
टॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता नागार्जुन ने हाल ही में अपने बेटे अखिल अक्किनेनी की शादी के बाद मीडिया से बातचीत में एक चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने न सिर्फ टॉलीवुड के लिए एक संभावित डाउन पीरियड की भविष्यवाणी की, बल्कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के पुनरुत्थान की उम्मीद भी जताई। ऐसे समय में जब बॉलीवुड और दक्षिण भारतीय सिनेमा के बीच प्रतिस्पर्धा चर्चा में है, नागार्जुन का यह बयान एक नई बहस को जन्म दे सकता है।
नागार्जुन ने एक इंटरव्यू में कहा कि फिल्म इंडस्ट्री का भविष्य लगातार बदलता रहता है और किसी भी क्षेत्र का दबदबा स्थायी नहीं होता। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें महसूस होता है कि टॉलीवुड में जल्द ही एक नया डाउन पीरियड आने वाला है। उन्होंने इसे अपने अनुभव के आधार पर बताया और कहा कि यह चक्र उन्होंने पहले भी कई बार देखा है।
हाल के वर्षों में जहां दक्षिण भारतीय फिल्मों ने हिंदी पट्टी में भी धूम मचाई है, वहीं नागार्जुन को लगता है कि अब हिंदी सिनेमा फिर से उठ खड़ा होगा और समय के साथ खुद को नया रूप देगा।
टॉलीवुड की फिल्मों पर नागार्जुन का नजरियाजब उनसे पूछा गया कि क्या टॉलीवुड में खूनखराबा और हिंसा प्रधान फिल्में बन रही हैं, तो उन्होंने असहमति जताई और उदाहरण देते हुए कहा कि तेलुगु और तमिल सिनेमा में अब कोर्ट, टूरिस्ट फैमिली और अनगनगा जैसी फिल्में भी काफी सराही जा रही हैं। उन्होंने कहा कि दर्शकों की रुचि तेजी से बदल रही है, और इंडस्ट्री को उसी के अनुसार ढलना होगा।
उन्होंने माना कि हिंदी सिनेमा में बदलाव की जरूरत थी और अब वो बदलाव आ रहा है, जो इस इंडस्ट्री को फिर से मजबूती देगा।
वर्कफ्रंट की बात करें तो...नागार्जुन जल्द ही दो बड़ी फिल्मों में नजर आने वाले हैं—पहली है ‘कुबेरा’ जिसमें उनके साथ धनुष और रश्मिका मंदाना जैसे सितारे होंगे और यह फिल्म 20 जून को रिलीज होगी। दूसरी फिल्म ‘कुली’ है, जिसमें वे रजनीकांत के साथ स्क्रीन शेयर करेंगे और यह 14 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। इससे पहले वे 2024 में फिल्म ‘ना सामी रंगा’ में नजर आए थे।
नागार्जुन का यह बयान उस समय आया है जब साउथ इंडस्ट्री लगातार सफलता के झंडे गाड़ रही है। ऐसे में उनका हिंदी फिल्मों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और टॉलीवुड के संभावित संघर्ष की बात फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक चेतावनी के रूप में देखी जा रही है। यह कहना गलत नहीं होगा कि नागार्जुन न केवल एक सफल अभिनेता हैं, बल्कि एक दूरदर्शी विचारक भी हैं, जिनकी भविष्यवाणियां आने वाले वर्षों में भारतीय सिनेमा की दिशा तय कर सकती हैं।
अगर टॉलीवुड समय रहते बदलाव नहीं अपनाता, तो जैसा नागार्जुन ने कहा – सब कुछ हमेशा बेहतर नहीं रहता।