मनीषा रानी ने जीती ‘झलक दिखला जा 11’ की ट्रॉफी, मिली इतनी इनामी राशि, जीत के बाद कही ये बातें

टीवी की दुनिया के लोकप्रिय डांस रियलिटी शो 'झलक दिखला जा' के 11वें सीजन की ट्रॉफी वाइल्ड कार्ड से एंट्री लेने वालीं बिहार की कंटेस्टेंट मनीषा रानी (26) ने चूमी। शनिवार (2 मार्च) रात इसके ग्रैंड फिनाले का टेलीकास्ट हुआ। हालांकि 2-4 दिन पहले ही मीडिया रिपोर्टों में विजेता के रूप में मनीषा के नाम पर मोहर लगा दी गई थी। तब मनीषा के फोटो और वीडियो वायरल हो गए थे। इसका कारण ये है कि शो की रिकॉर्डिंग पहले ही हो जाती है।

मनीषा ने पिछले साल ‘बिग बॉस ओटीटी 1’ में भी हिस्सा लिया था। मनीषा को इनामी राशि के रूप में 30 लाख रुपए का नकद पुरस्कार मिला, जबकि उनके कोरियोग्राफर आशुतोष पवार को 10 लाख रुपए दिए गए। मनीषा और आशुतोष को अब यस द्वीप, अबू धाबी के टूर पर भी जाने का मौका मिलेगा। फिनाले में टॉप-5 फाइनलिस्ट के बीच जबरदस्त कंपीटिशन देखने को मिला।

फाइनल में मनीषा के साथ मशहूर टीवी एक्टर शोएब इब्राहिम, 'इंडियन आइडल 5' के विजेता श्रीराम चंद्रा, अभिनेता अद्रिजा सिन्हा और सोशल मीडिया इंफ्लयूएंसर व क्रिकेटर युजवेंद्र चहल की पत्नी धनश्री वर्मा ने भी चुनौती पेश की। फिनाले में 'मर्डर मुबारक' की एक्ट्रेस सारा अली खान, विजय वर्मा और संजय कपूर भी शामिल हुए। बता दें कि शो के जज एक्टर अरशद वारसी, कोरियोग्राफर फराह खान और मॉडल व एक्ट्रेस मलाइका अरोड़ा थे। मनीषा अपने डांस मूव्स से ऑडिएंस और सभी जज को प्रभावित करने में सफल रहीं।

शो में हिस्सा लेना ही शाहरुख से ‘मन्नत’ में मिलने का सपना देखना जैसा था : मनीषा

शो जीतने के बाद मनीषा ने कहा कि एक आम व्यक्ति के रूप में 'झलक दिखला जा' देखकर मैं अक्सर इसमें भाग लेने के बारे में कल्पना करती थीं। यह शाहरुख खान से उनके बंगले 'मन्नत' में मिलने का सपना देखने जैसा था। मुंगेर से मुंबई तक का सफर चुनौतीपूर्ण और दिलचस्प दोनों रहा है। 'ईटाइम्स' के साथ बातचीत में मनीषा ने कहा कि अब जब मैं ट्रॉफी के साथ बिहार वापस जाऊंगी, तो मैं चाहती हूं कि वे सभी लड़कियां जो कुछ बड़ा करने की इच्छा रखती हैं, वे मेरी कहानी से प्रेरित हों।

मुझे खुद पर भरोसा था कि मैं कड़ी मेहनत और दर्शकों के समर्थन के कारण जीतूंगी, लेकिन हमेशा एक प्रतिशत डर था कि अगर मैं नहीं जीती तो क्या होगा। लोग अक्सर कहते हैं कि जो लोग शुरू से ही किसी शो का हिस्सा होते हैं, वे जीतने के हकदार होते हैं।

वाइल्ड कार्ड प्रतियोगी आम तौर पर जीत नहीं पाते, क्योंकि उन्हें खुद को साबित करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता। इसमें दोगुनी मेहनत लगती है। मैंने भी ढाई महीने तक कड़ी मेहनत की। मैं हमेशा एक डांसर बनना चाहती थी। घर से भागे, कोलकाता गए, डांस के लिए इतना स्ट्रगल किया, जैसे-तैसे रहे, 500 रुपए में बैकग्राउंड डांस किया।