इंटरनेशनल एमी अवार्ड्स के 52वें संस्करण का आयोजन अमेरिकी शहर न्यूयॉर्क में हुआ। भारतीय वेब सीरीज 'द नाइट मैनेजर' को एमी अवार्ड्स में बेस्ट ड्रामा कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया था लेकिन ये खिताब जीतने से चूक गई। इस सीरीज में अनिल कपूर, आदित्य रॉय कपूर और शोभिता धुलिपाला लीड रोल में थे। अवार्ड ‘ड्रॉप ऑफ गॉड’ वेब सीरीज के नाम रहा। यह एक अमेरिकन-फ्रेंच और जापानी टेलीविजन सीरीज है। यह पारिवारिक ताना-बाना और ट्रॉमा के विषयों के साथ एक प्रसिद्ध वाइन संग्रह से जुड़ी विरासत के लिए एक उच्च-दांव प्रतियोगिता की पड़ताल करती है।
बता दें ‘द नाइट मैनेजर’ इकलौती भारतीय सीरीज थी जिसे एमी अवार्ड्स में नॉमिनेशन मिला। यह इसी नाम से बनी ब्रिटिश सीरीज और जॉन ले कैरे के एक नॉवेल का रूपांतरण है। शो में तिलोत्तमा शोम, सास्वता चटर्जी और रवि बहल के भी अहम रोल हैं। इसके दो पार्ट आ चुके हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर इसका मजा लिया जा सकता है। सेरेमनी में आदित्य और 'द नाइट मैनेजर' के डायरेक्टर संदीप मोदी मौजूद थे। भारत के लिए एक और लिहाज से ये अवार्ड खास रहे।
इसे भारतीय स्टैंडअप कॉमेडियन और एक्टर वीर दास ने होस्ट किया। इतिहास में पहली बार किसी भारतीय को यह सेरेमनी होस्ट करने का गौरव मिला है। समारोह से पहले प्रेस से बातचीत के दौरान वीर ने कहा कि नर्वस हूं, लेकिन अच्छा लग रहा है अपनी जिम्मेदारियों को लेकर। वीर ने अवार्ड शो के लिए ब्लैक कलर के आउटफिट को चुना जिसमें वो काफी हैंडसम नजर आए। वीर ने शुभांगी बाजपेयी के डिजाइनर कपड़े पहने थे।
सामंथा रुथ प्रभु ने कहा, तलाक के समय मेरे बारे में कई झूठी बातें फैलाई गईं...एक्ट्रेस सामंथा रुथ प्रभु और एक्टर नागा चैतन्य का शादी के 4 साल बाद 2021 में तलाक हो गया था। नागा 4 दिसंबर को एक्ट्रेस शोभिता धूलिपाला के साथ विवाह बंधन में बंधने वाले हैं। इस बीच सामंथा ने अपने तलाक पर बात की। सामंथा ने गलाटा इंडिया से बात करते हुए कहा कि दुर्भाग्य से, हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जो प्रकृति में इतना पितृसत्तात्मक है कि जब भी कुछ गलत होता है, तो एक महिला को उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है…मैं यह नहीं कह रही हूं कि पुरुषों के साथ ऐसा नहीं होता है… उनके साथ भी होता है।
लेकिन एक महिला के साथ ये ज्यादा होता है। ये बहुत अधिक शर्मनाक है। तलाक के समय मेरे बारे में कई झूठी बातें फैलाई गईं, जिससे मुझे ऑनलाइन काफी ज्यादा एब्यूज झेलना पड़ा। मैंने कई बार बोलने की कोशिश की लेकिन फिर चुप रहना ही बेहतर समझा। मैंने कभी भी इन बातों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।
मैंने खुद को संभालकर रखा। जब हालात बहुत खराब हो गए थे और हर तरफ झूठ ही झूठ फैलाए जा रहे थे, तो मैंने खुद से बात की। कई बार तो ऐसा हुआ कि मैं सच सामने लाना चाहती थी और कहना चाहती थी कि ये सब गलत है। फिर मुझे लगा कि मेरा परिवार, मेरे दोस्त मेरा सच जानते हैं और इतना ही बहुत है। मुझे हर किसी के सामने खुद को साबित करने की जरूरत नहीं है।