनी रमन राघव 2.0 (2016) में विक्की कौशल ने एक भ्रष्ट, ड्रग्स लेने वाले पुलिसवाले का किरदार निभाया था। कानून के रखवाले का ही अंधेरे में गिर जाना, उन्हें एक बेहद दिलचस्प एंटी-हीरो बना देता है।