तमाम उम्मीदों और कयासों को धत्ता बताते हुए टाइगर श्रॉफ अभिनीत और अहमद खान निर्देशित बागी-2 ने पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर वर्ष का पहला बड़ा धमाका करते हुए पहले दिन 25 करोड़ से ज्यादा का कारोबार करने में सफलता प्राप्त करके स्वयं को इस वर्ष की पहली सबसे तेज गति से सौ करोड़ी फिल्म होने की कतार में लगा लिया है। पहले दिन कि शुरुआत से लग रहा था कि दुसरे दिन इस फिल्म कि कमाई में कम से कम 40% का इजाफा होना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ और फिल्म कि दुसरे दिन कि कमाई में बढ़त कि बजाय 20% कि गिरावट देखने को मिली है। पहले दिन जहा इस फिल्म ने 25.10 करोड़ कि कमाई की थी वही दुसरे दिन इस फिल्म कि कमाई 20.50 करोड़ तक ही रह गई। वैसे फिल्म कि दो दिन कि कमाई मिलाकर बात कि जाये तो फिल्म ने अच्छा कारोबार किया है और अपने तीसरे दिन कि कमाई यानि रविवार को ये फिल्म 65 करोड़ का आकडा पार करने में सफल होगी।
फिल्म की मज़बूत कड़ी कि बात कि जाये तो इसका बेहतरीन एक्शन और संवाद है। मनोज बाजपेयी, रणदीप हुड्डा की मौजूदगी फिल्म को और निखारती है। रणदीप हुड्डा का स्टाइल और मनोज बाजपेयी का सरप्राइज़ कहानी में दिलचस्पी बनाकर रखता है। फिल्म के एक्शन की कोरियोग्राफी, डायरेक्शन और सिनेमेटोग्राफी बहुत बढ़िया है। इसे टाइगर श्रॉफ की अब तक की बेस्ट परफॉर्मेंस कही जा सकती है। दीपक डोबरियाल ने जिस तरह से एक हैदराबादी किरदार को निभाया है वह काबिले तारीफ है। दर्शन कुमार और दिशा पाटनी ने भी ठीक-ठाक काम किया है। समय-समय पर आने वाले आतिफ असलम के गाने कहानी को दिलचस्प बनाते हैं। कई ऐसे मूमेंट आते हैं जब सीटियों और तालियों के साथ-साथ आपके चेहरे पर मुस्कान भी आती है।
वही अगर फिल्म कि कमजोर कड़ी कि बात की जाए तो फिल्म की कमजोर कड़ी प्रेडिक्टेबल कहानी और लंबाई है। शार्प एडिटिंग की जाती तो यह और भी ज्यादा क्रिस्प होती। इसके साथ ही फिल्म का क्लाइमेक्स और भी बेहतर हो सकता था। फिल्म के गानों की बात कि जाए तो फिल्म कि कहानी में रुकावट बनते है। तेजी से बढता हुआ दृश्य अचानक रुकता है इससें दर्शक निराश होता है इसके अतिरिक्त यह वीएफएक्स के मामले में फिल्म कमजोर है। विशेष रूप से हवा में झूलते हुए टाइगर का उलटे हाथ से मशीन गन चलाना। इस दृश्य को जिस तरह फिल्माया गया है वह कमजोर तकनीक का उधारण है।
तमाम कमजोरियों और लचर पठकथा के बोझ तले दबी बागी 2 उन दर्शकों को बेहद पसंद आरही है तो स्वंय अपनी इछाओ कि पूर्ति नहीं कर पातें लेकिन परदे पर अपने जैसे किसी व्यक्ति को बलशाली देख कर खुश होतें है। येही दर्शक इसकी सफलता के मन्त्र है।