देव आनंद और नासिर हुसैन आपस में लड़ रहे थे, 'तीसरी मंजिल' को लेकर आमिर खान का खुलासा, पार्टी में हुई थी हाथापाई

1966 में रिलीज़ हुई फिल्म 'तीसरी मंजिल' हिंदी सिनेमा की सबसे यादगार थ्रिलर फिल्मों में गिनी जाती है। लेकिन इस फिल्म के बनने की कहानी जितनी दिलचस्प है, उतनी ही नाटकीय भी। हाल ही में आमिर खान ने एक इंटरव्यू में इसका खुलासा करते हुए बताया कि देव आनंद और नासिर हुसैन के बीच एक पार्टी में जमकर बहस और मारपीट हुई थी, जिसके चलते फिल्म की कास्टिंग और निर्देशन दोनों बदल दिए गए।

आमिर ने बताया कि ‘तीसरी मंजिल’ की शुरुआत में देव आनंद को मुख्य भूमिका के लिए साइन किया गया था और उनके चाचा नासिर हुसैन इसका निर्देशन करने वाले थे। लेकिन अभिनेत्री साधना की सगाई की पार्टी के दौरान देव आनंद और नासिर हुसैन के बीच ऐसी बहस हुई कि बात हाथापाई तक पहुंच गई। इस झगड़े के बाद नासिर इतने नाराज हो गए कि उन्होंने देव को फिल्म से बाहर निकाल दिया।

आमिर खान ने बताया कि उस समय नासिर 'बहारों के सपने' नाम की एक और फिल्म बना रहे थे, जिसका निर्देशन विजय आनंद कर रहे थे। वहीं, 'तीसरी मंजिल' को देव आनंद के साथ खुद डायरेक्ट कर रहे थे। पार्टी में देव आनंद ने ‘तीसरी मंजिल’ को ‘बहारों के सपने’ से छोटी फिल्म कह दिया, जो नासिर को बहुत नागवार गुज़रा। आमिर ने कहा, “नासिर साहब ने कहा कि फिल्म छोटी या बड़ी नहीं होती। इसी बात पर दोनों के बीच कहासुनी हो गई और दोनों एक-दूसरे को मार रहे थे।”

आमिर ने हंसते हुए कहा कि उन्होंने यह बात बाद में साधना से कन्फर्म की थी, जिन्होंने कहा, “हां हां, दोनों दारू पीकर झगड़ा कर रहे थे।” इस घटना के बाद नासिर ने ‘तीसरी मंजिल’ का निर्देशन विजय आनंद को सौंप दिया और देव आनंद को फिल्म से बाहर कर दिया। उनकी जगह फिल्म में शम्मी कपूर को लिया गया और फिल्म इतिहास में दर्ज हो गई।

फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ का निर्देशन फिर विजय आनंद ने किया और नासिर हुसैन ने ‘बहारों के सपने’ को राजेश खन्ना और आशा पारेख के साथ पूरा किया। यह घटना बताती है कि बॉलीवुड की बड़ी फिल्मों के पीछे कई बार ऐसे दिलचस्प और अप्रत्याशित मोड़ छिपे होते हैं।