Mother's Day 2025 Special: बॉलीवुड फिल्में जिन्होंने मां के किरदार को बड़े पर्दे पर नया आयाम दिया

मां... सिर्फ एक रिश्ता नहीं, बल्कि हर इंसान की जिंदगी की नींव होती है। भारतीय सिनेमा ने दशकों से मां के प्रेम, त्याग और साहस को अपनी कहानियों में उकेरा है। चाहे वो क्लासिक दौर हो या आधुनिक सिनेमा, मां के किरदार ने हमेशा दर्शकों के दिलों को छुआ है। मदर्स डे 2025 के खास मौके पर पेश हैं वो हिंदी फिल्में जिन्होंने मां की छवि को बड़े पर्दे पर नए रंग दिए।

मदर इंडिया

निर्देशक: मेहबूब खान अभिनेत्री: नरगिस


यह फिल्म भारतीय सिनेमा में मां के चरित्र का सबसे प्रतीकात्मक उदाहरण मानी जाती है। नरगिस द्वारा निभाया गया 'राधा' का किरदार संघर्ष, आत्मबल और नैतिकता की मिसाल है। जब बेटा गलत राह पकड़ता है, तो मां उसे माफ नहीं करती — यही इस किरदार की ताकत है।

दीवार

निर्देशक : यश चोपड़ा : अभिनेत्री निरुपा राय


यश चोपड़ा निर्देशित दीवार पूरी तरह से मेहबूब खान निर्देशित मदर इंडिया का आधुनिक संस्करण था। मदर इंडिया को कथा पटकथाकार जोड़ी सलीम जावेद ने इतनी खूबसूरती से उस समय के परिवेश में ढाला था, जिसे देखते हुए दर्शकों को यह महसूस नहीं हुआ कि यह मदर इंडिया की कॉपी है। इस फिल्म में माँ बेटे के रिश्ते को फर्ज से कमतर बताया गया था। फिल्म के क्लाइमैक्स में माँ अपने दूसरे बेटे को पिस्तौल हाथ में देती हुई कहती है, गोली चलाते वक्त तेरे हाथ नहीं काँपें। इस संवाद के अतिरिक्त फिल्म का एक अविस्मणीय दृश्य है जहाँ अमिताभ बच्चन कहते हैं मेरे पास गाड़ी है, बंगला है, रुपया है पैसा, तुम्हारे पास क्या है। जवाब में शशि कपूर कहते हैं मेरे पास माँ है। यह संवाद हिन्दी फिल्मों के इतिहास में बेहतरीन संवादों में से एक है। आज भी ओटीटी या चैनलों पर फिल्म देखते हुए इस संवाद को सुनने के बाद बरबस हाथों से तालियाँ बजती हैं।

रामलखन

निर्देशक सुभाष घई अभिनेता राखी गुलजार, जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर


इस फिल्म को सुभाष घई ने अपने नजरिये से दीवार को दर्शकों के सामने रखा था। राखी गुलजार, जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर के अभिनय से सजी यह फिल्म राखी के बेहतरीन अभिनय के लिए याद की जाती है। निरुपा राय के बाद फिल्म उद्योग में राखी ऐसी अभिनेत्री रहीं जिन्होंने माँ की भूमिकाओं में अविस्मरणीय छाप छोड़ी। इस फेहरिस्त में उनकी अक्षय कुमार की पहली फिल्म सौंगध को भी शामिल किया जा सकता है।

देवदास

निर्देशक संजय लीला भंसाली अभिनेता शाहरुख खान


भंसाली निर्देशित इस फिल्म में एक दृश्य है जहाँ शाहरुख खान माधुरी दीक्षित के कोठे पर बैठे हैं। वो कहते हैं माँ के दिल को दुखाकर आज तक कोई खुश नहीं रहा। फिल्म का यह संवाद यूं सामान्य नजर आता है लेकिन इसकी गहराई इस बात में है कि बच्चों द्वारा माँ का दिल दुखाया जाता है तो बच्चे खुश नहीं रह सकते हैं।

करण अर्जुन

निर्देशक राकेश रोशन अभिनेत्री राखी गुलजार, सलमान खान और शाहरुख खान


नब्बे के दशक में आई राकेश रोशन निर्मित और निर्देशित करण अर्जुन में माँ की भूमिका फिल्म के नायकों से ज्यादा सशक्त और प्रभावशाली थी। माँ के किरदार का स्क्रीन टाइम और प्रजेंस ने दर्शकों को अत्यधिक प्रभावित किया था। फिल्म का कथानक एक माँ के बेटों की असमय मृत्यु पर आधारित है जिसे विश्वास है कि उसके बेटे वापस आएंगे। इस दृश्य में एक लाइन का संवाद है मेरे करण अर्जुन आएंगे। इस छोटे से संवाद ने अपने समय में कई माँओं की आँखों को गीला करने में सफलता प्राप्त की थी। माँ बेटे के रिश्ते में राकेश रोशन ने भावनाओं का वो सैलाब भरा जो पूरे बॉक्स ऑफिस को अपने साथ बहाने में सफल रहा।

एयरलिफ्ट

अक्षय कुमार, निमरत कौर


अक्षय कुमार की इस फिल्म में भी माँ का किरदार बेहतरीन था। फिल्म में अक्षय कुमार द्वारा बोला गया संवाद बच्चे को जब चोट लगती है तो वो सबसे पहले माँ को पुकारता है, ने माँ की महत्वा को दर्शाया था।

पा

निर्देशक: आर. बाल्की अभिनेत्री: विद्या बालन


विद्या बालन एक ऐसी मां के रूप में जिसका बेटा एक दुर्लभ बीमारी 'प्रोजेरिया' से पीड़ित है। वह न केवल बेटे की देखभाल करती है, बल्कि सामाजिक नजरों और संघर्षों से भी लड़ती है। इस फिल्म में मां के साहस और सहनशीलता को बेहद खूबसूरती से दिखाया गया है।

जज़्बा

निर्देशक: संजय गुप्ता अभिनेत्री: ऐश्वर्या राय बच्चन


इस फिल्म में ऐश्वर्या ने एक वकील और मां का किरदार निभाया है, जो अपनी अपहृत बेटी को बचाने के लिए एक अपराधी को बचाने का केस लड़ती है। यह फिल्म बताती है कि एक मां अपने बच्चे के लिए किस हद तक जा सकती है — यहां तक कि अपनी पेशेवर नैतिकताओं को भी पीछे छोड़ सकती है।

कहानी 2 – दुर्गा रानी सिंह

निर्देशक: सुजॉय घोष अभिनेत्री: विद्या बालन


एक बार फिर विद्या बालन इस सूची में शामिल हैं। इस थ्रिलर फिल्म में विद्या बालन ने एक ऐसी महिला का किरदार निभाया जो एक बच्ची को उसके अपमानजनक रिश्तेदारों से बचाकर अपनी बेटी की तरह पालती है। फिल्म का अंत चौंकाने वाला है, लेकिन मां के रूप में दुर्गा का संघर्ष भावनात्मक रूप से गहराई लिए हुए है।

मॉम

निर्देशक: रवि उद्यावर अभिनेत्री: श्रीदेवी


श्रीदेवी की यह आखिरी फिल्मों में से एक थी, जिसमें उन्होंने एक ऐसी मां का किरदार निभाया जो अपनी बेटी के साथ हुए अन्याय का बदला खुद लेती है। यह फिल्म दिखाती है कि जब न्याय व्यवस्था कमजोर पड़ती है, तब एक मां की ममता किस हद तक जा सकती है। श्रीदेवी का भावनात्मक और मजबूत अभिनय फिल्म की आत्मा है।

हेलिकॉप्टर ईला

निर्देशक: प्रदीप सरकार अभिनेत्री: काजोल


इस फिल्म में काजोल ने एक सिंगल मदर का किरदार निभाया है, जो अपने बेटे के जीवन में इस कदर उलझ जाती है कि अपनी पहचान खो बैठती है। लेकिन जब बेटा उससे दूर होने की बात करता है, तो वह अपने अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए कॉलेज लौटती है। एक प्रेरणादायक कहानी, जो हर मां को अपने लिए भी जीने की सीख देती है।

मिमी

निर्देशक: लक्ष्मण उतेकर अभिनेत्री: कृति सेनन


कृति सेनन ने एक सरोगेट मां का किरदार निभाया जो शुरुआत में पैसों के लिए यह फैसला लेती है, लेकिन बाद में जब बच्चे को छोड़ दिया जाता है, तो वह उसी बच्चे की सगी मां बन जाती है। फिल्म एक अलग और आधुनिक मां की भावनात्मक यात्रा को दर्शाती है।

मां सिर्फ जन्म नहीं देती, वो जीवन का हर पाठ पढ़ाती है


इन फिल्मों ने यह साबित किया कि मां के किरदार को सिर्फ भावुकता तक सीमित नहीं रखा गया है, बल्कि वह शक्ति, साहस और बदलाव की प्रतीक भी बन सकती है।