सिनेमा का अभिन्न अंग है डांस, इसे दूर रखना मुश्किल, ‘सेनोरिटा’ की कोरियोग्राफी के लिए मिला नेशनल अवार्ड

लोकप्रिय कोरियोग्राफर जोड़ी बोस्को-सीजर के बोस्को मार्टिन ने कहा कि गाना और नृत्य भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं और यही वजह है कि वे भारतीय सिनेमा से दूर नहीं जा सकते। हालांकि समय के साथ प्रासंगिक बने रहने के लिए कोरियोग्राफी में बदलाव जरूर हो सकता है। एक साक्षात्कार के दौरान बोस्को ने मीडिया एजेंसी को बताया, ‘बॉलीवुड में प्रासंगिक बने रहने के लिए हमें एक कहानी के बाद अपनी कोरियोग्राफी बदलनी होगी, क्योंकि कहानियां भी बदल रही हैं। लेकिन हम सिनेमा से नृत्य को दूर नहीं कर सकते। संजय लीला भंसाली बड़े संगीत कैनवास बनाते हैं, जो फिल्म के लिए दर्शक लाने में काम करता है। क्या आप उन कहानियों की कल्पना बिना संगीत और नृत्य के कर सकते हैं? तथ्य यह है कि हमें कहानी को बताने के लिए दृश्यों में नृत्य शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।’ इस कोरियोग्राफर ने सीजर गोंसाल्वेस के साथ मिलकर करीब 75 फिल्मों में कोरियोग्राफी की है।

किस तरह पूरी दुनिया में नृत्य संस्कृति का हिस्सा है, यह बताते हुए कोरियोग्राफर ने कहा, ‘आप अगर हमारे गाने ‘सेनोरिटा’ को देखेंगे तो उसमें स्पेनिश संस्कृति को दर्शाया गया है और उसमें तीनों किरदार फ्रीस्टाइल नृत्य कर रहे थे, जिसे हमें फ्लेमेनको डांसर्स के साथ मिलाना था। एक गाने में दो दुनिया की संस्कृति मिल गई, जो कि दिलचस्प रहा।’ 2011 में आई फिल्म ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ का गाना ‘सेनोरिटा’ की कोरियोग्राफी के लिए बोस्को-सीजर को सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का नेशनल अवार्ड मिला था।

बोस्को निर्देशन क्षेत्र में कदम रखने की तैयारी कर रहे हैं। उनके अनुसार वह जल्द ही परियोजना की औपचारिक घोषणा कर सकते हैं।