‘महाभारत’ के ‘कृष्ण’ ने किया ‘ओपेनहाइमर’ का बचाव, विवेक अग्निहोत्री ने बताए ‘आदिपुरुष’ की बर्बादी के कारण

हाल ही में भारत में हॉलीवुड फिल्म 'ओपमेनहाइमर' थिएटर्स में रिलीज हुई। कुछ दर्शकों को यह फिल्म नागवार गुजरी। दरअसल फिल्म में एक इंटिमेट सीन के दौरान भगवद् गीता के श्लोक के इस्तेमाल से दर्शक भड़क गए। हालांकि अब महाभारत सीरियल में कृष्ण का कालजयी किरदार निभाने वाले अभिनेता नितीश भारद्वाज ने फिल्म का बचाव किया है। नितीश ने ई टाइम्स के साथ बातचीत में कहा कि भगवद् गीता संघर्षों, खासकर भावनात्मक संघर्षों के बीच अपने कर्मों को करते रहने का संदेश देती है।

श्लोक 11.32 अर्जुन को एक योद्धा के रूप में कर्तव्य पूरा करने की सीख देता है। कृष्ण के श्लोक को अच्छी तरह से समझे जाने की जरूरत है। वे कहते हैं कि अगर तुम उन्हें नहीं मारोगे, तो भी वे खत्म होंगे। इसलिए अपना कर्तव्य करो। जब ओपेनहाइमर के बनाए परमाणु बम का इस्तेमाल जापान के निर्दोष लोगों को मारने के लिए हुआ तो उनके मन में सवाल आने लगा कि क्या उन्होंने अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाया है या नहीं। उनके सबसे लोकप्रिय इंटरव्यू में उनकी आंखें नम दिखती हैं। उनके मन में अपराधबोध था।

उन्हें लगता था कि उनका आविष्कार भविष्य में मानव जाति को खत्म कर देगा। फिल्म में श्लोक के प्रयोग पर नितीश ने कहा कि इसे वैज्ञानिक पक्ष से समझा जाना चाहिए। ओपेनहाइमर की भावनात्मक स्थिति के बारे में सोचिए। एक वैज्ञानिक अपने आविष्कार के बारे में हर समय सोचता है, चाहे वह कुछ भी कर रहा हो। मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे ओपेनहाइमर के भावनात्मक पक्ष को समझें। अब हम देख रहे हैं कि परमाणु तकनीक इंसानों की बर्बादी का कारण बन रही है। उनकी बात सच नहीं हो गई? आपको बता दें कि 'ओपेनहाइमर' वैज्ञानिक जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर के जीवन पर आधारित है। ओपेनहाइमर ने परमाणु बम बनाया था। वे संस्कृत में काफी दिलचस्पी रखते थे। उन्होंने भगवद् गीता समेत कई हिंदू ग्रंथ पढ़े थे।

कहानी पर भरोसा हो या फिर विषय पर पकड़ : विवेक अग्निहोत्री

‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी सफल फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने बताया कि आखिर ‘आदिपुरुष’ में क्या गड़बड़ी हुई जिस कारण से फिल्म बर्बाद हो गई। मशहूर फिल्मकार ओम राउत की रामायण पर आधारित फिल्म में प्रभास, कृति सेनन एवं सैफ अली खान जैसे बड़े सितारे थे। विवेक ने एक इंटरव्यू में कहा कि जब आप कुछ ऐसा बनाते हो जिस पर खुद को ही यकीन नहीं और क्योंकि आजकल यह चल रहा है तो आप बेशक गलत जा रहे हो।जब भी आस्था की कहानी उठाएं या तो आपको 100 प्रतिशत उस पर भरोसा हो या फिर एक इतिहासविद की भांति उस विषय पर पकड़ हो लेकिन दुर्भाग्य से भारत में ऐसा कोई नहीं करता।

महाभारत और रामायण के लिए जो भी स्टार्स को लेगा वह इसे पूरा नहीं कर पाएगा। रामायण, महाभारत व भगवद् गीता यदि लोगों के दिलो दिमाग में 5000 वर्षों से बसी है तो कोई कारण तो होगा। पर्दे पर यदि कोई बोलता है, ए मैं भगवान हूं, इससे आप भगवान नहीं बन जाते। यदि आप हर रात दारू पीकर घर आ रहे हैं तो अगले दिन उठकर ये नहीं कह सकते हैं कि मैं भगवान हूं, मुझ पर भरोसा कीजिए। कोई इस पर भरोसा नहीं करेगा। लोग मूर्ख नहीं हैं।