
बॉलीवुड अभिनेत्री काजोल ने हाल ही में अपनी आगामी फिल्म ‘मां’ के प्रमोशन के दौरान एक इंटरव्यू में पपराज़ी से जुड़े मुद्दों पर खुलकर बात की। सोशल मीडिया पर कई बार उनके पपराज़ी से तीखे संवादों को लेकर उन्हें ‘डरावना’ (Scary) कहा गया है और उनकी तुलना दिग्गज अभिनेत्री जया बच्चन से भी की गई है। इस पर अब काजोल ने दो टूक जवाब दिया है।
डरावनी लगती हूं तो ‘मां’ देखिएZoom को दिए गए इंटरव्यू में काजोल ने कहा, अगर आपको लगता है कि मैं डरावनी हूं तो प्लीज़ 'मां' देखिए। अब वीडियो का ही जमाना है। पपराज़ी भी वहीं खड़े रहते हैं, इंतज़ार करते हैं कि आप कुछ कहें। वो उकसाते हैं, तब तक आपको कुछ बोलना पड़ता है। चीखने की जरूरत नहीं, लेकिन इतना तो कहना ही पड़ता है कि, 'दोस्तों, शांत हो जाइए। फोटो लेने के लिए चिल्लाने की जरूरत नहीं है।'
जबरन रिएक्शन लेने की कोशिशकाजोल ने यह भी बताया कि आजकल केवल तस्वीर लेना मकसद नहीं होता, बल्कि पपराज़ी एक खास “रिएक्शन” चाहते हैं ताकि उसमें कोई नकारात्मक टैगलाइन जोड़ सकें। उन्होंने कहा, अब बात सिर्फ तस्वीर या वीडियो लेने की नहीं है। वो कोई रिएक्शन चाहते हैं ताकि किसी भी तरह का टैगलाइन या विवाद उससे जोड़ा जा सके।
जया बच्चन से तुलना क्यों हो रही है?काजोल की तुलना जया बच्चन से इसलिए हो रही है क्योंकि सोशल मीडिया पर उनके ऐसे कई वीडियो वायरल हुए हैं जिनमें वह पपराज़ी की हरकतों पर उन्हें टोकती नजर आती हैं। जया बच्चन भी पपराज़ी के खिलाफ अपनी स्पष्ट राय रखने के लिए जानी जाती हैं। इस पर काजोल ने इशारों में कहा कि उन्हें इसमें कोई दिक्कत नहीं कि लोग उन्हें कड़वा समझें।
अंतिम संस्कार पर फोटो मांगना असंवेदनशीलता हैएक अन्य इंटरव्यू में Bollywood Hungama से बात करते हुए काजोल ने कहा कि पपराज़ी का कुछ मौकों पर बर्ताव बेहद असंवेदनशील होता है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि कुछ जगहों पर पपराज़ी को नहीं होना चाहिए। मुझे बहुत अजीब लगता है जब वो किसी के अंतिम संस्कार में भागते हैं और फोटो मांगते हैं। ये असंवेदनशीलता है। आप लंच पर भी नहीं जा सकते, बिना पीछा किए।
फिल्म 'मां' के जरिए नई छवि पेश करेंगी काजोलइन तमाम चर्चाओं के बीच काजोल अपनी नई फिल्म ‘मां’ को लेकर खासा उत्साहित हैं। इस फिल्म के जरिए वह एक भावनात्मक और गंभीर किरदार में नज़र आएंगी और दर्शकों को उनकी एक नई झलक देखने को मिलेगी।
इस पूरी बातचीत से साफ है कि काजोल न सिर्फ बेबाक राय रखती हैं बल्कि मीडिया की जिम्मेदारी और सीमाओं को भी समझने की बात कर रही हैं।