Indian Idol-12 : शो के स्क्रिप्टेड होने के सवाल पर आशीष ने दिया यह जवाब, इन मुद्दों पर भी बोले

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सोनी टीवी पर सात माह से भी ज्यादा समय से जारी सिंगिंग रियलिटी शो इंडियन आइडल का 12वां सीजन अंतिम पड़ाव की ओर है। कहा जा रहा है कि जल्द ही इसका फाइनल होने वाला है। इसमें अब 7 कंटेस्टेंट्स बचे हैं। कोविड की वजह से शो की शूटिंग बायो बबल में हो रही है जिस वजह से प्रतियोगी लम्बे समय से अपने परिवार से नहीं मिल पाए। अब हाल ही में उन्हें उनके परिवार के पास, उनके शहर में भेजा गया और इस दौरान उन्होंने सभी से मुलाकात की।

ई टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कंटेस्टेंट आशीष कुलकर्णी ने परिवार से मिलने के बाद मीडिया से बात की। आशीष ने कहा कि शो की कोई भी परफॉर्मेंस स्क्रिप्टेड (पहले से लिखी हुई या तय) नहीं है। अगर किसी की परफॉर्मेंस अच्छी नहीं है तो उसे नेगेटिव कमेंट्स भी सुनने को मिलते हैं। ये शो नेचुरल और ऑर्गेनिक है। जैसा हम परफॉर्म करते हैं, वैसा ही दिखाया जाता है। अच्छा गाने पर तारीफ मिलती है तो खराब प्रस्तुति पर डांट भी खानी पड़ती है। बाकी की जो चीजें होती हैं वो सब एंटरटेनमेंट का हिस्सा है। हम सबकी अपनी जर्नी है और वो स्क्रिप्टेड नहीं बल्कि सच है।


आशीष ने कहा, जब हमारी दोस्ती की कहानी दिखाई जाती है तो…

साथी प्रतियोगियों के साथ बॉन्डिंग को लेकर आशीष ने बताया कि जब हमारी बॉन्डिंग की स्टोरीज को शो में दिखाया जाता है तो इससे माहौल थोड़ा हल्का हो जाता है। हम सब एक-दूसरे के साथ रह रहे हैं और हमारा बॉन्ड भी बन गया है तो जब हमारी दोस्ती की कहानी दिखाई जाती है तो इससे माहौल काफी हल्का हो जाता है। परफॉर्मेंस से पहले हम सभी पर काफी प्रेशर होता है और ऐसे मोमेंट्स हमें रिलैक्स करते हैं। हम इन पलों को एंजॉय करते हैं। अगर सिर्फ परफॉर्मेंस होती रहेंगी तो माहौल काफी गंभीर हो जाता है।


‘ट्रोलिंग को लेते हैं पॉजिटिव तरीके से’

एक सवाल के जवाब में आशीष ने कहा कि हम ट्रोलिंग को पॉजिटिव तरीके से लेते हैं और इससे अपने अंदर सुधार लाते हैं। एक आर्टिस्ट होने के नाते हम काम को लेकर काफी भावुक होते हैं और आज हम जो भी हैं ऑडियंस की वजह से ही हैं। जो भी अब तक ट्रोल हुआ है वो इन कमेंट्स को पॉजिटिवली लेता है। लोग अपनी राय देते हैं और इसमें कुछ गलत नहीं है। जो हमें पसंद नहीं करते हम मेहनत से उनका दिल जीतेंगे ताकि वे भी हमें प्यार करें। ऑडियंस ही हमारे मां-बाप हैं और उनके फैसला सिर-आंखों पर है।