गत दिनों मीडिया में राजस्थान के इतिहासकारों द्वारा ‘पद्मावत’ को देखने के बाद उसकी तारीफ में जो कशीदे पढ़े गए उन्हें देखकर ऐसा महसूस हो रहा है कि शायद अब करणी सेना राजस्थान सहित देश के तीन अन्य राज्यों में चल रहे विरोध को समाप्त कर दे और यह फिल्म इन राज्यों में प्रदर्शित हो जाए।
गौरतलब है कि पिछले दिनों करणी सेना के इतिहासकार के पैनल के दो सदस्यों ने फिल्म को हरी झण्डी दे दी है। दो प्रमुख इतिहासकार आर.एस. खंगारोत और प्रोफेसर बी.एल. गुप्ता ने सोमवार को बेंगलुरू में यह फिल्म देखी और उसके बाद उन्होंने मीडिया में इस पर खुलकर बातचीत की। इन दोनों इतिहासकारों का कहना है कि फिल्म में कोई भी विवादित चित्रण नहीं है बल्कि यह एक बेहतरीन फिल्म है। जिसे हर राजपूत को देखना चाहिए।
इन दोनों इतिहासकारों का कहना है कि राजपूती शौर्य का फिल्म में बेहतरीन तरीके से फिल्मांकन किया गया है। गोरा को बिना सिर लड़ते देख रौंगटे खड़े हो गए। परम्पराओं को समझने के लिए हर क्षत्रिय को यह फिल्म देखनी चाहिए।
ज्ञातव्य है कि इतिहासकार आर.एस. खंगारोत राजपूत सभा द्वारा संचालित एसएमएस कोचिंग सेंटर के निर्देशक हैं और प्रोफेसर बी.एल. गुप्ता राजस्थान विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के प्रमुख हैं। दोनों ही सेंसर बोर्ड के चेयरमैन की ओर से गठित 6 इतिहासकारों की कमेटी में भी शामिल थे। ‘पद्मावत’ 16वीं शताब्दी में लिखे मलिक मोहम्मद जायसी के सूफी महाकाव्य ‘पद्मावत’ पर आधारित है। 200 करोड़ की बड़ी लागत से बनी यह फिल्म राजपूत करणी सेना के विरोध के चलते सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी राजस्थान में अभी तक प्रदर्शित नहीं हो पायी है। उम्मीद की जा रही है कि करणी सेना के इन इतिहासकारों द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद यह फिल्म राजस्थानी दर्शकों के सामने प्रदर्शित हो सके।